पितृ अमावस्या के अवसर पर राष्ट्रीय मानव सेवा संस्थान द्वारा रामगंगा पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मंत्र उच्चारण के पितरों को विदाई देने के साथ गंगा जी की आरती की। साथ ही लोगों को गंगा जी का महात्व बताते हुए गंगा जी को साफ रखने का संकल्प लिया।
कार्यक्रम की शुरूआत राष्ट्रीय मानव सेवा संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष बिन्दु ने मंत्र उच्चारण के साथ पितरों की विदाई से की। पितरों की विदाई के बाद गंगा जी की आरती की गई। इस अवसर पर संस्थान के राष्ट्रीय महामंत्री नरेन्द्र पाल ने बताया कि राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों की आत्मा को शांति देने और उन्हें मोक्ष दिलाने के लिए कठोर तपस्या करके गंगा जी को पृथ्वी पर लाए थे।
हिन्दू धर्म में गंगा नदी को जीवनदायिनी और मोक्षदायिनी भी कहा जाता है। गंगा जी को हिन्दू धर्म में मां और देवी के रूप में पूजा जाता है। उन्होंने कहा कि शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति अपने जीवन काल में एक बार भी गंगा जी में स्नान कर लेता है उसके इस जन्म के साथ साथ पूर्वजन्मों के पाप भी नष्ट हो जाते है।
इसलिए मोक्षदायिनी गंगा मां को स्वच्छ रखने की जिम्मेदारी हम सब की बनती है। इसलिए गंगा स्थान के समय साबुन या अन्य किसी प्रकार के केमिकल से बनी वस्तु का उपयोग हमे नहीं करना चाहिए।
कार्यक्रम का समापन गंगा को दीपदान करके किया गया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राकेश मौर्य, वरिष्ठ नागरिक ढाल सिंह, राम किशोर, अतुल सक्सेना, आदेश सैनी आदि कार्यकर्ता और भक्ति गण उपस्थित रहे।