सनातन धर्म में सावन के महीने का विशेष महात्व है। मान्यता है कि भगवान शिव को यह माह सबसे अधिक प्रिय है इसी कारण से इस माह को सबसे पवित्र महीना माना जाता है। इसी कारण भगवान भोलेनाथ के भक्त इस माह पूरे विधि विधान से उनकी पूजा अर्चना की जाती है।
पंचाग के अनुसार 19 वर्षों के बाद इस वर्ष अधिकमास सावन के महीने में पड़ रहा है जिसके कारण सावन का महीना 59 दिनों का रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह संयोग बहुत ही लाभकारी है। यह ऐसा समय है जिस समय में इंसान अपनी कालसर्प सहित कई समस्याओं का निदान आसानी से कर सकता है।
शास्त्रों के अनुसार समय समय पर ऐसे संयोग बनते रहते हैं जिससे लोग अपनी समस्याओं का निदान कर सकते हैं। ऐसा ही संयोग इस वर्ष सावन के महीने में भी देखने को मिल रहा है। इस वर्ष सावन का महीना 59 दिनों का पड़ रहा है। इस लिए इस वर्ष सावन में 8 सोमवार पड़ रहे हैं। यह दुर्लभ संयोग 19 साल बाद पड़ा है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दुर्भल संयोग का फायदा उठाते हुए कालसर्प दोष, पितृ दोष, सहित कई दोषों से आसानी से मुक्ति पा सकते हैं। मेरठ के ज्योतिषाचार्य पंडित पियूश अवतार शर्मा ने बताया कि सावन का महीना विशेष रूप से कालसर्प दोष और पितृ दोष से पीडित लोगों के लिए विशेष महात्व रखता है।
सावन में पाएं कालसर्प दोष से मुक्ति
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है उन लोगों से शिव जी को प्रसन्न करने के लिए कहा जाता है। शिव जी को सर्पों का देवता भी कहा जाता है। शिव जी को प्रसन्न करने से इस दोष का कुप्रभाव कम या समाप्त जाता है। सावन का महीना शिव का प्रिय महीना कहा जाता है।
शास्त्रों के अनुसार इस माह भगवान शिव कैलाश को छोड कर भूलोक पर भ्रमण करते हैं। शिव को प्रसन्न करने के लिए इससे अच्छा समय नहीं हो सकता है। पियूष अवतार शर्मा ने बताया कि अनुभव से उन्होंने पाया है कि सावन के प्रत्येक सोमवार को गन्ने के रस से शिव जी का अभिषेक करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है।
इसके साथ ही दूध, दही, भांग, धतूरा, बेल पत्र के अतिरिक्त कोई भी कच्ची सब्जी शिव जी को जरूर अर्पित करें। ऐसा करने से शिव जी की विशेष कृपा अपने भक्तों पर बनी रहती है।
सावन में करें पितृ दोष का निवारण
शिव जी प्रिय स्थानों में शमशन भी एक स्थान है। इसी कारण से शिव जी को महाकाल भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार यदि किसी की कुंडली में पितृ दोष है तो उस व्यक्ति को प्रत्येक सोमवार को शिव जी को आमरस अर्पित करना चाहिए। आम रस अर्पित करने के बाद शिव जी को दूध, दही, भांग, धतूरा, बेल पत्र के साथ कोई भी कच्ची सब्जी अर्पित करनी चाहिए। ऐसा करने से पितृ तृप्त होते हैं और पितृ दोष का प्रभाव कम या समाप्त हो जाता है।
नोट: यह सभी विचार मेरठ निवासी ज्योतिषाचार्य पंडित पियूष अवतार शर्मा जी के है। कृपया कोई भी उपचार करने से पूर्व उनसे 9997862935 नंबर पर संपर्क कर लें।