नव दुर्गे

9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि आरंभ, जानें पूजा करने का सही तरीका

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बरेली, दुर्ग दृष्टि। सनातन धर्म में चैत्र नवरात्रों का एक विशेष महत्व है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि आरंभ हो जाती है। चैत्र नवरात्रि के शुभारंभ होने के साथ ही नया हिंदू वर्ष भी आरंभ होता है। बता दें हिंदू पंचांग के अनुसार पूरे एक साल में चार नवरात्रि आती है। जिसमें पहली होती है चैत्र नवरात्रि, दूसरी होती है शारदीय नवरात्रि इसके अतिरिक्त दो गुप्त नवरात्रि होती हैं।

चैत्र नवरात्रि पर 9 दिनों तक मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा व अराध्ना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि पर देवी दुर्गा पृथ्वी लोक आती है और अपने सभी भक्तों की हर मनोकामना को पूर्ण करती हैं। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व 09 अप्रैल को मंगलवार से शुरू हो रहे हैं और समापन 17 अप्रैल को राम नवमी पर होगा।

अश्व पर सवार होकर आएंगी मॉ

मेरठ के ज्योतिषाचार्य पं. पीयूश अवतार शर्मा ने बताया कि इस नवरात्रि में माँ अश्व पर बैठ कर आ रही है। जो की प्रत्येक कार्य क्षेत्र में सफलता का संकेत देता हैं। इस नवरात्रि में शुभ रंग पीला है। इसलिए मां का स्वागत व आराधना पीले आसन व चुनरी से करना शुभ रहेगा है। नवरात्रि के दौरान मॉ को फल का प्रसाद पढ़ा कर परिवार में प्रसाद बांट कर खाना है।

Dr.-Piyush-Avtar-Sharma

कैसे करें मॉ दुर्गा की आराधना

पंडित जी ने बताया कि मॉ के सामने एक पान, दो सुपारी, दो लोंग, दो इलाइची, एक जायफल रखना है। इस पर अपनी श्रद्धा के अनुसार सवा रूपया या 11 रुपए चढ़ाए। अपने उल्टे हाथ की तरफ अर्थात मां के सीधे हाथ की तरफ कलश की स्थापना करें। कलश के ऊपर नारियल चुनरी में लपेट कर व कलावा से बांध कर चावल रोल 1 रुपये का सिक्का डालकर रखना है।

पूजा करते समय आसन थोड़ा मोटा रखना है। आसन जूट का हो तो ज्यादा अच्छा है। माता की ज्योत खड़ी बत्ती की जलानी है। हवन में एक छोटा कपूर, दो लौंग अगयारी पर रखना है। सामग्री की (ॐ) के उच्चारण से 21 आहूती देनी है पूजा सम्पूर्ण होने पर नाम जाप जरूर करता है। चाहे गुरू द्वारा दिया गया हो या स्वेच्छा का हैं।

कलश स्थापना का समय

कलश स्थापना समय 9 अप्रैल को प्रात: 11.33 से 12.24 के बीच का अभिजित मुहूर्त हैं।

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