डिजिटल अरेस्ट

Digital Arrest: क्या है डिजिटल अरेस्ट? साइबर क्राइम से बचने के लिए इन बातों का रखें ख्याल

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नई दिल्ली। दुनिया तेजी से डिजिटलाइजेशन की ओर बढ़ रही है, उतनी ही तेजी के साथ डिजिटल दुनिया में साइबर ठग नए नए तरीकों से लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैँक की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2023 में तकरीबन 30,000 करोड रूपये का बैंक फ्रॉड रजिस्टर किया गया। ऑनलाइन ठगों ने आम लोगों को अपना शिकार बनाने का नया तरीका अपनाया है जिसे डिजिटल अरेस्ट कहा जाता है। इस आर्टिकल के माध्यम से हम डिजिटल अरेस्ट से जुड़ी तमाम जानकारी देंगे साथ में इससे बचने के उपाए भी बताएंगे।

गौरतलब हो कि आधुनिक तकनीकों के माध्यम से अपराधी (साइबर ठग) कहीं दूर से ही लोगों को अपना शिकार बना लेते हैं। मामला दूसरे जिले या राज्य का होने के कारण वह पुलिस की पकड़ से भी बाहर हो जाते हैं। साइबर ठगों ने भोले भाले लोगों को अपना शिकार बनाने के नया तरीका अपनाया है जिसे तकनीकी भाषा में डिजिटल अरेस्ट कहते हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से हम डिजिटल अरेस्ट से जुड़ी तमाम जानकारी देंगे साथ में इससे बचने के उपाए भी बताएंगे।

क्या है डिजिटल अरेस्ट?

जैसा की इसके नाम से ही स्पष्ट हो जाता है कि इसमे साइबर क्राइम से जुड़े लोग पीड़ित को कॉल या वीडियो कॉल करके उन्हें बंधक बना लेते हैं। इसमें अपराधी लोगों को फंसाने के लिए ब्लैकमेलिंग का खेल खेलता है और लोग उनके जाल में फंस जाते हैं। डिजिटल अरेस्ट में साइबर फ्रॉड वीडियो कॉल के जरिए पीडित पर हावी होता है और उसको घर में ही बंधक बना लेता है। सबसे पहले ठग स्वयं को पुलिस का अधिकारी बनकर वीडियो कॉल करता है। वीडियो कॉल पर ही वह बताता है कि आपका आधार कार्ड, सिम कार्ड, बैंक अकाउंट का उपयोग किसी गैरकानूनी काम के लिए हुआ है। इस प्रकार की बात करके वह आपको डराने का खेल शुरू करता है।

यह लोग आपको गिरफ्तारी का डर दिखाकर घर में ही कैद कर देते हैं। लोगों पर अपना और अधिक दवाब बनाने के लिए ठग वीडियो कॉल में अपने बैकग्राउंड को किसी पुलिस स्टेशन की तरह बना लेते हैं। जिसे देखकर पीड़ित डर जाता है और वह उनकी बातों में आ जाता है। जमानत की बात कहकर ठग आपसे ठगी शुरु करते हैं। इस दौरान अपराधी पीडित को वीडियो कॉल से ना हटने देता है ना ही किसी को कॉल करने देते हैं। इसी को डिजिटल अरेस्ट कहा जाता है।

कैसे काम करता है डिजिटल अरेस्ट

डिजिटल अरेस्ट के तरीके को हाल ही घटी एक घटना के माध्यम से समझा जा सकता है। प्रयागराज की एक महिला ने बताया कि उन्हें एक फोन आया। फोन करने वाले ने स्वयं को एक इंटरनेशनल कूरियर कंपनी कर्मचारी बताया। उस व्यक्ति ने महिला को बताया कि उनके नाम से एक ड्रग्स, लैपटॉप और क्रेडिट कार्ड वाला एक पार्सल ताइवान भेजा जा रहा है। महिला ने कहा कि उसे किसी भी पार्सल की जानकारी नहीं है और उसने कोई भी पार्सल नहीं भेजा है। महिला के मना करने के बाद उस व्यक्ति ने कहा कि वह इसकी शिकायत दर्ज करा रहा है। इसके तुरंत बाद महिला के पास एक वीडियो कॉल आया जिसका बैकग्राउंड पुलिस स्टेशन का था। महिला ने बताया कि पुलिस अफसर बनकर बात करने वाले व्यक्ति ने वीडियो कॉल पर महिला को तीन दिनों तक बंधक बनाए रखा और उसे डरा धमकाकर एक करोड़ 48 लाख रूपये अलग अलग खातों में जमा करवा लिए।

ताजा मामला उत्तर प्रदेश के बरेली शहर का है पीडित महिला डॉक्टर के मुताबिक 27 मई की सुबह 8:30 बजे उनके मोबाइल फोन पर एक कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को ट्राई (दूरसंचार नियामक आयोग) से बताकर कहा कि उनका एक पुराना नंबर मनी लॉन्ड्रिंग जैसे अपराध में इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके तुरंत बाद दूसरे नंबर से डॉक्टर के पास कॉल आई जो खुद को लखनऊ के आलमबाग थाने का दरोगा बताकर दूसरे शख्स ने हड़काना शुरू कर दिया। उसने कहा कि नवाब मलिक के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक शख्स को गिरफ्तार किया गया है। आपके नंबर की आईडी से उसका जुड़ाव और अनधिकृत लेनदेन मिला है।

इसमें आपके खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है। डॉक्टर ने कॉल कट की तो उसने दोबारा कॉल कर चेतावनी दी कि कॉल कट मत करना, वर्ना और फंस जाओगी। फिर उसने वर्दी पहने हुए बैठे कथित थाना प्रभारी से बात कराई। महिला डाक्टर ने बताया कि वीडियो कॉल से निगरानी कर रहे ठगों ने उसे के कमरे से बाहर जाने पर रोक लगा दी। कहा कि जांच में सहयोग कीजिए। इस तरह ठगों ने उसे ढाई घंटे तक डिजिटल अरेस्ट करके रखा। हालांकि बाद में महिला डाक्टर अपनी सूझबूझ साइबर अपराध से बचे गई।

साइबर क्राइस से कैसे बचें?

किसी भी प्रकार के साइबर क्राइम से बचने के लिए आपको हमेशा सावधान और सतर्क रहना चाहिए। यहां हम आपको कुछ ऐसे उपायों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जिनसे आप इस तरह के क्राइम से बच सकते हैं।

सतर्क और सावधान रहें

यदि कभी भी आप इस प्रकार की कॉल रिसीव करते हैं तो सबसे पहले आपको सावधान रहने की जरूरत है। इसके साथ ही ऑनलाइन स्कैम और फ्रॉड के तरीकों की जानकारी रखें। आपको यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि सरकार, बैंक या फिर कोई भी जांच एजेंसी कॉल पर आपको डरा या धमका नहीं सकती है। यदि कोई ऐसा करता है तो आप कॉल काट कर उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकते है।

पहचान वेरिफाई जरूर करें

कभी भी कॉल पर पर्सनल या फाइनेंशियल डिटेल जैसी जानकारी बिलकुल भी शेयर न करें। अगर इस तरह की जानकारी आपको भेजनी भी हो तो पहले उस कॉलर की पहचान वेरिफाई अवश्य कर लें। बता दें बैंक या कोई ऑफिशियल संस्था आपसे फोन पर पिन या आपसे जुड़ी निजी जानकारी नहीं पूछती है।

संदिग्ध गतिविधियां की करें रिपोर्ट

अगर आपको किसी भी प्रकार से स्कैमर्स की कॉल या मैसेज आते हैं तो तुरंत इसकी रिपोर्ट करें। इसके साथ ही अगर आपके बैंक अकाउंट में कुछ भी संदिग्ध अगर आपको लगता हैं तो इसकी भी शिकायत करें। स्कैम कॉल या मैसेज को रिपोर्ट करने के लिए आप सरकारी पोर्टल का इस्तेमाल कर सकते हैं।

यहां दर्ज कराएं शिकायत

यदि कभी भी फोन पर आपको डराने-धमके के लिए कोई कॉल आती है तो आप तुरंत इसकी सूचना स्थानीय पुलिस को दें, या फिर 1930 नेशनल साइबरक्राइम हेल्पलाइन पर फोन करके शिकायत दर्ज कराएं। साथ ही सोशल मीडिया साइट एक्स पर @cyberdost के माध्यम से भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

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