नई दिल्ली। सीरिया में 11 दिन पहले ईरानी दूतावास पर हुए हमले के बाद दोनों देशों में तनाव बढ़ गया है। दोनों देशों के बीच लगातार बढ़ रहे तनाव को देखते हुए भारत के विदेश मंत्रालय ने अपने नागरिकों को ईरान या इजराइल की यात्रा नहीं करने की सलाह दी है।
विदेश मंत्रालय ने ईरान और इस्राइल में रह रहे भारतीयों से भी अनुरोध किया है कि वह जल्द से जल्द भारतीय दूतावास से संपर्क करें और अपना पंजीकरण कराएं। मंत्रालय ने अनुरोध किया है कि वे अपनी सुरक्षा को लेकर सावधानी बरतें और अपनी गतिविधियों को कम लोगों के साथ साझा करें।
ईरानी दूतावास पर हुए हमले के लिए ईरान ने इजराइल को जिम्मेदार ठहराया है। आशंका जताई जा रही है कि इस्राइल हमास के बीच जारी युद्ध में ईरान भी हस्तक्षेप कर सकता है। ऐसे में विदेश मंत्रालय ने एक परामर्श में ईरान और इजराइल में रहने वाले भारतीयों को सलाह दी है कि अपनी सुरक्षा के बारे में अत्यधिक सतर्कता बरतें और अपनी गतिविधियां कम से कम रखें।
उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति के मद्देनजर सभी भारतीयों को सलाह दी जाती है कि अगले नोटिस तक ईरान या इजराइल की यात्रा नहीं करें।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि जो वर्तमान में ईरान या इजराइल में रह रहे हैं, उनसे अनुरोध है कि वे भारतीय दूतावासों से संपर्क करें और अपना पंजीकरण कराएं।
क्या है ईरान की एंट्री की वजह
एक अप्रैल को सीरिया में ईरान के वाणिज्य दूतावास पर हमला हुआ था। इससे दूतावास का एक खंड पूरी तरह ध्वस्त हो गया था। इस हमले में ईरान के दो शीर्ष सैन्य जनरल और पांच अन्य अधिकारी भी मारे गए थे। इस हमले के लिए ईरान इस्राइल को दोषी मान रहा है। साथ ही उसने जवाबी कार्रवाई करने की चेतावनी दी है।
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई ने बुधवार को चेतावनी दी थी कि इस्राइल को सजा दी जानी चाहिए। उस पर इस्राइली विदेश मंत्री ने कहा था कि अगर ईरान हमला करता है तो हम कड़ा जवाब देंगे।
लगातार गर्म हो रहे माहौल को देखते हुए इस्राइल गुरुवार को अलर्ट पर था। ईरानी राष्ट्रपति के राजनीतिक मामलों के डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद जमशीदी ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि अमेरिका को बीच में नहीं आना चाहिए ताकि वह हमले की चपेट में न आ जाए।
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लड़ाकुओं को छुट्टी न देने का फैसला
अमेरिका ने भी ईरान और उसके सहयोगियों द्वारा हमला किए जाने की चेतावनी दी है। वहीं इस्राइल ने अपनी हवाई सुरक्षा को मजबूत करने के लिए लड़ाकू इकाइयों को छुट्टी न देने का फैसला लिया।
बाइडन ने दिया इस्राइल का साथ देने का अश्वासन
ईरान द्वारा जवाबी कार्रवाई की कसम खाने पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस्राइल को अपना समर्थन दिए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा था कि उन्होंने प्रधानमंत्री नेतन्याहू से ईरान और उसके सहयोगियों से इस्राइल की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता दृढ़ है। हम इस्राइल की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।