लंबे समय से तिब्बत की आजादी के लिए संघर्ष करने वाले बौद्ध धर्मगुरू दलाई लामा ने चीन को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि वह चीन से अलग होकर तिब्बत की आजादी नहीं चाहते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि चीन के कई लोग लगातार उनसे बात करने की कोशिश कर रहे हैं। वह भी तिब्बत की समस्याओं को लेकर चीन से बातचीत करने को तैयार है।
गौरतलब हो कि पिछले काफी समय से बौद्ध धर्मगुरू दलाई लामा तिब्बत की आजादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। दलाई लामा एक माह के लिए लद्दाख जा रहे हैं। लद्दाख जाने से पहले अचानक धर्मशाला में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि अब चीन बदल गया है और वह मुझसे बात करना चाहता है। वह भी चीन से अलग होकर तिब्बत की आजादी नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा कि चीन को यह समझना चाहिए कि तिब्बत के लोगों का रहन सहन और संस्कृति चीन से अलग है। चीन को भी इसे स्वीकार करना चाहिए। तिब्बत की समस्याओं के लिए वह खुले तौर पर चीन से बात करने के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा कि अब चीन को तिब्बत की भावनाओं का अहसास हो गया है। इसी कारण तिब्बत की समस्याओं का समाधान निकालने के लिए वह लगातार उनसे बात करने के लिए कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि तिब्बत की भलाई के लिए वह भी चीन से बात करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
प्रेस वर्ता के दौरान दलाई लामा ने कहा कि हमने कभी नहीं कहा कि हमे आजादी चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें चीन का हिस्सा बनने से कोई परेशानी नहीं है। लेकिन चीन की पुरानी नीतियां तिब्बत के अनुकूल नहीं थी। अब चीन समझने लगा है और बदल गया है।
चीन से नाराज नहीं- दलाई लामा
उन्होंने कहा कि वह किसी से भी नाराज नहीं हैं। यहां तक की उन लोगों से भी नहीं जिन्होंने तिब्बत के प्रति कठोर रवैया अपनाया था। ऐतिहासिक रूप से चीन एक बौद्ध देश है। चीन के दौरे के दौरान उन्होंने चीन में कई बौद्ध मंदिर और मठ देखे हैं। उन्होंने कहा कि तिब्बती धर्म और संस्कृति में ऐसा ज्ञान है जो पूरी दुनिया के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि वह सभी धार्मिक परंपराओं का सम्मान करता हूं क्योकि वह भी प्रेम और दया को बढ़ावा देते हैं।
मेरा उद्देश्य तिब्बत और सभी की भलाई- दलाई लामा
प्रेसवार्ता में उन्होंने कहा कि उनका जन्म तिब्बत में हुआ है और वह दलाई लामा के नाम से जाने जाते हैं। तिब्बत के हित में काम करने के अतिरिक्त सभी जीवों की भलाई उनका प्रमुख उद्देश्य है। बिना उम्मीद खोए वह लम्बे समय से अपने सामर्थ के अनुसार अपने झंडे के प्रति अपना समर्पण को बनाए रखना है। उन्होंने कहा कि उन्हें किसी से भी कोई नाराजगी नहीं है। यहां तक की उन चीन के नेताओं से भी नहीं जिन्होंने तिब्बत के खिलाफ कटोर रवैया अपनाया था। चीन के बदलते रूख को देते हुए वह चीन से बात करने के लिए तैयार है। समाज हित के लिए कोई भी उनसे मिल सकता है।
100 वर्षों तक जीवित रहकर करूंगा सेवा- दलाई लामा
88 साल के हो चुके दलाई लामा ने कहा कि भविष्यवाणियों और मेरे सपनों के अनुसार 100 साल तक जीने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि मैने जीवन भर दूसरों की सेवा की है और आगे भी इसी प्रकार लोगों की सेवा करता रहूंगा। उन्होंने कहा कि वह सत्य और अंहिसा के रास्ते पर चलते हुए तिब्बत की समस्या के समाधान की कोशिश हमेशा करता रहूंगा। तिब्बत की संस्कृति और धर्म में जो ज्ञान है उससे संपूर्ण दुनिया का बहुत फायदा है।