चन्द्रयान 2 की असफलता ही बनेगी चन्द्रयान 3 की सफलता की सीढ़ी, अपनाया अलग दृष्टिकोण

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चन्द्रयान 2 की असफलता ने इसरो को पूरी तरह से तोड कर रख दिया था। अपनी इसी विफलता को दूर करने के लिए पिछले 5 सालों से इसरो लगा हुआ है। अपनी असफलता को ही इसरो ने सबक के रूप में लेते हुए चन्द्रयान 3 को लॉन्च करने की तैयारी में है। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने चन्द्रयान 2 के सफलता आधारित दृष्टीकोण के स्थान पर चन्द्रयान 3 में विफलता आधारित दृष्टिकोण के आधार पर डिजाइन को चुना है।

बता दे कि चन्द्रयान 2 की असफलता से सबसे अधिक झटका इसरो को ही लगा था। इसके बाद पिछले 5 सालों से इसरों चन्द्रयान के असफल होने के कारणों पर शोध करता रहा और यही शोध चन्द्रयान 3 की सफलता की सीढ़ी बनेगा। एक कार्यक्रम में इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने बताया कि अध्ययन में हमने पाया कि चन्द्रयान 2 की असफलता के पीछे कई कारण थे। इन्हीं कारणों को अब दूर कर दिया है। इतना ही नहीं चन्द्रयान 3 को एक नए दृष्टीकोण के साथ तैयार किया है। जिसमें संभावित सभी समस्याओं को समाप्त कर दिया गया है।

चंद्रयान-2 मिशन की खामियों का किया अध्ययन

इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान-2 में जब विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग स्पॉट की ओर बढ़ रहा था उस समय कुछ गलतिया हुई थी। उन्होंने बताया कि चन्द्रयान 2 में विक्रम लैंडर के लिए पांच इंजन थे, जिनका इस्तेमाल वेलॉसिटी को कम करने के लिए किया जाता है। लेकिन इन इंजनों ने उम्मीद से ज्यादा थ्रस्ट पैदा कर दिया, जिसके कारण टीम को बहुत-सी परेशानियां का सामना करना पडा था। वहीं अंतरिक्ष यान को उतरते समय यान को तेजी से मुड़ना था, लेकिन यान के मुड़ते ही उसकी गति सीमित हो गई। जिसकी उन्होंने बिल्कुल भी उम्मीद नहीं की थी। इसके साथ चन्द्रयान की छोटी लैंडिग साइट भी चन्द्रयान 2 की असफलता का कारण थी। चन्द्रमा की जमीन ऊंची नीची है जिसकी वजह से वेग बढ़ाने को लेकर कई प्रकार की समस्या आ रही थी। इसके साथ ही हमने चन्द्रयान को चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतारने का निर्णय लिया था लेकिन वहां बडे गड्ढों ने लैंडिंग ऑपरेशन को और अधिक कठिन बना दिया था।

चंद्रयान-3 में बढ़ाई लैंडिंग साइट

चन्द्रयान 2 में लैंडिंग साइट 500 मीटर x 500 मीटर थी जिसके कारण लैंडिंग में दिक्कत आई थी। इस कमी को दूर करते हुए चन्द्रयान 3 में लैंडिंग साइट 2.5 किलोमीटर कर दी है। इससे यान सुविधानुसार कही भी उतर सकता है। इसके साथ ही चन्द्रयान 3 में चन्द्रयान 2 के मुकाबले अधिक ईधन है। अधिक ईधन होने से यान लैडिंग स्थल पर जाने की अधिक क्षमता रखता है।

क्या खास है चन्द्रयान 3 में?

चन्द्रयान 3 में इसरो ने कई परिवर्तन किए है जो या तो चन्द्रयान 2 में नहीं थे या सीमित थे। इसी क्रम में चन्द्रयान 3 में रोबर है जो चन्द्रयान 2 में नहीं था इसके साथ ही चन्द्रयान में लैंडिग स्पेस 500 X 500 मीटर से बढ़ाकर 2.5 किलोमीटर कर दिया है। इसके साथ ही इसके साथ स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेट अर्थ (SHAPE) नाम का एक पेलोड भेजा जा रहा है। इसके माध्यम से चन्द्रमा की सतह का गहन अध्ययन किया जा सकेगा। साथ ही चन्द्रयान 3 को इस प्रकार से बनाया गया है कि इसका न तो प्रक्षेप पथ बदलेगा और न ही इसको के साथ इसका संपर्क टूटेगा।

कब लॉन्च होगा चंद्रयान-3?

चन्द्रयान-3 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से SDSC SHAR से LVM3 रॉकेट द्वारा शुक्रवार 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2:35 बजे लॉन्च किया जाएगा। यह चन्द्रयान 2 की अगली कडी है।

कितनी है चंद्रयान मिशन-3 की लागत?

शुरूआती दौर में चन्द्रयान-3 की अनुमानित लागत 600 करोड़ रुपए आंकी जा रही थी। लेकिन यह मिशन लगभग 615 करोड़ में पूरा होगा। हालांकि चन्द्रयान 2 की तुलना में चन्द्रयान-3 का खर्च काफी कम बताया जा रहा है।

कब लॉन्च हुआ चंद्रयान -1 और चंद्रयान -2?

इसरो ने पहला चन्द्रयान 1 को 22 अक्टूबर 2008 का लॉन्च किया था। इस यान ने 28 अगस्त 2009 तक काम किया था। इसे इसरो का बजट स्पेसशिप माना जाता है। यह यान चन्द्रमा पर पानी होने का पता लगाने के लिए भेजा गया था। वहीं भारत ने चन्द्रयान 2 को 22 जुलाई 2019 को भेजा गया था। लैंडिंग के दौरान इसरो का चन्द्रयान से संपर्क टूट गया था।

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