हिन्दू धर्म में जन्माष्टमी का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। पंचाग के अनुसार श्री कृष्ण का जन्म भादो मास की अष्टमी तिथि को हुआ था। इस दिन भगवान श्री कृष्ण जन्मोत्सव होता है। इस दिन भक्त भगवान की पूजा-अर्चना कर उनके नाम का उपवास कर उनका जन्मोत्सव मनाते हैं। इस दिन श्री कृष्ण के बाल स्वरूप के रूप में उनकी मूर्ति का पूजन करना शुभ होता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित पियूष अवतार शर्मा के अनुसार इस वर्ष जन्माष्टमी पर बहुत ही शुभ योग बन रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष भी वैसे ही योग बन रहे है जैसे योग भगवान कृष्ण के जन्म के समय बने थे। बता दें कि इस बार कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व सोमवार के दिन 26 अगस्त को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त, शुभ योग, पूजा सामग्री और सब कुछ
दुर्लभ योग में जन्माष्टमी
वैदिक पंचांग के अनुसार साल 2024 में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त दिन सोमवार को जयंती योग में मनाया जाएगा। जयंती योग में जन्माष्टमी का व्रत करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान कृष्ण की आराधना करने से सभी मनोरथ पूर्ण होते है।
जन्माष्टमी पर शनि देव का दुर्लभ संयोग
जन्माष्टमी पर शनि देव 30 साल बाद कुंभ राशि में स्थित रहेंगे। ऐसे में वह शश नाम का राजयोग बना रहे हैं। जो कि दुर्लभ संयोग है। वहीं इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। इस योग में शुभ कार्य करने और पूजा-आराधना करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है।
जन्माष्टमी पर बन रहा गजकेसरी राजयोग
वैदिक ज्योतिष मुताबिक चंद्रमा 25 अगस्त को रात 10 बजकर 30 मिनट पर वृषभ राशि में प्रवेश कर जाएंगे जहां पहले से ही गुरु ग्रह विराजमान है। ऐसे में गजकेसरी योग का निर्माण हो रहा है। ये योग जन्माष्टमी के दिन पूरे दिन रहने वाला है।
हर्षण योग और जयंत योग का बन रहा है संयोग
वैदिक पंंचांग के मुताबिक 26 अगस्त 2024 को हर्षण योग और जयंत योग भी बन रहा है। मान्यता है इन योगों में कृष्ण की आराधना करने से मन मांगी मुराद पूरी होती है।
भगवान श्री कृष्ण का जन्म किस तिथि और नक्षत्र में हुआ था
भगवान श्री कृष्ण के जन्म के समय अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, लग्न वृषभ राशि और बुधवार का दिन था। वहीं भगवान का जन्म मध्य रात्रि को हुआ था।
जन्माष्टमी पर इन चीजों को घर पर लाना होता है शुभ
लड्डू गोपाल की मूर्ति, बांसुरी, मोर पंख, गाय और बछड़े की मूर्ति और माखन -मिश्री बाजार से लाना शुभ होता है।
मोर पंख लाएं खरीदकर
शास्त्रों के अनुसार जन्माष्टमी के दिन पूजा के समय इसे घर लाना शुभ माना जाता है। यह सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है और घर में नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है। साथ ही मोरपंख को भगवान श्री कृष्ण अपने सिर विराजमान करते हैं।
जन्माष्टमी पर खरीदकर लाएं वैजयंती माला
वैजयंती माला को भगवान श्री कृष्ण को अति प्रिय माना जाता है। इसलिए, वैजयंती माला खरीद कर घर में लाने से सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही आर्थिक स्थिति बेहद मजबूत होती है।
भगवान कृष्ण को इन चीजों का लगाएं भोग
इस दिन आप भगवान श्री कृष्ण को धनिया पंजीरी, माखन मिश्री, मिठाई में तुलसी दल, मखाना पाग, चरणामृत. मेवा खीर आदि का भोग बनाकर लगा सकते हैं।
भगवान कृष्ण को ऐसे कराएं स्नान
भगवान कृष्ण की धातु की प्रतिमा को किसी पात्र में रखें। साथ ही उस प्रतिमा को दूध, दही, शहद, शर्करा और अंत में घी से स्नान कराएं। इसी को पंचामृत स्नान कहते हैं। आप रात को 12 बजे भगवान के जन्म के बाद स्नान करा सकते हैं…
जन्माष्टमी के व्रत के दिन इन बातों का रखना चाहिए ध्यान
शास्त्रों के अनुसार जन्माष्टमी का व्रत रखने वाले व्रतियों को पूरे दिन ब्रह्मचर्य रखना चाहिए। साथ ही जन्माष्टमी के व्रत में भूलकर भी अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। जन्माष्टमी का व्रत रात को 12 बजे भगवान का जन्म करवाने के बाद खोलना चाहिए।
जन्माष्टमी के दिन इन कार्यों को करने से बचें
व्रत रखने वालों को गलती से भी दिन में सोना नहीं चाहिए। किसी को अपशब्द नहीं बोलने चाहिए। साथ ही इस दिन मांस- मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
प्याज और लहसुन न खाएं
जन्माष्टमी के दिन प्याज और लहसुन का सेवन भी वर्जित माना जाता है। इन दोनों ही चीजों को तामसिक माना जाता है और इनका सेवन करने से व्यक्ति के मन में अशुद्ध विचार आ सकते हैं।
जन्माष्टमी पर करें इन मंत्रों और स्तुतियों का जाप
ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नम:
ऊँ कृष्णाय नम:
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम:।।
ऊँ नमो भगवते श्रीगोविन्दाय नम:
ॐ देविकानन्दनाय विधमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण:प्रचोदयात
या फिर आप हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे का भी जाप कर सकते हैं।
बांके बिहारी मंदिर में साल में 1 बार ही होती है मंगला आरती
बांके बिहारी मंदिर में रोजाना मंगला आरती नहीं की जाती है। सिर्फ साल में एक ही बार यानी जन्माष्टमी के पर्व पर मंगला आरती होती है।
जानिए वृंदावन में कब मनाई जाएगी जन्माष्टमी
वृंदावन स्थित बांकेबिहारी मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 27 अगस्त को मनाई जाएगी। दरअसल, वृंदावन में मथुरा से ठीक एक दिन बाद ही जन्माष्टमी का उत्सव मनाने का विधान है।
जन्माष्टमी पूजा मुहूर्त 2024
कृष्ण जन्माष्टमी पूजा का मुहूर्त : रात 12 बजे से 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा, ऐसे में पूजा के लिए आपको 44 मिनट का समय मिलेगा।व्रत का पारण 27 अगस्त को सुबह 11 बजे तक किया जा सकेगा।
जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र
रोहिणी नक्षत्र की शुरूआत : 26 अगस्त, शाम 3 बजकर 54 मिनट से
रोहिणी नक्षत्र का अंत : 27 अगस्त, शाम 3 बजकर 39 मिनट पर
जन्माष्टमी तिथि 2024
अष्टमी तिथि की शुरुआत : 26 अगस्त, सुबह 3 बजकर 41 मिनट से
अष्टमी तिथि का अंत: 27 अगस्त, सुबह 2 बजकर 21 मिनट तक
दही हांडी : 27 अगस्त दिन मंगलवार
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नोट: यह सभी विचार ज्योतिषाचार्य पंडित पियूष अवतार शर्मा के हैं। कोई भी उपाए करने से पूर्व उनसे मोबाइल न. 9997862935 पर बात कर लें। दुर्ग दृष्टि का उनके विचारों को कोई सरोकार नहीं है।