दिल्ली। किसी भी देश का विकास उस देश की आर्थिक स्थिति पर निर्भर करती है। यदि किसी देश की आर्थिक स्थिति अच्छी होती है तो उस देश का विकास होना निश्चित है। लेकिन कर्ज वह दलदल है तो देश का विकास तो छोडिए ऐसी दलदल में ले जाता है जहां लोगों के जीवन यापन तक मुश्किल हो जाता है।
जो देश और राज्य दोनों के लिए ही घातक है। रिजर्ब बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की रिपोर्ट के अनुसार भारत के कुछ राज्यों की स्थिति बहुत खराब है, जो लगातार कर्ज की दलदल में धंसते ही जा रहे हैं। आरबीआई ने चेतावनी दी है कि यदि इन राज्यों ने अपने कर्ज और खर्च का सही से प्रबंधन नहीं किया तो स्थितियां बहुत ही गंभीर हो सकती हैँ।
बता दे कि आरबीआई ने राज्यों की वित्तीय हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए एक रिपोर्ट जारी की है। जिसमें उसने राज्यों की वित्तीय स्थिति और कर्ज के प्रबंधन पर चिंता व्यक्त की है। आरबीआई ने देश के ऐसे राज्यों को चिन्हित किया है जो राज्य को कर्ज के दलदल में धंसाते जा रहे हैं। आरबीआई ने चेतावनी देते हुए इन्हें कर्ज और खर्च का सही से प्रबंधन करने को कहा है। साथ ही कहा है कि यदि खर्च का प्रबंधन सही प्रकार से नहीं किया गया तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
क्या है कर्ज का मानक
भारत सरकार ने केन्द्र और राज्यों की वित्तीय जवाबदेही के लिए एफआरबीएम कानून में बदलाव करते हुए एनके सिंह समिति का गठन किया है। समिति ने केन्द्र और राज्यों के वित्तीय जवाबदेही के लिए कुछ मानक निर्धारित किए हैं।
समिति द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार राज्य सरकार अपनी जीडीपी के 60 प्रतिशत तक कर्ज ले सकता है। अर्थात समिति ने सिफारिश की है कि केन्द्र सरकार का डेट टू जीडीपी का अनुपात 40 प्रतिशत और राज्य सरकारों का सामूहिक कर्ज 20 प्रतिशत तक ही रखा जाना चाहिए। वहीं आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार टॉप पांच राज्यां में कर्ज का औसत 35 प्रतिशत से भी ऊपर है।
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चिंता बढाने वाले राज्य
रिजर्ब बैंक ऑफ इंडिया द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार देश के कुछ ऐसे राज्य हैं जो धीरे धीरे डेट ट्रैप में फंसते जा रहे हैं। आरबीआई के रिपोर्ट के अनुसार पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, बिहार और केरल कुछ ऐसे राज्य है जो लगातार कर्ज में डूबते जा रहे हैं। इतना ही नहीं इन राज्यों की आय और व्यय का प्रबंधन भी ठीक नहीं है। अर्थात यह राज्य सही स्थान पर राज्य का पैसा खर्च नहीं कर रहे हैं। जिसकी वजह से राज्यों की आय नहीं बढ़ रही है।
रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि राज्य सरकार आय बढ़ाने के स्त्रोत पर सही से खर्च नहीं कर रही है जिसकी वजह से राज्य में आय के नए स्त्रोत पैदा नहीं हो रहे हैं, जिसकी वजह से इन राज्यों में भविष्य में कर्ज की स्थिति और अधिक खराब हो सकती है। इतना ही नहीं इन राज्यों का वित्तीय घाटा भी चिंता का विषय बना हुआ है। आरबीआई ने इन सभी राज्यों को व्यय कम करने के लिए सब्सिडी का बोझ कम करने की सलाह दी है।
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कर्ज की दृष्टी से संवेदनशील राज्य
आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, बिहार और केरल के अतिरिक्त कुछ राज्य ऐसे भी है जहां कर्ज की समस्या कभी भी बड़ा रूप धारण कर सकती है। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, झारखंड, आंध्र प्रदेश और मध्यप्रदेश प्रमुख रूप से शामिल हैं।
इन राज्यों का भी डेट टू स्टेट जीडीपी का औसत मानक 20 प्रतिशत से कही ऊपर है। एनके सिंह समिति की रिपोर्ट के अनुसार जिस राज्य को औसत से जितना अधिक प्रतिशत ऋण दिया जाता है उस राज्य की उतना ही कम ऋण चुकाने की क्षमता होती है। इसका अर्थ साफ है कि ये राज्य भी तेजी के साथ डिफॉल्ट की स्थिति की ओर बढ़ रहे हैं।