धनतेस के साथ ही दीपोत्सव का पांच दिवसीय पर्व शुरू हो गया है। इस वर्ष 30 अक्तूबर को छोटी दिवाली अर्थात नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जा रहा है। नरक चतुर्दशी के दिन भी दिवाली की ही तरह दीपक जलाने की परंपरा है। इस दिन विशेष रूप से लोग रात के समय यम का दीपक जलाते हैं, वहीं एक अन्य परंपरा के अनुसार इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। इसलिए इस दिन को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी की रात यम का दीपक जलाने से अकाल मृत्यु या किसी भी अनहोनी का खतरा टल जाता है। कई स्थानों पर इसे यम दीपदान भी कहा जाता है, जो कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि पर किया जाता है। कई लोगों का मत है कि इस दिन दीपक जलाने से मृत्यु के बाद नरक में जाने से बचने का उपाय भी माना जाता है।
क्यों नरक चतुर्दशी पर जलाया जाता है यम का दीपक?
ज्योतिषाचार्य पंडित पियूष अवतार शर्मा ने बताया कि नरक चतुर्दशी के दिन यम का दीपक जलाने से मृत्यु के भय का नाश हो जाता है और पूरे परिवार पर यमराज जी की कृपा बनी रहती है। मान्यता है कि छोटी दीपावली के दिन दीपदान करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। मान्यता है कि इस दिन यमराज की पूजा करने से घर का वातावरण अच्छा बना रहता है। साथ ही पितरों का आशीर्वाद भी बना रहता है।
नरक चतुर्दशी पर कब जलाया जाता है यम का दीपक?
पंडित पियूष अवतार शर्मा ने बताया कि यम का दीपक नरक चतुर्दशी की रात सूर्यास्त के बाद जलाया जाता है। एक मिट्टी के दीपक को घर के मुख्य द्वार पर रखा जाता है। इस दीप में सरसों का तेल डालकर उसे दक्षिण दिशा की ओर रखना चाहिए। मान्यता है कि यह दीपक जलाने से यमराज प्रसन्न होते हैं। साथ ही घर में सुख-समृद्धि भी आती है।
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