akilesh rahul

UP Politics: सपा-कांग्रेस के बीच पड़ सकती है दरार, जहां प्रियंका ने डाला डेरा, वहां सपा ने ठोकी ताल

Top देश प्रदेश

जैसे जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आती जा रही है इंडिया गठबंधन में उतनी ही दरार पैदा होती जा रही है। नितीश कुमार के दगा देने के बाद समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव की मन मानी गठबंधन के लिए शुभ संकेत नहीं दे रही है। शनिवार को कांग्रेस गठबंधन को 11 सीट देने के एलान और मंगलवार को सपा के 16 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा स्पष्ट संकेत दे रही है कि सपा और कांग्रेस के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।

बता दें की सपा ने जब से अपने प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की है तब से इस बात पर ज्यादा चर्चा हो रही है कि जिन 16 सीटों की लिस्ट सपा ने जारी की है उनमें से कुछ सीटों पर कांग्रेस काफी समय से मेहनत करती आ रही थी। इन सीटों को निश्चित करने के लिए राहुल, प्रियंका सहित कई मुख्यमंत्री भी उन सीटों पर डेरा तक डाल दिया था।

इतना ही नहीं अखिलेश यादव ने कई कांग्रेस के कद्दवार नेताओं की सीटों पर ही अपने प्रत्याशी उतार दिए है। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में सवाल उठने लगे हैं कि क्या गठबंधन में शामिल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच सबकुछ ठीक चल रहा है।

गत शनिवार को समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में 11 सीटों को देने की घोषणा की थी। हालांकि कांग्रेस पार्टी या गठबंधन की ओर से अभी तक आधिकारिक तौर से कोई भी पुष्टि नहीं हुई है।

वहीं कांग्रेस के नेताओं की ओर से गुपचुप रूप से लगातार बयान जरूर आते रहे कि अभी सीटों के समझौते पर बातचीत चल रही है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में चर्चा इस बात की होती रही कि जब कांग्रेस की ओर से सीटों पर अभी तक कोई सहमति नहीं हुई, तो सपा की ओर से 11 सीटें दिए जाने के क्या अर्थ निकल रहे हैं।

यह भी पढ़ें : UP Politics: यूपी में गठबंधन में टूटने के दिखे आसार, सपा ने घोषित किए अपने प्रत्याशी

सूत्रों पर विश्वास करें तो समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच में गठबंधन होने के बाद भी कुछ अच्छा नहीं चल रहा है। यही वजह है कि सीटों के बंटवारे पर सपा और कांग्रेस के संयुक्त रूप से बयान आने की बजाय सिर्फ समाजवादी पार्टी की ओर से एलान किया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश में सपा की ओर से एलान के बाद अभी सियासी उथल-पुथल थमी भी नहीं थी कि मंगलवार को अखिलेश यादव की ओर से 16 प्रत्याशियों के नाम और सीटें भी घोषित कर दी गईं।

जानकारों का कहना हैं कि समाजवादी पार्टी ने जिन सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा की है, उनमें कुछ सीटों पर तो कांग्रेस बीते कई सालों से न सिर्फ मेहनत कर रही थी, बल्कि वहां पर टिकट की दावेदारी भी कर रही थी।

जानकार बताते हैं कि लखीमपुर में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे की घटना के बाद मारे गए सिखों के परिवारों से मिलने कांग्रेस का पूरा अमला जुटा था। जिसमें प्रियंका गांधी से लेकर राहुल गांधी और उस वक्त के सभी कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने लखीमपुर के इलाके में डेरा डाल दिया था।

अब जब लोकसभा का चुनाव होने जा रहा है, तो समाजवादी पार्टी की ओर से लखीमपुर की दोनो लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए गए। ऐसे में चर्चा है कि क्या यह सीटें भी कांग्रेस की सहमति के साथ ही समाजवादी पार्टी की झोली में आई हैं या अभी कांग्रेस की ओर से इस पर कुछ स्थिति स्पष्ट की जानी है।

बता दें कि समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और लखीमपुर के पूर्व सांसद रवि वर्मा ने कुछ दिन पहले ही सपा का दामन छोड़ कांग्रेस का हाथ थामा था। सियासी गलियारों में कहा यही जा रहा था लखीमपुर में कांग्रेस ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे के मामले में बाद माहौल बनाया था।

पूर्व सांसद रवि वर्मा और कांग्रेस को अनुमान यही था कि गठबंधन में कम से कम यह सीट तो उनके हिस्से आएगी ही। दरसल रवि वर्मा और उनकी मां ऊषा वर्मा समेत उनके पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री बालगोविंद वर्मा कई दशकों तक लखीमपुर जिले की सीट से प्रतिनिधित्व करते आए हैं।

बीते चुनाव में समाजवादी पार्टी से रवि वर्मा की बेटी पूर्वी वर्मा लखीमपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुकी हैं। लोगों का कहना है कि रवि वर्मा समाजवादी पार्टी छोड़कर इसीलिए कांग्रेस में गए थे कि उन्हें या उनकी बेटी को 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट मिलेगा।

अब जब यह सीट समाजवादी पार्टी के हिस्से में चली गई है, तो सियासी गलियारों में चर्चाएं हो रही हैं कि क्या समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।

फर्रुखाबाद सीट का मामला भी इसी प्रकार का है। इस सीट पर समाजवादी पार्टी ने डॉक्टर नवल किशोर शाक्य को अपना प्रत्याशी बनाया है। फर्रुखाबाद से कांग्रेस के कद्दावर नेता सलमान खुर्शीद चुनाव लड़ते रहे हैं।

सियासी जानकारों की मानें तो कांग्रेस आने वाले लोकसभा चुनाव में फर्रुखाबाद सीट पर भी अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर रही थी। हालांकि जब समाजवादी पार्टी की ओर से जारी 16 प्रत्याशियों की लिस्ट में से एक लोकसभा सीट फर्रुखाबाद भी शामिल थी।

सियासी जानकारों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच में सब कुछ ठीक नहीं दिख रहा है। इस पर खुलकर कांग्रेस के कोई भी नेता नहीं बोल रहे हैं। लेकिन कई कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता संतुष्ट नहीं हैं।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *