बरेली। ब्रह्मपुरी में चल रही ऐतिहासिक 164 वीं रामलीला में आज गुरु व्यास मुनेश्वर जी ने लीला के साथ-साथ वर्णन किया कि रामायण के महायुद्ध में जब लक्ष्मण ने मेघनाद का वध कर दिया तब स्वयं लंकाधिपति रावण ने युद्ध करने का निश्चय किया और अपनी सेना को लेकर रणक्षेत्र में आया। राम और रावण के बीच घमासान युद्ध होने लगा।
ब्रह्माजी ने भगवान् श्रीराम के लिए रथ का प्रबंध किया क्योकि रावण महामायावी योद्धा था। भगवान् श्रीराम और रावण के बीच भीषण युद्ध होने लगा युद्ध में जब प्रभु श्री राम रावण के सिर काट देते लेकिन तुरंत ही रावण के धड़ पर नया सिर आ जाता था।
प्रभु श्री राम रावण की इस माया को देखकर हैरान थे। हर बार प्रभु श्रीराम रावण का सिर काटते थे तुरंत ही रावण के धड़ पर नया सिर आ जाता था। रावण के वध का कोई उपाय न देखकर भगवान राम चिंता में पड़ गए।
तब रावण का छोटा भाई विभिषण प्रभु श्रीराम के पास आकर कहने लगा कि हे रघुकुल शिरोमणि रावण महायोगी है। इसने अपने योग बल से प्राण को नाभि में स्थिर कर रखा है। रावण की मृत्यु उनकी नाभि में स्थित है कृपया आप अपने दिव्य बाण रावण की नाभि में मारिए।
प्रभु श्रीराम ने विभीषण की बात को मानकर अपने धनुष से एक दिव्य बाण चलाया जो सीधा रावण की नाभि में जाकर लगा। बाण लगते ही रावण श्रीराम का जप करते हुए भूमि पर गिर पड़ा, इस तरह भगवान श्रीराम रावण का वध करने में सफल हुए।
रावण की मृत्यु की सूचना मिलते ही मंदोदरी युद्ध भूमि पर गई और भयानक विनाश देखकर अत्यंत दुखी हुई। भगवान राम ने अपने वचन के अनुसार लंका का राजपाट विभीषण को सौंप दिया।
रामायण के अनुसार भगवान राम ने मंदोदरी से कहा कि वह अब भी लंका की महारानी है। राम और रावण का ये युद्ध करीब 8 दिन चला। आज की लीला का सार ये है कि बुराई चाहें जितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो जीत हमेशा सच्चाई और अच्छाई की ही होती है।
प्रवक्ता विशाल मेहरोत्रा ने बताया कि कल अर्थात 5 अप्रैल को श्री रामजी की शोभायात्रा निकलेगी जो शहर के विभिन्न क्षेत्रों से गुजरेगी।
अध्यक्ष सर्वेश रस्तोगी ने रामभक्तों से शोभायात्रा में अधिक से अधिक संख्या में आने की अपील की और बताया कि भरत मिलाप की लीला 5 अप्रैल को ही साहूकारें में संपन्न होगी तथा छह अप्रैल को श्रीराम राज्याभिषेक के बाद लीला का विधिवत समापन होगा।