ज्ञानवापी व मथुरा मुसलमानों को स्वयं ही हिंदुओं को सौंप देना चाहिए यह बात इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च (आईसीएचआर) के सदस्य व पद्मश्री डॉ. के.के. मोहम्मद ने कही। साथ ही उन्होंने हिंदुओं को भी रुकने की नसीहत देते हुए कहा कि एक लंबी लिस्ट लेकर नहीं चलना चाहिए। मुसलमानों से जो गलतियां हुई हैं यह उनके लिए एक प्रायश्चित है।
साक्ष्य के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया निर्णय
बता दें शुक्रवार को डॉ. के.के. मोहम्मद साकेत महाविद्यालय में भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित एक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। संगोष्ठी के दौरान डॉ. मोहम्मद ने कहा कि विवादित स्थान पर आर्कियोलॉजिकल सर्वे में खुदाई के बाद जो साक्ष्य मिले थे वह सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर के हक में फैसले का आधार बने थे। उन्होंने बताया कि खुदाई में 90 आधार स्तंभ मिले थे। जो भव्य मंदिर की ओर गवाही दे रहे थे। विष्णु हरि शिला मिली थी। कई मूर्तियां भी मिली थीं।
खुदाई के दौरान शिला पर मनुष्य के पैर का हिस्सा मिला था। यह भी मस्जिद में नहीं मिलता है। कई स्थानों पर सांप की आकृति भी मिली थी। उन्होंने स्क्रीन पर तस्वीर के माध्यम से खुदाई में मिले साक्ष्यों को दिखाया। कई विदेशी यात्रियों व इतिहासकारों ने भी अपने यात्रा संस्मरण में राम मंदिर का जिक्र किया है।
इतिहासकारों के मन में होनी चाहिए ऋषि दृष्टि
भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित संगोष्ठी में संघ के सह कार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि भारत की मौलिक दृष्टि है कि जो बीत गया उसे भूल जाओ। हमने सारे इतिहास को एक रस में देखा, क्रमबद्ध देखा। हम 432 करोड़ वर्ष का इतिहास बताते हैं जबकि पश्चिमी सभ्यता 6000 ईशा पूर्व इतिहास में ही सिमट कर रह जाते हैं। हमारे इतिहासकारों को इस पर शोध करना होगा कि इतनी विविधता के बावजूद भी एक मन खड़ा करने में हम कैसे कामयाब हो पाए हैं।
दुनिया के पास मूल्य नहीं है वे अपने स्वभाव से संघर्ष कर रहे हैं दुनिया विनाश की ओर बढ़ रही है। दुनिया को मूल्य हम देंगे। मानवता को बचाने का दायित्व हमारे कंधों पर है। इतिहासकारों के मन में ऋषि दृष्टि होनी चाहिए। विविधता में एकत्व का सूत्र खोजना ही ऋषि दृष्टि है। इतिहास के विद्यार्थी शोध करें की विविधता के बाद भी हम एक कैसे रहे।