पूर्वी लद्दाख स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अप्रैल-मई, 2020 से चल रहे सीमा विवाद को सुलझाने के लिए भारत और चीन के बीच सहमति बन गई है। सहमति का वास्तविक रूप क्या होगा यह रूस के कजान में ही स्पष्ट हो पाएगा जब भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात होगी। माना जा रहा है कि इस सहमति के बाद मई 2020 की स्थिति की बहाली का रास्ता साफ हो जाएगा।
दोनों देशों की तैनात सेनाओं की हो सकती है वापसी
जानकारी के अनुसार यह समझौता विशेष रूप से डेमचोक और देपसांग में पैट्रोलिंग को लेकर हुआ है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि पेट्रोलिंग को लेकर हुए समझौते से दोनों देशों की सेनाओं के बीच एलएसी पर दोनों तरफ से तैनात सेनाओं की वापसी और एलएसी पर मई 2020 से पहले वाली स्थिति की बहाली का रास्ता साफ हो सकता है। यह सहमति दोनों देशों के बीच सैन्य कमांडर स्तर और कूटनीतिक स्तर पर चल रही वार्ताओं के कई दौर की वार्ता के बाद बनी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात
यह घोषणा भारत की रूस के कजान शहर में 22 एवं 23 अक्टूबर में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पीएम नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच होने वाली संभावित बैठक से पहले की गई है। दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक के बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं है लेकिन जिस तरह यह घोषणा की गई है उससे अनुमान लगाया जा रहा है कि बातचीत होगी।
इस बैठक में भारत-चीन सीमा विवाद के सुलझाने को लेकर और विस्तृत वार्ता होने की उम्मीद है। पिछले साल दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग में ब्रिक्स सम्मेलन में भी मोदी और जिनपिंग के बीच हुई वार्ता में सीमा विवाद का जल्द से जल्द समाधान की सहमति बनी थी।
पहले भी मोदी और जिनपिंग के हस्तक्षेप से रूका था विवाद
गौरतलब हो कि वर्ष 2017 में जब भूटान-चीन-भारत की सीमा पर स्थित डोकलाम में भारत व चीन के बीच लंबा सैन्य विवाद चला था तब उसका समाधान भी मोदी और जिनपिंग के बीच हस्तक्षेप से हुआ था।
कूटनीतिक सर्किल में चल रही है चर्चा
बता दें कि जुलाई 2024 में विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच दो बार द्विपक्षीय बैठकें हुई थी और उसके बाद विदेश मंत्रालय और सैन्य कमांडर स्तर पर होने वाली बैठकें भी हुई थी। इसके बाद से ही कूटनीतिक सर्किल में यह चर्चा थी कि भारत व चीन की तरफ से कोई बड़ी घोषणा हो सकती है।
भारत और चीन के रिश्ते सामान्य नहीं
अनुमान लगाया जा रहा है कि शीर्ष नेताओं की बैठक के बाद दोनों देशों की तरफ से सैनिकों की पूरी तरह से वापसी व एलएसी पर पहले वाली स्थिति का ऐलान हो सकता है। इस विवाद के शुरू होने के बाद से ही भारत का यह रुख रहा है कि भारत व चीन की सीमा पर अमन व शांति लाये बगैर दोनों देशों के रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते।
क्या है पेट्रोलिग विवाद की जड़?
जानकारी हो कि चीन ने एलएसी पर बड़े पैमाने पर चीनी सैनिकों की घुसपैठ की थी जिसके बाद भारत ने भी पूरे इलाके में बड़े पैमाने पर सैनिकों की तैनाती कर दी थी। इसके बाद गलवन घाटी में दोनों देशों के बीच खूनी संघर्ष भी हुआ जिसमें दोनों तरफ से सैनिकों को जान गंवानी पड़ी थी। इस तनाव के बाद भारत ने चीन के खिलाफ कई प्रकार के ठोस कदम भी उठाये थे जिसमें चीन की प्रौद्योगिकी व एप्स को प्रतिबंधित करना, चीन से आयात को हतोत्साहित करने जैसे कदम शामिल हैं।
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