बिहार की राजनीति में सुशील मोदी का नाम बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है। भारतीय जनता पार्टी की बिहार इकाई में सुशील मोदी का नाम संकटमोचक के रूप में लिया जाता है। सुशील मोदी को राज्य में पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए धैर्यपूर्वक काम करने के लिए हमेशा याद किया जाएगा।
राजनीतिक जीवन की शुरुआत
सुशील मोदी का जन्म पांच जनवरी 1952 को एक वैश्य परिवार मे हुआ था। उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी की। सुशील मोदी ने पटना यूनिवर्सिटी से ही अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। वह 1973 में पटना यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन के जनरल सेक्रेटरी बने थे।
जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में 1974 के बिहार आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसी दौरान वह नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के संपर्क में भी आए। वह बिहार में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सबसे प्रमुख नेताओं में से एक बन गए। अक्सर राजनीति में वह अपने प्रवेश का श्रेय दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी को देते थे।
सुशील मोदी 5 बार हुए गिरफ्तार, 19 माह तक रहे जेल
सुशील मोदी को जेपी आंदोलन और इमरजेंसी के दौरान पांच बार गिरफ्तार किया गया था। वहीं 1974 में एक छात्र आंदोलन के दौरान भी उन्हें गिरफ्तार किया गया था। इमरजेंसी के दौरान भी सुशील मोदी को गिरफ्तार किया गया था और वह 19 महीने तक लगातार जेल में थे।
इमरजेंसी के बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का स्टेट सेक्रेटरी सुशील मोदी को नियुक्त कर दिया गया। एबीवीपी के कई अहम पदों पर भी सुशील मोदी ने अपनी जिम्मेदारी निभाई।
सुशील मोदी की सक्रिय राजनीति की शुरूआत
1990 के दौर में सुशील मोदी ने सक्रिय राजनीति में हिस्सा लेना शुरू किया और पटना सेंट्रल विधानसभा से विधायक चुने गए। उसके बाद 1995 और 2000 में भी सुशील मोदी पटना सेंट्रल विधानसभा से ही विधायक चुने गए।
वर्ष 2000 में सुशील मोदी नीतीश कुमार की सरकार में पार्लियामेंट्री अफेयर्स मिनिस्टर रहे और उन्होंने अलग झारखंड राज्य की मांग का भी समर्थन किया था। 2005 के बिहार विधानसभा चुनाव में जब एनडीए सत्ता में आई, तब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री चुने गए और बीजेपी ने सुशील कुमार मोदी को अपने विधायक दल का नेता बनाया और उन्होंने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर लालू को घेरा
2010 में जब एनडीए की दोबारा सरकार बनी, तब सुशील मोदी फिर से उपमुख्यमंत्री बने। वह 2013 तक उप मुख्यमंत्री रहे। वहीं 2017 में जब जेडीयू और आरजेडी की सरकार थी, उस दौरान सुशील मोदी ही इस सरकार के गिरने के पीछे के मुख्य कारण थे।
उन्होंने लगातार भ्रष्टाचार के मुद्दों पर लालू यादव को घेरा और अंततः यह सरकार गिर गई। इसके बाद नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ सरकार बनाई और सुशील मोदी तीसरी बार डिप्टी सीएम बने। 2020 में बिहार में विधानसभा चुनाव हुए और एनडीए की सरकार बनी।
लेकिन रामविलास पासवान के निधन के कारण उन्हें राज्यसभा भेज दिया गया। इसकारण इस बार पार्टी ने सुशील मोदी को डिप्टी सीएम नहीं बनाया। इसके बाद सुशील कुमार मोदी राजनीति में कम सक्रिय रहने लगे थे।
अटल बिहारी वाजपेयी ने सक्रीय राजनीति में आने का दिया निमंत्रण
सुशील मोदी द्वारा अक्सर एक किस्सा साक्षा करते थे, उन्होंने बताया कि 1986 में उनके विवाह समारोह में भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी ने उनसे कहा था कि अब छात्र राजनीति छोड़ने और ‘‘पूर्णकालिक राजनीतिक कार्यकर्ता’’ बनने का समय आ गया है।
उसके बाद ही उन्होंने अपनी चुनावी जमीन तैयार करना शुरू कर दिया और 1990 में पटना मध्य विधानसभा सीट से अपनी चुनावी यात्रा शुरू की।
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