पिछले काफी समय से पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली को लेकर केन्द्र और राज्य के कर्मचारी संगठन अपने अपने तरीके से आंदोलन को आगे बढ़ा रहे हैं। पेंशन स्कीम को लेकर कर्मचारी संगठनों द्वारा जारी मांग को देखते हुए केन्द्र सरकार ने पहले एनपीएस और फिर यूपीएस स्कीम लेकर आई। लेकिन सरकारी कर्मचारी इन दोनों की स्कीमों से संतुष्ट नहीं हुए।
बता दें अभी तक सरकार ने इन योजनाओं को लेकर कोई नोटिफिकेशन भी जारी नहीं किया है इसी बीच एनएमओपीएस द्वारा 26 सितंबर को ओपीए बहाली को लेकर देश के सभी जिलों में विरोध प्रदर्शन आयोजित किया जा रहा है। वहीं 17 नवंबर को केन्द्रीय कर्मचारी संगठन नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत अर्थात एआईएनपीएसईएफ नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर की रैली कराने की घोषण की है।
राज्यों के लिए पुरानी पेंशन का रास्ता साफ
जानकारी के अनुसार एआईएनपीएसईएफ ने दावा किया है कि अब राज्यों के लिए पुरानी पेंशन देने का रास्ता साफ हो गया है। उनका कहना है कि केंद्र सरकार के पास एनपीएस फंड फंसा है, अब राज्यों के लिए पुरानी पेंशन बहाली की राह में ये बहाना नहीं चल सकेगा।
एआईएनपीएसईएफ के अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल ने दावा किया है कि अब राज्य सरकारें बिना किसी बाधा के अपने क्षेत्राधिकार में ओपीएस लागू कर सकती हैं। पुरानी पेंशन के लिए देशभर के तकरीबन 91 लाख केंद्रीय एवं राज्य सरकारों के एनपीएस कर्मचारी संघर्ष कर रहे हैं। ये आंदोलन अलग-अलग बैनरों के तले चल रहा है।
ओल्ड पेंशन की मांग के चलते पहले भी केंद्र सरकार ने एनपीएस में दो बड़े बदलाव किए थे। पहला 01 अप्रैल 2019 को सरकारी अंशदान 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत करना और दूसरा सेवाकाल के दौरान डेथ या डिसेबिलिटी होने पर ओल्ड पेंशन की तरह यानी अंतिम बेसिक सेलरी और महंगाई भत्ते का 50 प्रतिशत फेमिली पेंशन देना।
साथ ही परिवार को कर्मचारी अंशदान की ब्याज सहित पूर्ण वापसी करना। इन दो बड़े बदलावों के बाद भी सेवानिवृत्ति पर मिनिमम और निश्चित पेंशन की गारंटी देने की कमी रह गई थी।
डॉ. मंजीत सिंह पटेल ने कहा कि 24 अगस्त 2024 को केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई पेंशन रिव्यू कमेटी ने मिनिमम पेंशन 10000 रुपये, महंगाई भत्ते के साथ यह गारंटी देने की घोषणा कर दी है। साथ ही 25 वर्ष की सेवा करने पर ओल्ड पेंशन स्कीम के अनुसार ही 50 प्रतिशत पेंशन देने की बात साफ कर दी है।
इससे गारंटेंड पेंशन की समस्या भी खत्म हो गई। इस पेंशन में महंगाई इंडेक्स को भी जोड़ा गया है, लेकिन इसके बदले सरकार ने अपने अंशदान के साथ साथ कर्मचारी अंशदान को भी सरेंडर करने की बात कही है। इसके एवज में कर्मचारी को कुछ एकमुश्त भुगतान फंड देने की बात की है।
यह एकमुश्त भुगतान फंड अंतिम छह महीनों की सेलरी के बराबर हो सकता है। भले ही केंद्र सरकार ने कर्मचारी अंशदान को भी सरेंडर करने की बात कही है, लेकिन इससे राज्य सरकारों के लिए पूर्ण रूप से ओपीएस बहाल करने का रास्ता खुल गया है।
उन्होंने कहा कि कई राज्य सरकारें जैसे पंजाब, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक आदि अब तक पुरानी पेंशन की बहाली न कर पाने के पीछे एक बड़ी वजह का हवाला दे रही थीं। इन राज्यों का कहना था कि पुरानी पेंशन बहाल करने के बाबजूद हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड सरकार को आज तक केंद्र से न तो कर्मचारी अंशदान वाला हिस्सा वापस मिला और न ही सरकारी अंशदान वाला हिस्सा।
इससे इस फंड को वापस लेने की एक नई समस्या खड़ी हो गई थी। चूंकि इस मामले में जब तक पेंशन फंड रेगुलेटरी डेवलपमेंट अथॉरिटी कोई कानून नहीं बनाता, कोई सरकार कुछ नही कर सकती थी। डॉ. पटेल ने कहा कि अब केंद्र सरकार ने खुद ही यूपीएस यानी यूनिफाइड पेंशन स्कीम के तहत यह प्रावधान बना दिया है कि सेवानिवृत्ति पर कर्मचारी को ओल्ड पेंशन के अनुसार पेंशन दी जाएगी।
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कर्मचारियों के एनपीएस एकाउंट में जमा समस्त फंड संबंधित सरकारों के पास चला जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि वे सरकारें चाहें तो अपने कर्मचारियों को उनका अंशदान भी ब्याज सहित वापस कर दें। इसके लिए अब कर्मचारियों को भी केंद्र सरकार से अपने पैसे को मांगने की जरूरत ही नहीं रहेगी और कोई भी राज्य सरकार एनपीएस फंड के केंद्र सरकार के पास फंस जाने के नाम से बहाना भी नहीं बना पाएगी। इस तरह राज्यों के कर्मचारियों के लिए यूपीएस से ही ओपीएस में आने की राह साफ हो गई है।
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