अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप निर्वाचित हो चुके हैं। वह 20 जनवरी को अपना पदभार संभालेंगे। इस बीच, ट्रंप ने शनिवार को ब्रिक्स देशों को चेतावनी दी है। उन्होंने ब्रिक्स देशों से कहा कि यदि उन्होंने अमेरिकी डॉलर के स्थान पर कोई और मुद्रा अपनाई तो उन पर 100% टैरिफ लगाया जाएगा। चेतावनी के साथ ही ट्रंप ने भारत, रूस, चीन और ब्राजील सहित नौ सदस्यीय समूह से प्रतिबद्धता मांगी है।
बता दें कि ब्रिक्स का गठन 2009 में किया गया था। साथ ही यह एकमात्र प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समूह है, जिसका संयुक्त राज्य अमेरिका हिस्सा नहीं है। इसके अन्य सदस्य दक्षिण अफ्रीका, ईरान, मिस्र, इथियोपिया और संयुक्त अरब अमीरात हैं।
गौरतलब हो कि पिछले कुछ वर्षों में ब्रिक्स के कुछ सदस्य देश, विशेष रूप से रूस और चीन, अमेरिकी डॉलर का विकल्प तलाश रहे हैं या यूं कहें कि वह अपनी ब्रिक्स मुद्रा बना रहे हैं। हालांकि, भारत अब तक रूस और चीन के इस कदम का हिस्सा नहीं रहा है।
सोशल मीडिया मंच पर ट्रंप ने पोस्ट कर दी चेतावनी
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया मंच ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट किया जिसमें उन्होंने कहा कि यह विचार कि ब्रिक्स देश डॉलर से दूर जाने की कोशिश कर रहे हैं। हमें इन देशों से एक प्रतिबद्धता की आवश्यकता है कि वे न तो एक नई ब्रिक्स मुद्रा बनाएंगे, न ही अमेरिकी डॉलर को बदलने के लिए किसी अन्य मुद्रा का समर्थन करेंगे। अगर ये देश ऐसा करने की सोचते हैं तो उन्हें 100% टैरिफ का सामना करना पड़ेगा।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार में ब्रिक्स देश नहीं ले सकते अमेरिकी डॉलर की जगह
चेतावनी देते हुए ट्रंप ने आगे कहा कि इस बात की कोई संभावना नहीं है कि ब्रिक्स अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अमेरिकी डॉलर की जगह ले लेगा। उन्होंने कहा कि जो भी देश ऐसा करने की कोशिश करेगा तो उसे अमेरिका को अलविदा कह देना चाहिए।
ब्रिक्स सम्मलेन में ब्राजील ने नई आम मुद्रा बनाने का रखा था प्रस्ताव
बता दें कि दक्षिण अफ्रीका में 2023 में हुए शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स देशों ने एक नई आम मुद्रा बनाने की संभावना पर विचार करने का निर्णय लिया। इस विचार का प्रस्ताव ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा ने रखा था। हालांकि, भारत ने इस दिशा में कोई बड़ा कदम उठाने से इनकार कर दिया। भारत का कहना है कि वह डॉलर से दूर जाने के खिलाफ है और इसके बजाय उसे अपने व्यापारिक साझेदारों के साथ व्यावसायिक समाधान तलाशने में दिलचस्पी है।
डॉलर को लक्ष्य बनाकर भारत ने कभी नहीं बनाई आर्थिक–राजनीतिक नीति
इस विषय पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत ने कभी डॉलर को लक्ष्य बनाकर अपनी आर्थिक या राजनीतिक नीति नहीं बनाई। हालांकि उन्होंने यह स्वीकार किया कि भारत के कुछ व्यापारिक साझेदारों के पास डॉलर नहीं होता, जिससे व्यापार करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में भारत को यह देखना होता है कि क्या वह इन साझेदारों के साथ व्यापार बंद कर दे या कोई ऐसा रास्ता निकाले, जिससे बिना डॉलर के व्यापार किया जा सके।
व्यापार करना है भारत का मुख्य उद्देश्य: एस जयशंकर
इस वर्ष एक अक्तूबर को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि कभी-कभी अमेरिका की नीतियों के कारण डॉलर का उपयोग करना कठिन हो जाता है, और इसलिए भारत को समाधान ढूंढ़ने की जरूरत है। भारत का मुख्य उद्देश्य अपना व्यापार करना है, और इसके लिए उसे अन्य मुद्राओं और आर्थिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नए तरीके अपनाने पड़ सकते हैं।
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