आपने फिल्मों के टिकट ब्लैक में बिकते हुए देखा या सुना जरूर होगा, क्या आप जानते हैं कि क्रिकेट जगत में एक व्यक्ति के खेलने मात्र से टिकट के दाम दोगुने हो जाते थे। जी हां हम बात कर रहे हैं इंग्लैंड के ऑलराउंडर खिलाडी डब्ल्यू जी ग्रेस की।उनके रिकॉर्ड और लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें फादर ऑफ क्रिकेट के नाम से भी जाना जाता है। उन्हें चैम्पियन और डॉक्टर के नामों से भी पुकारा जाता था। वह अपनी लंबी दाड़ी के लिए भी जाने जाते थे।
डब्ल्यू जी ग्रेस का जन्म इंग्लैंड के ब्रिस्टर में 18 जुलाई 1848 में हुआ था। उन्होंने अपने क्रिकेट के कैरियर की शुरूआत 32 वर्ष की उम्र में शुरू की थी। उन्होंने अपने जीवन का पहला टेस्ट मैच 1880 में इंग्लैंड की धरती पर खेला था। पहले ही मैच में उन्होंने 152 रनों की पारी खेली थी। उन्होंने अपना अंतिम टेस्ट 51 वर्ष की आयु में खेला। ग्रेस ने 32.29 की औसत से 1098 रन 22 टेस्ट मैचों में बनाए थे। डब्ल्यू जी ग्रेस का नाम धाकड ऑलराउंडर के रूप में लिया जाता था। वह धुरंधर बल्लेबाज के साथ एक अच्छे गेंदबाज और गजब के फील्डर थे। उनकी लंबी दाडी उनकी सबसे बड़ी पहचान थी। माना जाता है कि आधुनिक क्रिकेट डब्ल्यू जी ग्रेस की ही देन है।
ग्रेस के रिकॉर्ड
डब्ल्यू जी ग्रेस के रिकॉर्डों के बारे में सुन कर आप दंग रह जाएंगे। उन्होंने 870 प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 39.45 की औसत से 54211 रन बनाए थे। इसमें 124 शतक और 251 अर्धशतक शामिल हैं। वहीं अपनी गेंदवाजी का प्रदर्शन करते हुए 18.14 के एवरेज से कुल 2809 विकेट भी लिए थे।
इन मैचों में 49 देकर सभी 10 विकेट लेने का रिकॉर्ड भी डब्ल्यू जी ग्रेस के नाम है। इसके साथ ही उनके नाम दो बार तिहरे शतक मारने का भी रिकॉर्ड है इतना ही नहीं एक सीजन में 2000 रन बनाने का रिकार्ड भी इनके नाम है। 100 शतक लगाने वाले विश्व के पहले क्रिकेटर का खिताब भी ग्रेस के ही नाम है। इंग्लैंड में पहला टेस्ट शतक और डेब्यू पर शतक बनाने वाले भी वह पहले इंग्लिश खिलाड़ी रहे।
डब्ल्यू जी ग्रेस से जुड़ा रोचक किस्सा
डब्ल्यू जी ग्रेस से जुड़ा एक रोचक किस्सा भी है। संभवत: यह क्रिकेट के इतिहास की पहली और आखरी घटना हो। एक बार मैच के दौरान वह बोल्ड हो गए, उन्होंन गिल्लियों को वापस स्टंप्स पर रखा और दोबारा खेलने लगे। उस समय किसी मे इतनी हिम्मत नहीं थी की वह ग्रेस से बहस कर सकते। इसके अतिरिक्त उड़ती चिडिया को कंकड मारना उनकी आदत थी।
पिता बनाना चाहते थे उन्हें डाक्टर
डब्ल्यू जी ग्रेस के पिता हेनरी मिल ग्रेस डाक्टर थे और वह अपने बेटे डब्ल्यू जी ग्रेस को भी डाक्टर बनाना चाहते थे। इसलिए उनके पिता ने 1868 में ब्रिस्टल मेडिकल कॉलेज में उनका दाखिला करा दिया था। क्रिकेट खेलत रहने के कारण उन्हें मेडिकल की परीक्षा पास करने में 11 वर्ष लग गए तभी से लोग उन्हें डॉक्टर कहकर पुकारने लगे।
दिल का दौरा पडने से हुई मौत
डब्ल्यू जी ग्रेस ने अपने जीवन में 22 टेस्ट मैच खेले थे जिनमें से अंतिम 13 मैचों में वह टीम के कप्तान रहे। पहले विश्व युद्ध के दौरान हवाई हमले के दौरान उन्हें दिल का दौरा पड गया था। जिसके चलते 23 अक्टूबर 1915 को उनका निधन हो गया