ज्ञानवापी मामले में वाराणसी जिला अदालत का बड़ा फैसला आया है। अपने फैसले में अदालत ने हिन्दू पक्ष को ज्ञानवापी परिसर में मौजूद व्यास तहखाने में पूजा करने की इजाजत दे दी है। जिला अदालत के इस फैसले के बाद अब व्यास परिवार पहले की तरह तहखाने में पूजा पाठ कर सकेगा। 1993 तक सोमनाथ व्यास का परिवार तहखाने में पूजा पाठ करता चला आ रहा था।
क्या है व्यासजी का तहखाना?
ज्ञानवापी मंदिर भवन के दक्षिण दिशा में स्थित तहखाने में मूर्ति की पूजा दिसंबर 1993 तक होती रही है। विवाद के चलते दिसंबर 1993 के बाद पुजारी व्यास जी को इस क्षेत्र में प्रवेश करने से रोक दिया गया था। अदालत के आदेश के बाद इस प्रांगण में बेरिकेट लगा दिया गया था। अदालत के आदेश के बाद से ही इस क्षेत्र में पूजा, राग-भोग आदि संस्कार भी रूक गए थे।
बता दे जांच के दौरान हिन्दू धर्म की पूजा से सम्बन्धित सामग्री, बहुत सी प्राचीन मूर्तियां और धार्मिक महत्व की अन्य सामग्री उस तहखाने में मिली हैं। दिसम्बर 1993 तक व्यासजी ने वहां भवन में पूजा अर्चना की है। बाद में तहखाने का दरवाजा हटा दिया गया था।
अंग्रेजों के शासन काल में भी चलती रही है पूजा
हिन्दू पक्ष का कहना है कि उनके पास इस बात के पर्याप्त आधार है कि वंशानुगत आधार पर पुजारी व्यासजी ब्रिटिश शासन काल में भी वहां कब्जे में थे और विधि विधान से पूजा अर्चना करते थे। गौरतलब हो कि ज्ञानवापी परिसर में मौजूद व्यासजी तहखाना में पूजा की मांग को लेकर वर्षों से अदालती लड़ाई चल रही है।
हिंदू पक्ष का कहना है कि मंदिर भवन के दक्षिण दिशा में स्थित तहखाने में मूर्ति की पूजा होती थी। दिसम्बर 1993 के बाद पुजारी व्यासजी को इस प्रांगण के बेरिकेट वाले क्षेत्र में प्रवेश करने से रोक दिया गया। इस कारण तहखाने में होने वाले राग-भोग आदि संस्कार भी रुक गये।
हिंदू पक्ष ने दलील दी कि इस बात के पर्याप्त आधार है कि वंशानुगत आधार पर पुजारी व्यासजी ब्रिटिश शासन काल में भी वहां कब्जे में थे। हिंदू पक्ष ने आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन ने बगैर किसी विधिक अधिकार के तहखाने के भीतर पूजा दिसम्बर 1993 से रोक दी।
हिंदू पक्ष ने अदालत से अनुरोध किया कि वह रिसीवर को नियुक्त करें जो तहखाने में पूजारी द्वारा पूजा किया जाना नियंत्रित करें और उसका प्रबंध करें।
न्यायालय में 17 जनवरी 2024 को पारित एक आदेश में रिसीवर की नियुक्ति तो कर दी लेकिन तहखाने में पूजा-अर्चना के संबंध में कोई आदेश पारित नहीं किया। हिंदू पक्ष ने अपनी दलील में कहा था कि तहखाने में मौजूद मूर्तियों की पूजा पूर्व की भांती नियमित रूप से की जानी जरूरी है।
क्या आया फैसला
बुधवार को जिला जज की कोर्ट ने अपने एक आदेश में व्यासजी के तहखाने में पूजा की अनुमति दे दी। ज्ञानवापी स्थित व्यासजी के तहखाने में पूजा किए संबंधी आवेदन पर जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में मंगलवार को दोनों पक्ष की बहस पूरी हो गई थी।
सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने इस प्रकरण में बुधवार को अपना आदेश सुनाया। अपने निर्णय में अदालत ने तहखाने में पूजा करने की अनुमति दे दी है। हिंदू पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने बताया कि अदालत ने अपने फैसले में व्यासजी के तहखाने में पूजा करने का अधिकार दे दिया है साथ ही अदालत ने जिलाधिकारी को एक सप्ताह के भीतर आदेश का अनुपालन करने को कहा है।
आगे क्या?
वादी अधिवक्ताओं ने कहा है कि व्यासजी के तहखाने को डीएम की सुपुर्दगी में दिया गया है। अधिवक्ताओं के अनुरोध पर कोर्ट ने नंदी के सामने की बैरिकेडिंग को खोलने की अनुमति दी है। ऐसे में अब तहखाने में 1993 के पहले के जैसे पूजा के लिए अदालत के आदेश से आने- जाने दिया जाएगा।