नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अचानक सीएम पद छोड़ने की घोषणा कर सभी को चौका दिया है। उन्होंने कार्यकर्ता के साथ हो रही बैठक के दौरान घोषणा की कि वह दो दिन में अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। आइए जानते हैं अरविंद केजरीवाल के सियासी सफर के बारे में…
हरियाणा के भिवानी के रहने वाले हैं केजरीवाल
करीब एक दशक से दिल्ली की सत्ता पर काबिज अरविंद केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त 1968 को हरियाणा के भिवानी जिले के खेड़ा गांव में हुआ था। अरविंद केजरीवाल के पिता का नाम गोबिंद राम केजरीवाल और मां का नाम गीता देवी है। अरविंद केजरीवाल के पिता एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे। अरविंद केजरीवाल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हिसार के कैंपस स्कूल से प्राप्त की।
इसके बाद उन्होंने 1985 में IIT-JEE परीक्षा पास की और ऑल इंडिया 563 रैंक हासिल की। अरविंद केजरीवाल ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में IIT खड़गपुर से ग्रेजुएशन की। फिर 1989 में केजरीवाल जमशेदपुर में टाटा स्टील में शामिल हो गए। इसके बाद 1992 में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी का हवाला देते हुए उन्होंने टाटा स्टील की नौकरी से इस्तीफा दे दिया।
1995 में बने IRS अधिकारी
अरविंद केजरीवाल ने वर्ष 1995 में सिविल सेवा परीक्षा पास की, जिसके बाद उनका चयन भारतीय राजस्व सेवा में हो गया। परीक्षा पास कर अरविंद केजरीवाल आयकर विभाग के सहायक आयुक्त के रूप में कार्यभार संभालने लगे।
2006 में संयुक्त आयकर आयुक्त पद से इस्तीफा
वर्ष 2006 में अरविंद केजरीवाल ने नई दिल्ली में संयुक्त आयकर आयुक्त के पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे के बाद केंद्र सरकार ने दावा किया था कि उन्होंने शर्त के मुताबिक तीन साल काम नहीं किया जो कि समझौते का उल्लंघन है। इस वजह से उन्हें भुगतान करना पड़ा। उन्होंने अपने दोस्तों की मदद से भुगतान भी किया।
अन्ना हजारे के आंदोलन ने अरविंद केजरीवाल को दिलाई लोकप्रियता
वर्ष 2011 में अरविंद केजरीवाल ने समाज सेवी अन्ना हजारे के साथ मिलकर जन लोकपाल विधेयक को लागू करने की मांग करते हुए इंडिया अगेंस्ट करप्शन ग्रुप का गठन किया। इसके बाद अन्ना हजारे जन लोकपाल विधेयक की मांग को लेकर 16 अगस्त को दिल्ली के रामलीला मैदान में भूख-हड़ताल पर बैठ गए।
16 अगस्त को शुरू हुआ यह आंदोलन 28 अगस्त तक चला। इस आंदोलन में अन्ना हजारे के साथ अरविंद केजरीवाल, कुमार विश्वास, किरण बेदी, संजय सिंह और मनीष सिसोदिया ने अहम भूमिका निभाई थी। इसी दौरान अन्ना हजारे के बाद केजरीवाल इस आंदोलन का मुख्य चेहरा बनकर उभरे।
राजनीति में पहला कदम
2 अक्टूबर 2012 में अरविंद केजरीवाल ने अन्ना हजारे की इच्छा के विरूद्ध राजनीतिक दल का गठन किया। फिर 24 नवंबर 2012 को आम आदमी पार्टी बनाई गई। इसी के साथ वो अपने सियासी सफर में आगे बढ़े और 2013 में उनकी आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ा जिसमें उन्होंने जीत दर्ज की।
अरविंद केजरीवाल का सियासी सफर
अरविंद केजरीवाल ने 28 दिसंबर 2013 को पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में सत्ता संभाली थी। उन्होंने तीन बार मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित को जबरदस्त वोटों से हरा दिया। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था, लेकिन कांग्रेस के समर्थन से अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री बने।
हालंकि 49 दिनों के बाद ही उन्होंने जनलोकपाल बिल के मुद्दे पर फरवरी 2014 में सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता काफी बढ़ गई थी। इसके बाद अगले ही वर्ष 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की और दिल्ली की 70 में से 67 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की। अरविंद केजरीवाल दिल्ली के 7वें मुख्यमंत्री हैं।
रेमन मैग्सेसे अवार्ड से हो चुके हैं सम्मानित
वर्ष 2006 में भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान में सूचना के अधिकार कानून का उपयोग करते हुए जमीनी स्तर पर आंदोलन चलाने के लिए केजरीवाल को रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उसी वर्ष, सरकारी सेवा से इस्तीफा देने के बाद केजरीवाल एक एनजीओ पब्लिक कॉज रिसर्च फाउंडेशन’ की स्थापना के लिए अपने मैग्सेसे पुरस्कार में मिले पैसों को दान कर दिया।
एक दशक में बड़ी ताकत के रूप में उभरी आप
भारतीय राजनीति में अरविंद केजरीवाल का उभार किसी चमत्कार से कम नहीं है। बीते एक दशक में केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी भारतीय राजनीति की एक बड़ी ताकत बन गई है और पार्टी ने दिल्ली के अलावा कई अन्य राज्यों में भी अपने पैर जमा लिए हैं।
शराब नीति के कथित घोटाले से धूमिल हुई आप की छवि
दिल्ली शराब नीति के कथित घोटाले को लेकर आम आदमी पार्टी अपने अस्तित्व की अभी तक की सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रही है। इस मामले में मुख्यमंत्री केजरीवाल समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेता आरोपी हैं और फिलहाल जमानत पर जेल से बाहर हैं। इस मामले से केजरीवाल की भ्रष्टाचार विरोधी छवि को तगड़ा झटका लगा है। माना जा रहा है कि अचानक से इस्तीफे का एलान कर केजरीवाल अपनी छवि को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
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