नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा को अदालत से बड़ा झटका लगा है। अदालत ने सचिवालय को राघव चड्ढा को उनके सरकारी आवास से बेदखल करने से रोकने संबंधी फैसले को वापस ले लिया है। फैसला वापस लेते हुए अदालत ने कहा कि राघव चड्ढा को बंगले में रहने का कोई निहित अधिकार नहीं है क्योंकि यह केवल एक सांसद के रूप में दिया गया विशेषाधिकार था।
गौरतलब हो कि राघव चड्ढा को सितंबर 2022 को दिल्ली के पंडारा रोड पर टाइप आठ आवास बंगला आवंटित किया गया था। मार्च 2023 में उन्हें बताया गया कि उन्हें उनकी पात्रता से अधिक का फ्लैट आवंटित कर दिया गया था अत: उनका पुराना आवंटन रद्द कर उनकी पात्रता के अनुसार उन्हें दूसरा फ्लैट आवंटित किया गया है। जिसके विरोध में राघव चड्ढा ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
क्या कहा अदालत ने
मुकदमे की सुनवाई के बाद अतिरिक्त जिला न्यायाधीश सुधांशु कौशिक ने कहा कि वादी यह दावा नहीं कर सकता कि उसे राज्यसभा के सदस्य के रूप में पूरे कार्यकाल के दौरान सरकारी आवास पर कब्जा करने का अधिकार है। आवंटन वादी को दिया जाने वाला एक विशेषाधिकार है एवं इस पर कब्जा जारी रखने का अधिकार वादी को नहीं है।
क्या है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार सितंबर 2022 को राघव चड्ढा को दिल्ली के पंडारा रोड पर स्थित टाइप आठ आवास आवंटित कर दिया गया था। मार्च 2023 को राघव चड्ढा को सूचित किया गया कि उन्हें उनकी पात्रता से अधिक का आवास आवंटित किया गया था। इसलिए उनका आवंटन रद्द किया जा रहा है और उन्हें उनकी पात्रता के अनुसार दूसरा आवास आवंटित किया जा रहा है।
आवंटन रद्द करने के विरोध में राघव चड्ढा ने अदालत का रूख किया था। उन्होंने बंगला आवंटन रद्द करने के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा की मांग की थी। इस पर अदालत ने 18 अप्रैल को राज्यसभा सचिवालय को उन्हें आवंटित आवास से बेदखल करने पर रोक लगा दी थी।