भारत में अंगदान को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ती ही जा रही है। पिछले एक दशक में अंगदान के मामलों में तीन गुना की वृद्धि नोट की गई है। लोगों की जागरूकता के कारण लगातार अंगदान करने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। जिसकी वजह से हजारों लोग लाभांवित हो रहे हैं। यह बात केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने 13 वें भारतीय अंगदान दिवस (आईओडीडी) पर आयोजित एक कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि इंसानियत के लिए अंगदान से बड़ी कोई सेवा नहीं हो सकती है।
जानकारी हो कि भारत में प्रत्ये वर्ष 95 लाख लोगों की मृत्यु होती है जिसमें से लगभग एक लाख संभावित दानकर्ता होते हैं परंतु फिर भी प्रत्येक वर्ष लाखों लोगों की मृत्यु ऑर्गन फेलियर के कारण होती है। अनुमान के अनुसार प्रतिदिन लगभग 300 लोग और प्रत्येक वर्ष लगभग एक लाख लोगों की मौत ऑर्गन फेलियर के कारण होती है। अंगदान को बढावा देकर मौत के इस आंकडे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
मनसुख मंडाविया ने कहा कि भारत सरकार के प्रयासों के चलते पिछले दस वर्षों में अंगदान में विशेष सुधार आया है। 2013 से पहले तक 5000 लोग अंगदान करते थे किन्तु अब देश में प्रत्येक वर्ष 15000 से अधिक लोग अंगदान करते हैं। अंगदान को लेकर लोगों में जागरूकता आ रही है जिसके चलते लोग अंगदान कर रहे हैं। यह लोगों में बढ़ रही इंसानियत का प्रत्यक्ष उदाहरण है।
अंगदान करने वालों के परिजनों को किया संमानित
13वें भारतीय अंगदान दिसव के अवसर पर अंगदान करने वालों के परिजनों को संमानित किया गया था। इस अवसर पर मंडाविया ने कहा कि इस प्रकार का सम्मान समाहरोह अत्यंत आवश्यक है। इस प्रकार के कार्यक्रमों के माध्यम से उन सभी लोगों की सराहना की जानी चाहिए जिनके प्रियजनों ने अंगदान कर लोगों को जीवनदान दिया है।
अंगदान के मामलों में हुई तीन गुना की बृद्धि
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि एक दशक पहले तक पूरे वर्ष में मात्र 5000 लोग ही अंगदान किया करते थे। सरकार के प्रयासों के चलते लोगों में अंगदान को लेकर जागरूकता आई है जिसके चलते अब प्रत्येक वर्ष 15000 से अधिक लोग अंगदान कर रहे हैं। तीन गुने की बृद्धि से स्पष्ट है कि लोगों में अंगदान को लेकर जागरूकता आ रही है। लोगों की इसी जागरूकता के चलते हजारों की संख्या में लोगों की जान बचाई जा रही है। उन्होंने संभावना व्यक्त करते हुए कहा कि जिस प्रकार से जागरूकता बढ़ रही है अनुमान लगाया जा सकता है कि जल्द ही अंगदान करने वालों की संख्या में और भी बृद्धि होगी।
अंगदान को प्रत्साहन देने का प्रयास
सूत्रों से प्राप्त आंकडों के अनुसार वर्ष 2013 में स्वेच्छा से लगभग 5000 लोग अंगदान के लिए आगे आए थे, जबकि वर्तमान में 15000 से अधिक लोग अंगदान के लिए आगे आए है। वहीं दूसरी तरफ अंगदान को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी कई कदम उठा रही है। इसी क्रम में सरकार ने अंगदान करने वालों की आयु सीमा 65 वर्ष से हटा दी है। इसके साथ ही सरकार अंगदान को लोकप्रिय बनाने के लिए कई और नीतियां और सुधार लाने की तैयारी कर रही है।
अंगदान की कमी विशेष समस्या
स्वास्थ्य विभाग के आंकडों के अनुसार भारत में अब भी अंगदान की कमी विशेष समस्या है जो चिंता का विषय है। मांग और प्रत्यारोपण के बीच बड़े अंतर के चलते देश में हजारों लोगों की मौत हो जाती है। डॉक्टरों के अनुसार देश में लीवर और हृदय के साथ किडनी, फेफड़ो और कॉर्निया के प्रत्यारोपण के लिए मरीजों की लंबी सूची है। एक रिपोर्ट के अनुसार प्रत्येक वर्ष लगभग दो लाख से अधिक मरीज लीवर फेलियर या लिवर कैंसर के चलते मर जाते हैं। जिनमें से करीब दस से पन्द्रह प्रतिशत लोगों को लीवर प्रत्यारोपण के द्वारा बचाया जा सकता है। देश में प्रतिवर्ष लगभग 25 हजार से 30 हजार लोगों को लिवर प्रत्यारोपण की आवश्यकता है जबकि प्रत्यारोपण मात्र 1500 लोगों का ही हो पाता है। अंग दानदाता और प्राप्तकर्ताओं के बीच इतने बड़े अंतर के चलते प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में लोग मर जाते हैं।