दिल्ली। केन्द्र सरकार के लाख प्रयासों के बाद भी देश के विकास का पहिया लगातार कर्ज के दलदल में धंसता जा रहा है। राज्य सरकार की गलत नीतियों के चलते टैक्स का अधिकांश हिस्सा गैर जरूरी आवश्यकताओं में खर्च हो जाता है। जिस वजह से राज्य का विकास नहीं हो पा रहा है। राज्य सरकार की इन्हीं गलत नीतियों पर भारतीय रिजर्ब बैंक ने भी चिंता व्यक्त की है। इतना ही नहीं आरबीआई ने राज्य सरकारों को अपनी नीतियों को बदलने की भी सिफारिश की है।
बता दे कि राज्यों ने अप्रैल से दिसंबर 2022 तक जितना कर्ज लिया था उससे तकरीबन 52 प्रतिशत ज्यादा कर्ज जनवरी से मार्च 2023 के बीच में लिया है। देश में सर्वाधिक कर्ज लेने वाले राज्यों में कर्नाटक पहले नंबर पर है। वहीं दूसरी तरफ सबसे तेजी से कर्ज के दलदल में फंसने वाला राज्य पंजाब है।
पंजाब की वर्तमान स्थिति का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि पंजाब को अपना ब्याज देने के लिए भी कर्ज लेना पड़ रहा है। पंजाब की वित्तीय स्थिति को देखते हुए केन्द्र सरकार ने एक श्वेत पत्र भी जारी किया है।
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आय और व्यय में तालमेल
अर्थशास्त्रियों के अनुसार देश या राज्य के विकास के लिए कमाई का कम से कम एक तिहाई हिस्सा विकास और निर्माण कार्य पर खर्च करना चाहिए। ऐसा करने से देश और राज्य का विकास का पहिया अच्छे से घूमता रहता है। इससे देश और राज्य में कमाई के नए स्त्रोत पैदा होते रहते हैं जो राज्य के विकास में कार्य करते हैं।
परन्तु देश के कई राज्यों में खर्च का 90 प्रतिशत तक का हिस्सा, पेंशन, सैलरी, सब्सिडी आदि में खर्च कर दिया जाता है। शेष बचा हुआ 10 प्रतिशत हिस्सा निर्माण कार्य, कौशल विकास और स्वास्थ्य सेवाओं आदि पर खर्च किया जाता है। ऐसे में राज्य की कमाई होना नामुमकिन है। ऐसे में राज्य सरकारों द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी विकास कार्य की सबसे बड़ी अडचन बन कर उभरी है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण पंजाब है।
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कर्ज का बिजली कनेक्शन
राज्यों को कर्ज के दलदल में फंसने में बिजली वितरण कंपनियों की भी है। जानकारी के अनुसार बिजली कंपनियों के नुकसान की भरपाई को पूरा करने के लिए राज्य सरकार को बिजली की दरों को बढ़ाने की आवश्यकता है लेकिन बिजली दर को मंहगा करना राज्य सरकारों के लिए टेढी खीर साबित हो रहा है।
बिजली को सीधे तौर पर वोटर से जोड़ कर देखा जा रहा है। इसी कारण लगभग सभी राज्य बिजली महंगी करने के फैसले से बच रहे हैं। बता दें कि दिल्ली और पंजाब में मुफ्त बिजली के नाम पर सत्ता हासिल करने के बाद से सभी राजनीतिक दल बिजली दर की बढाने जैसे मुद्दे पर कतराते नजर आ रहे हैं।
परिणाम स्वरूप बिजली कंपनियों का घाटा राज्य सरकार अपनी जेब से पूरा कर रही है जिसकी वजह से राज्य सरकार के कर्ज में लगातार वृद्धि हो रही है। जानकारी के अनुसार जिन राज्यों में बिजली सप्लाई का कार्य निजी कंपनियों के हाथ में वहां हालात फिर भी बेहतर हैं। बिजली कंपनियों को सबसे अधिक घाटा आरबीआई द्वारा चिंहित पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, बिहार और केरल से हो रहा है। वर्तमान में यह सभी राज्य आरबीआई से सबसे अधिक कर्ज लेने वाले राज्य हैं।
भारत का सबसे नाजुक राज्य
कर्ज के दलदल में सबसे तेजी से फंसने वाले राज्यों में पंजाब का नाम पहले नम्बर पर है। हालांकि सबसे ज्यादा कर्ज लेने वाला राज्य कर्नाटक है लेकिन सबसे तेजी से कर्ज के दलदल में फंसने वाला राज्य पंजाब है।
वर्तमान में पंजाब की स्थिति का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि पंजाब सरकार को ऋण का ब्याज चुकाने के लिए भी आरबीआई से ऋण लेना पड़ रहा है। जानकारों के अनुसार पंजाब की यह स्थिति मुफ्त की योजनाओं को लागू करने के कारण हुई है। जिसके कारण पंजाब का डेट टू स्टेट जीडीपी का अनुपात 49 प्रतिशत पहुंच गया है।
भारत का सबसे बेहतर राज्य
भारत के समस्त राज्यों में सबसे अच्छी स्थिति ओडिशा राज्य की है। यह भारत का एकमात्र राज्य है जिसकी देनदारी में भारी कमी देखने को मिली है। आंकडों के अनुसार 2021-22 में ओडिशा पर 129356 करोड़ रूपए का ऋण था जो 2022-23 में घटकर 113856 करोड़ रूपए रह गया है।