3 Idiots मूवी से लाइम-लाइट में आए सोनम वांगचुक हिरासत में, लेह से आ रहे थे पैदल, जानें क्या है मकसद?

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दुर्ग दृष्टि, डेस्क। थ्री इडियटस मूवी के बाद चर्चा में आए शिक्षाविद और जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक सहित करीब 150 लोगों को सिंघु बॉर्डर से हिरासत में ले लिया। यह लोग लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर लद्दाख से दिल्ली तक मार्च कर रहे थे। जानकारी के अनुसार दिल्ली में निषेधाज्ञा लागू होने के चलते हुए उन्हें वापस जाने के लिए कहा गया था लेकिन जब वह वापस नहीं माने तो सीमा पर तैनात पुलिसकर्मियों ने उन्हें हिरासत में ले लिया।

हिरासत की जानकारी सोनम वांगचुक ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दी। अपनी पोस्ट में वांगचुक ने लिखा कि लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने के लिए दिल्ली तक यात्रा कर रहे स्वयंसेवकों को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया है।

कौन हैं सोनम वांगचुक

सोनम वांगचुक की गिनती प्रमुख शिक्षाविद और जलवायु कार्यकर्ता के रूप में की जाती है। बॉलीवुड फिल्म थ्री इडियट सोनम वांगचुक के जीवन से ही प्रेरित थी। इनका जन्म लद्दाख के अलची जिले में 1 सितंबर 1966 को हुआ था। वह स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) के संस्थापक एवं निदेशक हैं। लद्दाख की एकमात्र प्रिंटिंग पत्रिका लैंडेग्स मेलॉग की स्थापना और उसक संपादन 1993 से 2005 तक वांगचुक ने किया। बता दें सोनम वांगचुक 30 से अधिक वर्षों से शिक्षा सुधार के क्षेत्र में लगातार काम कर रहे हैं।

फिल्म थ्री इडियट से चर्चा में आए

बता दें बॉलीवुड की फिल्म ‘थ्री इडियट’ सोनम वांगचुक के जीवन से ही प्रेरित थी। इस फिल्म में आमिर खान ने सोनम वांगचुक का किरदार निभाया था। इस फिल्म के बाद वह चर्चा में आए। सोनम वांगचुक एनआईटी श्रीनगर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद शिक्षा में सुधार और लद्दाख तथा देश के विकास के लिए काम कर रहे हैं। गौरतलब हो कि वांगचुक ने कई आविष्कार किए हैं, जिनमें सोलर हीटेड मिलिट्री टेंट, आर्टिफिशियल ग्लेशियर और एसईसीएमओएल परिसर का डिज़ाइन शामिल हैं।

क्या है सोमन वांगचुक की मांग

गौरतलब हो कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद राज्य को दो हिस्सों में बांट दिया गया, जिसमें लद्दाख को बिना विधानसभा के केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। इससे वहां का विशेष दर्जा खत्म हो गया। छठी अनुसूची के अलावा पूर्ण राज्य की मांग के साथ केंद्र शासित प्रदेश के निर्माण ने उन्हें विधायिका के बिना ही छोड़ दिया, जिससे वे स्वायत्तता से वंचित हो गए। शासन में सरकारी नौकरियों और भूमि अधिकारों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व की मांग और लद्दाख में एक और संसदीय सीट को बढ़ाना आंदोलनकारियों के मांग में शामिल है। इसको लेकर लद्दाख के लोग 2019 से ही प्रदर्शन कर रहे हैं। जिसका नेतृत्व सोनम वांगचुक कर रहे हैं। इससे पहले भी वांगचुक मार्च में 21 दिन तक भूख हड़ताल कर चुके है।

जानकारी हो कि बीजेपी ने साल 2019 के अपने चुनावी घोषणापत्र में और बीते वर्ष लद्दाख हिल काउंसिल चुनाव के में भी लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने का वादा किया था लेकिन इसे पूरा नहीं कर पाई, इसको लेकर भी लोगों में नाराजगी है। इस आंदोलन को लेकर सोनम वांगचुक की केंद्र सरकार से बातचीत भी चल रही थी लेकिन वह विफल हो गई थी। 26 अगस्त को केंद्र सरकार ने घोषणा किया था कि लद्दाख में 5 नए जिले बनाए जा रहे हैं। लेह और कारगिल के अलावा पांच नए जिलों का नाम ज़ांस्कर, द्रास, शाम, नुब्रा और चांगथांग होगें। वहीं सरकार के इस फैसले के पीछे इस आंदोलन को ही कारण माना गया था।

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