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Haryana Election: एग्जिट पोल में जीत के बाद भी हरियाणा में कैसे हार गई कांग्रेस, क्या है इसके पीछे की वजह

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हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद आए एग्जिट पोल से गदगद कांग्रेस को मतगणना के दिन करारा झटका लगा। काग्रेस पार्टी को पूरी उम्मीद थी कि इस बार सत्ता में उलटफेर होगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। चुनाव परिणाम देखकर चुनावी विश्लेषक भी हैरान हैं कि आखिर ऐसा क्यों हुआ। राजनीति के जानकारों की माने तो कांग्रेस की हार में ये वजह मुख्य रहीं।

हरियाणा चुनाव प्रचार में कमी

कांग्रेस हरियाणा में प्रचार के मामले में काफी पिछड़ी हुई नजर आई थी। वहीं भाजपा चुनावों की घोषणा से पहले ही चुनावी मूड में आ गई थी जबकि कांग्रेस नेता लिस्टों के लिए दिल्ली के ही चक्कर लगाते रहे। इतना ही नहीं पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी प्रचार में काफी देर से उतरा।

नेताओं के बीच गुटबाजी

हरियाणा चुनाव में एक बार फिर से कांग्रेस में गुटबाजी हावी रही। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सांसद कुमारी सैलजा के बीच तनातनी तो जगहाजिर है। जहां एक तरफ सैलजा खुद को सीएम पद का प्रबल दावेदार बता चुकी हैं वहीं दूसरी तरफ चुनाव के दौरान भूपेंद्र हुड्डा समर्थक की सैलजा के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करते नजर आए थे जिससे बड़ा बवाल मचा था। चुनाव के दौरान खुद सैलजा ने प्रचार से दूरी बना ली थी। हालांकि राहुल गांधी उन्हें एक मंच पर हाथ मिलवाया था। लेकिन अब भी दोनों एक साथ नहीं आए। 

उम्मीदवारों के गलत बयान  

कांग्रेस की हार का सबसे प्रमुख कारण उम्मीदवारों की गलत बयानवाजी रही। असंध के कांग्रेस उम्मीदवार शमशेर गोगी ने कहा था कि कांग्रेस जीतती है तो पहले अपना घर भरेंगे। शमशेर गोगी का यह वीडियो वायरल होने के बाद भाजपा ने इस वीडियों को अपने हथियार के रूप में प्रयोग करते हुए मुद्दे को भ्रष्टाचार से जोड़ा और कांग्रेस पर आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया। हालांकि कांग्रेस ने वीडियों के वायरल होने के बाद डैमेज कंट्रोल करने का काफी प्रयास किया लेकिन तब तक कांग्रेस का काफी नुकसान हो चुका था। 

सही से नहीं उठा पाई मुद्दे

कांग्रेस की हार का एक प्रमख कारण यह भी रहा कि वह मुद्दे को भुनाने में कामयाब नहीं हो पाई। किसान, पहलवान और जवान का मुद्दा भी कांग्रेस सही से नहीं उठा पाई। वहीं दूसरी तरफ बीजेपी अपने सभी मुद्दों को प्रमुखता से उठाती रही। कांग्रेस के खिलाफ भाजपा ने पर्ची खर्ची का मुद्दा बनाया और इसको जमकर भुनाया भी।

कांग्रेस पर्ची खर्ची की काट नहीं कर पाई, बल्कि कांग्रेस के प्रत्याशियों ने खुले तौर पर यह बयान दिए कि कोटे से नौकरियां मिलेंगी, इसका प्रदेशभर में गलत संदेश गया और भाजपा ने इसी मुद्दे को भुनाया। कांग्रेस मैरिट मिशन को लेकर कोई ठोस रणनीति नहीं बना पाई। वहीं राहुल गांधी ने लोकसभा चुनावों की तरह ही संविधान के मुद्दे को भुनाने की कोशिश की, लेकिन हरियाणा विधानसभा चुनाव में यह फार्मूला इस बार नहीं चला।

हरियणा चुनाव के पावर सेंटर बने भूपेंद्र हुड्डा

टिकट वटवारे से लेकर तमाम मामलों को लेकर कांग्रेस हाईकमान की तरफ से पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह को फ्री हैंड करने का फार्मूला भी कांग्रेस के लिए उल्टा पड़ा। चुनाव के दौरान सांसद कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला ने खुलकर इसे जाहिर भी किया। सैलजा ने कुछ ही सीटों पर प्रचार किया। पहले से ही गुटों में बंटी कांग्रेस को इन सभी मुद्दों के कारण काफी नुकसान हुआ है।

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