दशहरा

Dussehra 2024: दशहरा पर नीलकंठ पक्षी को देखना क्यों होता है शुभ, इस वर्ष श्रवण नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाया जाएगा पर्व, जाने क्या हैं पूजा का शुभ मुहूर्त

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विजयादशमी का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। मान्यता है कि दशहरा तिथि में विवाह संस्कार को छोड़कर सभी शुभ कार्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ तिथि मानी जाती है। विजयदशमी के दिन मां दुर्गा, श्री गणेश, श्री राम और हनुमान जी की पूजा अर्चना करने से घर परिवार में सुख समृद्धि बढ़ती है। इसके अतिरिक्त इस दिन शस्त्रों की पूजा का भी विधान है।

मेरठ निवासी ज्योतिषाचार्य पं. पियूष अवतार शर्मा ने बताया कि इस दिन रामायण पाठ, सुंदरकांड और श्रीराम रक्षा स्तोत्र के पाठ से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन श्रीराम, मां दुर्गा, श्री गणेश और हनुमान जी की पूजा-अर्चना कर परिवार की सुख-समृद्धि और मंगल कामना करनी चाहिए है।

उन्होंने बताया कि दशहरा को विवाह संस्कार को छोड़कर सभी शुभ कार्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ तिथि माना जाता है। इस दिन गृह निर्माण, गृह प्रवेश, अक्षर लेखन, मुंडन, नामकरण, अन्नप्राशन, कर्ण छेदन और भूमि पूजन जैसे कार्य अत्यधिक शुभ माने जाते हैं। विजयादशमी का पर्व अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है। साथ ही इस दिन अस्त्र शस्त्र पूजन का भी विधान है।

क्या है दशहरा की पौराणिक कथा

पंडित पियूष अवतार शर्मा ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार दशहरा का संबंध भगवान श्रीराम द्वारा लंकापति रावण के वध से है। रावण के अत्याचारों को समाप्त करने के लिए भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में अवतार लिया और रावण का संहार कर पृथ्वी को उसके आतंक से मुक्त किया। इसके साथ ही इसी दिन मां दुर्गा ने भी महिषासुर का वध किया था, इसीलिए यह पर्व विजय का प्रतीक माना जाता है।

दशहरा की पूजा का महत्व

दशहरा के दिन मां दुर्गा और भगवान राम की पूजा का विशेष महत्व है। मां दुर्गा शक्ति की प्रतीक हैं, जबकि भगवान राम मर्यादा, धर्म और आदर्श के प्रतीक हैं। जीवन में शक्ति, धर्म और आदर्श का होना सफलता के मार्ग को प्रशस्त करता है।

विजयादशमी पूजा का शुभ मुहूर्त

वर्ष 2024 में विजयादशमी तिथि का प्रारंभ 12 अक्टूबर को सुबह 10:58 बजे से होगा और इसका समापन 13 अक्टूबर को सुबह 9:08 बजे होगा। विजय मुहूर्त 12 अक्टूबर को दोपहर 1:51 से 2:37 बजे तक रहेगा, जबकि अपराह्न पूजा का समय 12:43 बजे से 3:04 बजे तक होगा।

दशहरा पर बन रहा है विशेष संयोग, कार्य में मिलेगी सफलता

पं. पियूष अवतार शर्मा ने बताया कि इस वर्ष दशहरा के दिन रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र में इन दोनों ही योगों को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। रवि योग 12 अक्टूबर को पूरा दिन रहेगा, वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात: 6:06 बजे से शुरू होकर पूरे दिन रहेगा।

इस योग में किए गए कार्यों में सफलता की संभावना अधिक होती है। इसके अतिरिक्त ज्योतिष शास्त्र में श्रवण नक्षत्र भी इस दिन अत्यंत शुभ माना गया है। इस वर्ष श्रवण नक्षत्र 12 अक्टूबर को प्रात: 5:25 बजे से 13 अक्टूबर को प्रात: 4:27 बजे तक रहेगा।

विजयादशमी पर क्यों खाया जाता है पान

दशहरा के दिन रावण दहन के बाद पान का सेवन करने की प्रथा है। पान को सत्य की जीत का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन हनुमान जी को मीठी बूंदी और पान अर्पित करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ ही यह भी माना जाता है कि विजयादशमी पर पान का सेवन और वितरण करने से मान-सम्मान वृद्धि होती है।

शुभ माना जाता है नीलकंठ पक्षी के दर्शन

रामचरित मानस के अनुसार श्रीराम ने लंका के राजा रावण पर विजय प्राप्त करने से पूर्व नीलकंठ पक्षी के दर्शन किए थे। नीलकंठ पक्षी को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि दशहरे के दिन नीलकंठ के दर्शन से जीवन में सुख, समृद्धि और भाग्य का उदय होता है।

नोट: यह सभी विचार ज्योतिषाचार्य पंडित पियूष अवतार शर्मा के हैं। कोई भी प्रयोग करने से पूर्व उनसे मोबाईल नंबर 9997862935 पर संपर्क कर लें। इस लेख से दुर्ग दृष्टि का कोई लेना देना नहीं है।

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