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Syria: बड़ा प्रश्न आखिर असद ने ईरान की जगह रूस में ही क्यों ली शरण? रूस में कितने सुरक्षित है बशर अल असद

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24 वर्षों तक सीरिया में शासन करने वाले बशर अल असद का शासन अब खत्म हो चुका है। मात्र 13 दिन के अंदर विद्रोही बलों ने अलेप्पो से लेकर राजधानी दमिश्क पर अपना अधिकार कर लिया है। विद्रोहियों का यह अभियान कितना बड़ा था, इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि शनिवार और रविवार के बीच दमिश्क घेरने के बाद उसने दोपहर तक राजधानी पर कब्जा भी कर लिया।

राजधानी पर कब्जे के बाद सीरियाई सेना के पास नेतृत्व की भारी कमी दिखी और उसके कई सैनिक बॉर्डर पार कर पड़ोसी देशों में शरण के लिए पहुंचने लगे। इस प्रकार मात्र 13 दिनों में विद्रोही बलों ने असद परिवार की 50 साल की सत्ता छीन ली।

काफी इंतजार के बाद रूस ने दी असद को शरण देने की जानकारी

जानकारी के अनुसार विद्रोही संगठनों के दमिश्क पहुंचने के बाद सब यही जानना चाह रहे थे कि आखिर बशर अल-असद हैं कहां? रविवार सुबह रूस की तरफ से बयान जारी कर कहा गया कि असर किसी सुरक्षित ठिकाने की तरफ जा चुके हैं। इसी बीच सोशल मीडिया पर उनके विमान पर हमले की खबरें भी तेजी से वायरल होने लगी थी।

वहीं कुछ रिपोर्ट्स में प्लेन क्रैश होने और असद की मौत से जुड़ी चर्चाएं भी सामने आईं। इस बीच रूस ने इन सभी अफवाहों पर रोक लगाते हुए साफ किया कि असद और उनके परिवार को उसने शरण दी है।

ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि आखिर रूस ने खुफिया तरीके से असद को कैसे निकाला? सीरिया के राष्ट्रपति ने रूस को ही क्यों चुना? और असद के लिए रूस कितना सुरक्षित है? इस लेख में हम आपको यही समझाने का प्रयास कर रहे हैं।

असद को रूस ने कैसे निकाला

सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के प्रमुख रमी अब्दुररहमान के अनुसार बशर अल-असद शनिवार और रविवार की दरमियानी रात ही सीरिया छोड़कर भाग निकले। विमानन गतिविधियों पर नजर रखने वाली संस्था के अनुसार दमिश्क एयरपोर्ट से एक इल्युशिन एयरक्राफ्ट ने ठीक उस वक्त उड़ान भरी, जब विद्रोहियों ने शहर पर कब्जा शुरू किया। हालांकि यह एयरक्राफ्ट कहां जा रहा था इसकी जानकारी किसी को भी नहीं दी गई थी। 

वहीं अब्दुर रहमान के अनुसार विमान को शनिवार रात को 10 बजे ही उड़ान भरनी थी। फ्लाइट रडार ने दिखाया कि उड़ान भरने के कुछ देर बाद ही कार्गो विमान को दमिश्क के पूर्व में उड़ते देखा गया। इसके बाद वह उत्तर-पश्चिम दिशा की तरफ गया, जहां मध्य होम्स शहर के बीच विमान अचानक से नीचे आ गया।

इसी बीच विमान का सिग्नल खो गया। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इसकी वजह विमान की तरफ से ट्रैकिंग बंद करना भी हो सकता है। जानकारी के अनुसार सीरिया से रविवार सुबह एक और विमान ने उड़ान भरी, लेकिन यह विद्रोहियों के दमिश्क पहुंचने के काफी देर बाद उड़ी। 

रूस असद के लिए कितना सुरक्षित?

रूसी न्यूज एजेंसियों के अनुसार असद और उनके परिवार को मानवीय आधार पर शरण दी गई है। अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में रूस का नेतृत्व करने वाले मिखाइल उल्यानोव ने अपने टेलीग्राम हैंडल पर कहा- रूस कभी मुश्किल हालात में अपने दोस्तों को नहीं छोड़ता।

वहीं एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार असद को मिस्र और जॉर्डन की सलाह पर रूस के मॉस्को पहुंचाया गया। दूसरी तरफ ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कहा गया कि असद कुछ समय बाद ही ईरान की राजधानी तेहरान में शरण ले सकते हैं। 

हालांकि, ईरान में इस्राइली खुफिया तंत्र की मौजूदगी और उसके बढ़ते हमलों ने इस देश को असद के लिए अब सुरक्षित नहीं छोड़ा है। कुछ दिनों पहले ही ईरान में हमास के प्रमुख इस्माइल हानिया को इस्राइल ने कथित तौर पर मार गिराया था। वहीं, कई परमाणु वैज्ञानिकों और अपने दुश्मनों को इस्राइल ने ईरान की ही जमीन में खुफिया अभियानों में मारा है। ऐसे में ईरान के मुकाबले रूस बशर अल-असद के लिए ज्यादा सुरक्षित ठिकाना है।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अमेरिकी सुरक्षा एजेंसी भी अब तक असद की लोकेशन को लेकर निश्चित बयान नहीं दे सकी हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने रविवार देर रात एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि उन्हें अब तक असद के ठिकाने के बारे में पक्की जानकारी नहीं है, लेकिन चर्चा है कि वह मॉस्को में हैं। इस लिहाज से साफ है कि रूस फिलहाल असद के लिए सुरक्षित जगह है।

असद के लिए रूस ही क्यों है सुरक्षित ठिकाना?

जानकारों के अनुसारबशर अल-असद का सीरिया छोड़कर रूस भागना लगभग तय था। दरअसल, असद के 20 साल के शासन के दौरान रूस और ईरान ने उनकी सत्ता का समर्थन किया। जबकि पश्चिमी देशों ने लगातार उन पर सीरियाई लोगों के खिलाफ कठोरता बरतने का आरोप लगाया।

2011 के बाद सीरिया में शुरू हुए गृहयुद्ध के दौरान पश्चिमी देशों ने असद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था और कई विद्रोही संगठनों को वित्तीय सहायता और हथियार मुहैया कराए थे। यह संगठन बाद में सीरिया में इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया को मजबूत करने में बड़ी भूमिका में रहे, जिसके खिलाफ अमेरिका को खुद भी मोर्चा संभालना पड़ा। 

हालांकि, इस पूरे गृह युध के दौरान रूस और ईरान असद की सत्ता के साथ खड़े रहे। विशेषज्ञों के अनुसार 2011 में ही अरब क्रांति की शुरुआत के दौरान जब लीबिया से मुअम्मर गद्दाफी की सत्ता खत्म हुई तब रूस को पश्चिम एशिया में सिर्फ बशर अल-असद का ही सहारा था। पुतिन ने इसी एवज में असद को हर तरह से मदद मुहैया कराई। 

2011 से 2017 तक जब विद्रोही लगातार सीरियाई सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़े हुए थे, तब रूस ने ईरान और उसके समर्थित संगठनों के साथ मिलकर असद की सत्ता बचाई थी। इस दौरान रूस ने हवाई हमलों से विद्रोही संगठनों को समाप्त कर दिया था और अधिकतर क्षेत्रों में असद का शासन फिर स्थापित किया था।

कई अवसरों पर रूस की सैन्य पुलिस ने क्षेत्र में अलग-अलग समुदाय के झगड़ों को सुलझाने में मदद की।  2015 में संयुक्त राष्ट्र में एक भाषण के दौरान व्लादिमीर पुतिन ने असद के समर्थन में पश्चिमी देशों को लताड़ लगाई थी। उन्होंने कहा था कि सीरिया के राष्ट्रपति के तौर पर असद का समर्थन न कर के पश्चिमी देश बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं।

रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी सीरिया के खिलाफ लाए गए कई प्रस्तावों को वीटो किया था। जानकारों का मानना है कि पुतिन के इसी समर्थन की वजह से उनकी सेना को सीरिया और बड़े स्तर पर पश्चिम एशिया में अमेरिका-यूरोप के खिलाफ प्रभाव बनाने में मदद मिली थी। इस क्षेत्र में मौजूदगी के जरिए रूस ने मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात से रिश्ते और बेहतर किए।

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