धनखड़

Vice President: स्वतंत्रता के बाद की कहानियों में हुआ हेरफेर, धनखड़ बोले- केवल चुनिंदा लोगों को दिया गया श्रेय

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भारत की इतिहास की किताबों में स्वतंत्रता संग्राम के कुछ नायकों के साथ अन्याय हुआ है, क्योंकि स्वतंत्रता के बाद की कहानियों में हेरफेर करके केवल चुनिंदा व्यक्तियों को श्रेय दिया गया। यह बात उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक कार्यक्रम के दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि देश अपने इतिहास को उन लोगों को ‘कृपालु, चाटुकार, श्रेय देकर पोषित नहीं कर सकता, जिन्होंने निश्चित रूप से भूमिका निभाई, लेकिन दूसरों ने जो भूमिका निभाई, उसे नहीं। हम अपने नायकों को छोटा नहीं होने दे सकते।

देशभक्ति की भावना आने वाली पीढ़ियों में जगाना जरूरी

राजा महेंद्र प्रताप की 138वीं जयंती के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भावी पीढ़ियों में देशभक्ति की भावना जगाने के लिए बिना किसी लाग-लपेट के ऐतिहासिक विवरण प्रस्तुत करना अनिवार्य है। उपराष्ट्रपति ने किसानों से बातचीत और समझ के माध्यम से समस्याओं के समाधान के लिए काम करने का भी आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि देश अपने इतिहास को उन लोगों को ‘कृपालु, चाटुकार, श्रेय देकर पोषित नहीं कर सकता, जिन्होंने निश्चित रूप से भूमिका निभाई, लेकिन दूसरों ने जो भूमिका निभाई, उसे नहीं। हम अपने नायकों को छोटा नहीं होने दे सकते।

दूरदर्शी थे राजा महेन्द्र प्रताप

उन्होंने कहा कि 22 नवंबर 1957 को लोक सभा में राजा महेन्द्र प्रताप एक प्रस्ताव लाए कि हमें वीर सावरकर, वीरेंद्र कुमार घोष और डॉ. भूपेन्द्रनाथ दत्त को सम्मनित करना चाहिए, क्योंकि उन्होंने देश के मामलों और आज़ादी में बहुत बड़ा योगदान किया है।

टकराव की नीति खराब कूटनीति– उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने किसानों का जिक्र करते हुए कहा कि हमें याद रखना होगा कि हम अपने लोगों से नहीं लड़ते हैं। जब किसानों की समस्याओं का तुरंत समाधान नहीं हो रहा है, तो कोई कैसे सो सकता है? उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि टकराव की नीति खराब कूटनीति है। 

इतिहास के साथ की गई है छेड़छाड़ – धनखड़

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई है, कुछ लोगों का एकाधिकार बनाया गया है, जिससे हमें आजादी मिली है। यह हमारी अंतरात्मा पर असहनीय दर्द है। यह हमारी आत्मा और दिल पर बोझ है।

उन्होंने कहा कि यह न्याय का उपहास है कि हम महेंद्र प्रताप जैसे महान पुरुषों के ऐसे वीरतापूर्ण कार्यों को पहचानने में बुरी तरह विफल रहे हैं। जगदीप धनखड़ ने कहा कि यदि आप हमारी स्वतंत्रता की नींव को देखें तो हमें बहुत अलग तरीके से पढ़ाया गया है। हमारी स्वतंत्रता की नींव राजा महेंद्र प्रताप सिंह और अन्य गुमनाम नायकों या कम प्रसिद्ध नायकों जैसे लोगों के सर्वोच्च बलिदानों पर बनी है।

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