पटना। तीसरी बार फिर भाजपा का दामन पकड़कर नीतीश कुमार ने सरकार बना ली है। वहीं उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी राष्ट्रीय जनता दल से भाजपा में शामिल हुए सम्राट चौधरी को दी गई है। कुशवाहा समाज से ताल्लुक रखने वाले सम्राट चौधरी शकुनी चौधरी के पुत्र हैं।
वहीं भाजपा ने बताया कि उनके विधायक दल की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी को विधायक दल का नेता चुन लिया गया है और विजय सिन्हा को उपनेता चुना गया है। बिहार की राजनीति में शकुनी चौधरी एक बड़ा नाम हैं।
कौन हैं सम्राट चौधरी
भाजपा ने 16 नवंबर, 1968 में जन्में सम्राट चौधरी को बिहार का नया डिप्टी सीएम बनाया है। बता दें कि सम्राट चौधरी के पिता शकुनी चौधरी का बिहार की राजनीति में बड़ा नाम है। समता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शकुनी चौधरी भी एक हैं। बिहार में शकुनी चौधरी का नाम कुशवाहा समाज के बड़े नेताओं में शुमार हैं। अब अपने पिता की विरासत को सम्राट चौधरी आगे बढ़ा रहे हैं।
सम्राट चौधरी ने अपने राजनैतिक करियर की शुरूआत 1990 में राष्ट्रीय जनता दल से की थी। साल 1999 में राबड़ी सरकार में सम्राट चौधरी को पहली बार कृषि मंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई थी। हालांकि उनकी कम उम्र को लेकर पार्टी में काफी विवाद हुआ।
विवाद को शांत करने के लिए उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था। साल 2018 में सम्राट चौधरी ने राजद से नाता तोड़कर भाजपा की सदस्यता ली। भाजपा में आने के बाद से सम्राट चौधरी का राजनीतिक कद लगातार बढ़ता गया और पार्टी ने साल 2022 में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया था।
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जातीय राजनीति में भाजपा के लिए अहम हैं सम्राट चौधरी
बिहार की राजनीति में जातीय समीकरणों की बहुत अहमियत है। सम्राट चौधरी कुशवाहा जाति से संबंध रखते हैं और बिहार में इस जाति का आधार करीब 7-9 प्रतिशत है। बिहार में यादव जाति के बाद दूसरे नंबर पर कुशवाहा जाति के ही वोटर हैं।
बिहार में हुए जातीय सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग 27 प्रतिशत, अति-पिछड़ा वर्ग 36 प्रतिशत है, जो राज्य की कुल आबादी का 63 प्रतिशत हो जाते हैं। बिहार की जातीय समीकरण को साधने में सम्राट कुशवाहा भाजपा के लिए अहम हैं।
अनुमान लगाया जा रहा है कि सम्राट कुशवाहा को डिप्टी सीएम बनाकर भाजपा लोक सभा चुनाव के लिए अपनी जमीन तैयार कर रही है।