बरेली। महज 25 वर्ष की आयु में देश की आजादी के लिए शहीद होने वाले कुंवर प्रताप सिंह बारहठ की जयंती एवं पुण्यतिथि के अवसर पर पैराडाइज सोशल ट्रस्ट बरेली द्वारा श्रद्धांजली दी गई। इस अवसर पर ट्रस्ट के अध्यक्ष अजय राज शर्मा ने बताया की कुंवर प्रताप सिंह बारहठ जिन्हें लोग कुंवर जी के नाम से भी जानते हैं। 25 वर्ष की अल्प आयु में ही देश के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी लेकिन अंग्रेजों के आगे नहीं झुके।
उन्होंने कहा कि कुंवर जी देश की युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल है। आज जहां देश की युवा पीढ़ी रील बनाने और इंटर नेट पर गेम खेलने में लगी हुई है वहीं कुंवर जी ने सारे ऐशो ओ आराम त्याग कर महज 19 वर्ष की आयु में देश की आजादी के लिए कूद पड़े।
कुंवर जी का नाम भारतीय ब्रिटिश विरोधी कार्यकर्ता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने देशवासियों के साथ क्रूडता करने वाले वायसराय चार्ल्स हार्डिग की हत्या की क्रांतिकारी प्रयास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
कुंवर जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए अजय राज शर्मा ने बताया कि दिसंबर 1912 में वायसराय का जुलूस दिल्ली के चांदनी चौक से निकाला जा रहा था। चार्ल्स हार्डिंग की हत्या के लिए क्रांतिकारियों के एक संगठन ने जुलूस पर बम फेंके थे।
क्रांतिकारियों के इस संगठन में बम फेंकने वालों में कुंवर जी अपने चाचा जोरावर सिंह बारहठ के साथ थे। इतना ही नहीं 1915 में बनारस में हुए सशस्त्र विद्रोह का नेतृत्व किया। 1916 में ब्रिटिश हुकूमत ने बनारस षडयंत्र मामले में गिरफ्तार किया। क्रांतिकारियों के नाम जानने के लिए अंग्रेजों ने उन्हें क्रूर यातनाएं दी लेकिन उन्होंने सहक्रांतिकारियों ने नाम बताने से मना कर दिया गया।
अजय राज शर्मा ने बताया कि 24 मई 1918 के दिन ही अंग्रेजों ने कुंवर जी को बरेली की जेल में फांसी की सजा दी थी। अमर शहीद कुंवर प्रताप सिंह बाराहठ की जयंति और पुष्यतिथि के अवसर पर पी डब्लू डी पार्क बरेली मे कुंवर जी की मूर्ति पर माल्यार्पण कर श्रध्दांजलि अर्पित की गई।
श्रध्दांजलि अर्पित करने वालो मे प्रमुख रूप से विमल पाण्डेय, संजीव पाण्डेय, कैलाश मित्तल, रामदयाल मेहता , नितिन काबरा , अमित नारनोली, पं अमित, विनय आदि रहे।
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