पटना। बिहार की राजनीति में पिछले काफी समय से चल रही उलटफेर की अटकलें एक बार फिर सही हो गई। नीतीश कुमार ने रविवार सुबह आठवीं वार सीएम पद से त्याग पत्र सौंप दिया। उन्होंने राज्यपाल राजेंद्र अर्लेकर को बताया कि वे महागठबंधन से अलग होने का फैसला कर चुके हैं। इसके बाद देर शाम उन्होंने नौंवी बार भाजपा के समर्थन से सीएम पद की शपथ भी ले ली।
बिहार में अब आगे क्या?
जनता दल यूनाइटेड का भाजपा से गठबंधन तय है। नीतीश कुमार ने राज्यपाल को भाजपा के समर्थन का पत्र सौंप दिया है। राज्यपाल ने समर्थन पत्र स्वीकार कर लिया है। इसके बाद साफ हो गया है कि बिहार में नीतीश कुमार एक बार फिर भाजपा के समर्थन में तीसरी बार सरकार बनाएंगे।
243 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 78, जदयू के 45 और हम के 4 विधायक हैं। तीनों दलों को मिलाकर यह आंकड़ा 127 होता है, जो बहुमत के 122 के आंकड़े से पांच ज्यादा है।
वहीं दूसरी तरफ सभी की नजरें राजद और खासकर लालू प्रसाद और तेजस्वी के बयानों पर लगी हुई है। पहले भी जब नीतीश ने राजद से नाता तोड़ा था, तब दोनों ही पार्टियों के बीच काफी गर्मा गर्मी हुई थी।
नीतीश ने आठवीं बार छोड़ा है मुख्यमंत्री पद, नौवीं बार ली शपथ
नीतीश कुमार ने 28 वर्षों में यह आठवीं बार सीएम पद छोड़ा है, यह नौवीं बार है जब वह मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे हैं। हालांकि भाजपा के साथ उन्होंने तीसरी बार हाथ थामा है। पहली बार नीतीश कुमार 3 मार्च 2000 को सीएम बने थे। हालांकि, बहुमत न जुटा पाने की वजह से उन्हें 10 मार्च 2000 को पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
2005 में हुए चुनाव में नीतीश कुमार भाजपा के समर्थन से दूसरी बार मुख्यमंत्री पद हासिल किया था। 2010 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद एक बार फिर नीतीश सीएम बने। लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ पार्टी के खराब प्रदर्शन की वजह से उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया।
इस दौरान उन्होंने जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री पद सौंपा। 2015 में पार्टी में अंदरुनी कलह को देखते हुए नीतीश ने मांझी को हटाकर एक बार फिर खुद सीएम पद ग्रहण किया। 2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन (जदयू, राजद, कांग्रेस और लेफ्ट गठबंधन) की एनडीए के खिलाफ जीत के बाद नीतीश कुमार एक बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री बने।
यह कुल पांचवीं बार रहा, जब नीतीश ने सीएम पद की शपथ ली। डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद नीतीश कुमार ने महागठबंधन से अलग होने का फैसला किया। उन्होंने जुलाई 2017 में ही पद से इस्तीफा दिया और एक बार फिर एनडीए का दामन थाम कर सीएम पद संभाला।
2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन ने जीत हासिल की। हालांकि, इस चुनाव में जदयू की सीटें भाजपा के मुकाबले काफी घट गईं। इसके बावजूद नीतीश कुमार ने सीएम पद की शपथ ली।
2022 में एनडीए से अलग होने के एलान के ठीक बाद नीतीश कुमार ने राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन से जुड़ने का एलान कर दिया। महागठबंधन से जुड़कर नीतीश कुमार ने आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 28 जनवरी 2024 को उन्होंने आठवीं बार मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया।
नीतीश ने तीसरी बार थामा भाजपा के हाथ
पहली बार नीतीश कुमार ने 1996 में भाजपा से पहली बार गठबंधन किया था। 3 मार्च 2000 को सीएम बने, लेकिन बहुमत नहीं जुटा पाने की वजह से उन्हें यह पद छोड़ना पड़ा था उस समय अटलजी की सरकार में उन्हें केंद्र में रेल मंत्री बनाया गया था।
1996 से 2013 तक नीतीश भाजपा के साथ रहे। जब नरेंद्र मोदी को भाजपा ने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया तो वे एनडीए से अलग हो गए थे। 2015 में महागठबंधन की सरकार में सीएम रहे। दूसरी बार वे 2017 में एनडीए में लौटे और भाजपा की मदद से सरकार बनाई।
2024 में अब वे तीसरी बार भाजपा की मदद से मुख्यमंत्री बनेंगे। 28 साल में तीसरी बार वे भाजपा के साथ हैं।