नई दिल्ली। वैश्विक नेविगेशन उपग्रह प्रणाली (जीएनएसएस) को लेकर मिल रहे सूझावों को देखते हुए सरकार ने टोल नियमों में बड़ा बदलाव किया है। नए नियम के अनुसार अब जीएनएसएस से लैस निजी वाहनों को 20 किलोमीटर तक टोल टैक्स नहीं देना होगा। नए नियमों में कहा गया है कि जीएनएसएस से लैस निजी वाहनों के मालिकों से एक्सप्रेसवे और राजमार्गों पर रोजाना 20 किलोमीटर तक के सफर के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।
यह जानकारी सड़कप परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मंगलवार को एक अधिसूचना जारी कर दी है। इस अधिसूचना में राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क नियम 2008 में संशोधन किया गया है। अब इसे राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क संशोधन नियम, 2024 के नाम से जाना जाएगा। नए नियमों के अनुसार राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेस-वे पर 20 किलोमीटर तक की दूरी तय करने पर कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। इससे अधिक की दूरी तय करने पर वाहन मालिक से कुल दूरी पर शुल्क लिया जाएगा।
क्या है अधिसूचना में?
अधिसूचना के अनुसार राष्ट्रीय परमिट रखने वाले वाहनों को छोड़कर अगर किसी अन्य वाहन का चालक या मालिक राष्ट्रीय राजमार्ग, बाईपास, सुरंग या स्थायी पुल के रूट का उपयोग करता है तो उससे जीएनएसएस-आधारित उपयोगकर्ता शुल्क संग्रह प्रणाली के तहत एक दिन में प्रत्येक दिशा में 20 किलोमीटर की यात्रा तक कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।
परिक्षण आधार पर टोल लागू करने का किया था फैसला
बता दें मंत्रालय ने जुलाई में कहा था कि उसने फास्टैग के साथ एक अतिरिक्त सुविधा के रूप में चुनिंदा राष्ट्रीय राजमार्गों पर उपग्रह-आधारित टोल संग्रह प्रणाली को परिक्षण आधार पर लागू करने का फैसला किया है। जीएनएसएस-आधारित उपयोगकर्ता शुल्क संग्रह प्रणाली का एक परिक्षण अध्ययन कर्नाटक में एनएच-275 के बेंगलुरु-मैसूर खंड और दूसरा हरियाणा में एनएच-709 के पानीपत-हिसार खंड पर किया गया है।
क्या है ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम?
जानकारी के अनुसार जीएनएसएस आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम के तहत हाईवे पर तय की गई दूरी के आधार पर टोल लिया जाता है। मौजूदा तरीके के तहत भले ही यूजर टोल रोड के एक हिस्से की यात्रा करता है, उसे एक निश्चित राशि का भुगतान करना पड़ता है। जबकि सैटेलाइट-आधारित सिस्टम वाहन की गतिविधि को ट्रैक करती है और वाहनों में लगे ऑन बोर्ड यूनिट की मदद से शुल्क की गणना करती है।
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