भारत में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं। छठे दौर का चुनाव समाप्त हो गया है। सातवें और अंतिम चरण का मतदान 1 जून को होगा। गुजरात की सूरत सीट से भाजपा प्रत्याशी मुकेश दलाल निर्विरोध चुनाव जीत चुके हैं। ऐसे में 542 सीटों पर मतगणना 4 जून को शुरू होगी और शाम तक सभी सीटों के परिणाम भी आ जाएंगे। वहीं एक जून को मतदान समाप्त होने के बाद मीडिया चैनलों और सर्वे एजेंसियों की तरफ से एग्जिट पोल जारी किए जाएंगे।
अधिकांश लोग सोचते हैं कि आखिर एग्जिट पोल क्या है? मतगणना से पहले ही ये कैसे सरकार बनने का दावा करते हैँ? एवं एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल क्या है और इसमें क्या अंतर है? यहां हम आपको कुछ ऐसे ही प्रश्नों के उत्तर बताएंगे। 1 जून को चुनाव समाप्त होने के बाद विभिन्न एजेंसियां एग्जिट पोल जारी करेंगी।
ओपिनियन पोल क्या है?
ओपिनियन पोल मीडिया हाउस और एजेंसियां हमेशा चुनाव से पहले कराती हैं। इस सर्वे में सभी लोगों को शामिल किया जाता है। भले ही वो मतदाता हो या नहीं। ओपिनियन पोल की सटीकता के लिए चुनावी दृष्टि से अलग-अलग क्षेत्रों के अहम मुद्दों पर जनता की नब्ज को टटोलने का प्रयास किया जाता है। साथ ही हर क्षेत्र में यह भी जानने का प्रयास किया जाता है कि सरकार के प्रति लोगों की नाराजगी है या फिर उसके काम से संतुष्ट है।
एग्जिट पोल है क्या?
वहीं एग्जिट पोल एक तरह का चुनावी सर्वे होता है। यह सर्वे मतदान वाले दिन जब मतदाता वोट देकर पोलिंग बूथ से बाहर निकलता है तो वहां सर्वे एजेंसी और विभिन्न न्यूज चैनल के लोग मौजूद होते हैं। वह मतदाता से वोटिंग को लेकर प्रश्न पूछते हैं।
इसमें उनसे पूछा जाता है कि उन्होंने किसको वोट दिया है? इस तरह से हर विधानसभा के विभिन्न पोलिंग बूथ से वोटर्स से सवाल पूछा जाता है। विभिन्न केन्द्रों से ऐसे सवाल बड़ी संख्या में एकत्र हो जाते हैं। इन आंकड़ों को जुटाकर और उनके उत्तर के हिसाब से अनुमान लगाया जाता है कि पब्लिक का रूझान किस ओर है?
जनता के रुझानों के आधार पर निष्कर्ष निकाला जाता है कि कौन सी पार्टी को कितनी सीटें मिल सकती हैं? इसका प्रसारण मतदान समाप्त होने के बाद ही किया जाता है।
ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल में अंतर?
ओपिनियन पोल चुनाव से पहले किया जाता हैं। वहीं एग्जिट पोल वोटिंग के तुरंत बाद कराया जाता है। ओपिनियन पोल में मतदान करने वाले और मतदान नहीं करने वाले सभी लोगों को शामिल किया जाता है। एग्जिट पोल में उन्हीं लोगों को शामिल किया जाता हैं, जो मतदान कर बाहर निकलते हैं।
ओपिनियन पोल के नतीजे के लिए चुनावी दृष्टि से अलग-अलग क्षेत्रों के अहम मुद्दों पर जनता की नब्ज को टटोलने की कोशिश की जाती है। एग्जिट पोल निर्णायक दौर में होता है। ओपिनियन पोल में यह जानने का प्रयास किया जाता है कि सरकार के प्रति जनता की नाराजगी है या फिर उसके काम से संतुष्ट है। जबकि एग्जिट पोल से पता चलता है कि लोगों ने किस पार्टी पर भरोसा जताया है।
कितने लोगों पर किया जाता है सर्वे?
एग्जिट पोल कराने के लिए रिपोर्टर अचानक से किसी बूथ पर जाकर वहां लोगों से बात करता है। इसमें पहले से तय नहीं होता है कि वह किससे सवाल करेगा? अमूमन मजबूत एग्जिट पोल के लिए 30-35 हजार से लेकर एक लाख वोटर्स तक से बातचीत होती है। इसमें क्षेत्रवार हर वर्ग के लोगों को शामिल किया जाता है।
ओपिनियन पोल से जुड़ी रोचक जानकारी
विश्व में चुनावी सर्वे की शुरुआत अमेरिका में हुई। जॉर्ज गैलप और क्लॉड रोबिंसन ने सरकार के कामकाज पर लोगों की राय जानने के लिए ये सर्वे किया था। बाद में ब्रिटेन ने 1937 और फ्रांस ने 1938 में बड़े पैमाने पर यह सर्वे कराए। इसके बाद जर्मनी, डेनमार्क, बेल्जियम तथा आयरलैंड में चुनाव पूर्व सर्वे कराए गए।
एग्जिट पोल से जुड़ी रोचक जानकारी
एग्जिट पोल की शुरुआत नीदरलैंड के समाजशास्त्री और पूर्व राजनेता मार्सेल वॉन डैम ने की थी। वॉन डैम ने पहली बार 1967 को इसका इस्तेमाल किया था। नीदरलैंड में हुए चुनाव में सर्वे का आकलन बिल्कुल सटीक रहा था। भारत में एग्जिट पोल की शुरुआत इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन के प्रमुख एरिक डी कोस्टा ने की थी।
1996 में एग्जिट पोल सर्वाधिक चर्चा चर्चा में रहा। उस समय दूरदर्शन ने सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज को देशभर में एग्जिट पोल कराने के लिए अनुमति दी थी। भारत में पहली बार 1998 में टीवी पर एग्जिट पोल का प्रसारण किया गया।
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