रामलला

सूर्य तिलक: रामजन्मोत्सव पर होगा सूर्य तिलक, बनेगा 75 मिमी का टीका

Top देश धर्म

अयोध्या। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली बार रामनवमी (रामजन्मोत्सव) मनाया जा रहा है। इस वर्ष राम नवमी बुधवार को मनाई जा रही है। इस वर्ष रामजन्मोत्सव पर विशेष आकर्षण सूर्य तिलक होगा। वैज्ञानिकों ने सूर्य तिलक की सभी तैयारी कर ली है। रामजन्मोत्सव से पूर्व मंगलवार को वैज्ञानिकों ने एक बार फिर सूर्य तिलक का सफल ट्रायल किया है। सूर्य तिलक का समय दोपहर 12 बजे का निश्चित हुआ है।

75 मिमी का बनेगा सूर्य तिलक

प्राप्त जानकारी के अनुसार सूर्य की किरणें रामलला के मस्तक पर 75 मिलीमीटर के टीके के रूप में सूर्य दिखाई देंगी। यह नजारा लगभग चार मिनट तक देखने को मिलेगा। हालांकि यह समय सूर्य की गति और दिशा पर निर्भर है।

शुभ योग में होगा रामलला का सूर्य तिलक

जब दोपहर 12 बजे रामलला का जन्मोत्सव मनाया जाएगा, ठीक उसी समय सूर्य तिलक भी होगा। उस समय गजकेसरी, पारिजात, केदार, अमला, सरल, काहल, शुभ, वाशि और रवियोग बनेंगे। पंडित पीयूष अवतार शर्मा ने कहा कि सूर्य तिलक के समय नौ शुभ योग बन रहे हैं।

उन्होंने बताया कि वाल्मीकि रामायण के अनुसार रामजन्म के समय सूर्य और शुक्र अपनी उच्च राशि में थे। चंद्रमा खुद की राशि में मौजूद थे। इस साल भी ऐसा ही हो रहा है। पंडित पीयूष अवतार शर्मा ने कहा कि ये शुभ योग अयोध्या सहित पूरे भारत की उनत्ती का मार्ग प्रशस्त करेगा।

सूर्य की 20 वर्षों की गति का हुआ अध्ययन

सूर्य तिलक की सटीकता के लिए वैज्ञानिकों ने बीते 20 वर्षों में अयोध्या के आकाश में सूर्य की गति का अध्ययन किया था। सूर्य की गति का अध्ययन करने के बाद वैज्ञानिकों ने मंदिर के ऊपरी तल पर रिफ्लेक्टर और लेंस स्थापित किया है। इस कार्य को सफल बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने सूर्य की किरणों को घुमा फिराकर रामलला के ललाट तक पहुंचाया है।

इस प्रकार काम करेगा मैकेनिज्म

सूर्य की गति का अध्ययन कर मंदिर के ऊपरी तल पर लैंस और रिफ्लेक्टर स्थापित किए गए हैं। सूर्य की किरणें मंदिर के ऊपर लगे लैंस पर पड़ेंगी। उसके बाद सूर्य की किरणें तीन लेंसों से होती हुई दूसरे तल के मिरर पर पड़ेंगी। अंत में सूर्य की किरणें रामलला के मस्तक पर 75 मिलीमीटर के टीके के रूप में सुशोभित होंगी। जानकारी के अनुसार यह नजारा लगभग चार मिनट तक टिका रहेगा।

इस तरह तैयार हुआ पूरा मैकेनिज्म

सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) रुड़की के वैज्ञानिकों की एक टीम ने सूर्य तिलक मैकेनिज्म को तैयार किया है। इसके डिजाइन को तैयार करने में टीम को पूरे दो साल लग गए थे। 2021 में राम मंदिर के डिजाइन पर काम शुरू हुआ था। 

सीबीआरआई के वैज्ञानिकों की एक टीम ने सूर्य तिलक मैकेनिज्म को इस तरह से डिजाइन किया है कि हर साल राम नवमी के दिन दोपहर 12 बजे करीब चार मिनट तक सूर्य की किरणें भगवान राम की प्रतिमा के माथे पर पड़ेंगी।

इस निर्माण कार्य में सीबीआरआई के साथ सूर्य के पथ को लेकर तकनीकी मदद बेंगलूरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) की भी ली गई है। बेंगलूरु की एक कंपनी ऑप्टिका ने लेंस और ब्रास ट्यूब का निर्माण किया है।

यह भी पढ़ें : सूर्य तिलक: रामजन्मोत्सव पर सूर्य की किरणों से प्रकाशित होगा रामलला का मुखमंडल, वायरल हुआ वीडियो

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *