Mother's milk

World Breastfeeding Week: बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए मां का दूध सबसे जरूरी, शोध में सामने आई जानकारी

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बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए उचित मात्रा में पोषक तत्वों का होना आवश्यक होता है। बच्चों पर हुए विभिन्न अध्ययनों के अनुसार नवजात बच्चे के लिए मां का दूध सर्वोत्तम है। मां के दूध से नवजात बच्चे को सभी पोषक तत्व मिल जाते हैं। विशेष रूप से प्रसव के बाद का पहला गाढ़ा पीला दूध बच्चे के लिए अमृत के समान होता है।

यह दूध बच्चे के शारीरिक विकास के साथ मानसिक विकास के लिए भी फायदेमंद होता है। स्तनपान के फायदे और इसको बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक वर्ष एक अगस्त से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह (World Breastfeeding Week) के रूप में मनाया जाता है।

बता दे कि बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए काफी समय से शोध का कार्य चल रहा है। विभिन्न शोधों से स्पष्ट हुआ है कि नवजात बच्चे के लिए मां का दूध सर्वोत्तम है। इससे बच्चे को आवश्यक सभी पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में मिल जाते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि जन्म से लेकर छह माह तक नवजात को प्रतिदिन पर्याप्त मात्रा में स्तनपान कराना चाहिए।

शोध में पाया गया है कि मां के दूध में सूक्ष्म पोषक तत्व मौजूद होते हैँ यही सूक्ष्म पोषक तत्व नवजात के मानसिक और शारीरिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसी कारण से मां के दूध को बच्चों के लिए अमृत कहा जाता है।

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मां के दूध का शिशु के स्वास्थ्य पर असर

टफ्टस यूनिवर्सिटी में हुए शोध में स्तनपान का बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों का गहनता से अध्ययन किया गया। इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि स्तनपान करने वाले बच्चों में मस्तिष्क स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं कम होती हैं तथा स्तनपान करने वाले बच्चों का बौद्धिक विकास और कार्यक्षमता मां का दूध नहीं पीने वाले उन बच्चों की तुलना में कहीं अधिक थी।

अध्ययन में पाया गया कि मां के दूध में पाए जाने वाले सूक्ष्म पोषक तत्व नवजात के लिए काफी फायदे मंद होते हैँ। मां का दूध पीने वाले नवजात का विकास मां का दूध न पीने वाले से अधिक तेजी से होता है साथ ही मां का दूध पीने वाले नवजात शिशु में बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी अधिक पाई जाती है जिसकी वजह से वह कम बीमार पड़ते हैं।

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स्तनपान से होता है मस्तिष्क का विकास

प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित एक रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने बताया कि नवजात के पैदा होने के कुछ महीनों तक नवजात की मां के दूध में मायो-इनोसिटॉल, माइक्रोन्यूट्रिएंट जैसे तत्व पाए जाते हैं यह तत्व मस्तिष्क के विकास में सहायक सिद्ध होते हैं। यह तत्व मस्तिष्क में मौजूद न्यूरॉन्स के बीच संबंधों को बेहतर करने में सहायता करते हैं। जिसकी वजह से भविष्य में न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के जोखिमों की संभावनाएं काफी कम हो जाती हैं।

क्या है वैज्ञानिक मत

मां के दूध पर हुई विभिन्न अध्ययनों से यह सिद्ध हुआ है कि नवजात के मस्तिष्क का विकास नवजात को दिए जाने वाले आहार से पूरी तरह संबंध रखता है। मां के दूध में मौजूद सूक्ष्म पोषक तत्वों का नवजात के मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डालता है। विभिन्न रिसर्च में पाया गया है कि मां का दूध नवजात शिशु के मस्तिष्क के विकास के विभिन्न चरणों में मद्द करता है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि मां का दूध बहुत ही जटिल और समृद्ध होता है। इसकी जटिलता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि नवजात के पैदा होने से छह माह तक स्तनपान करने वाले नवजात के मस्तिष्क का विकास उम्र के विभिन्न चरणों में होता रहता है। वैज्ञानिकों के अनुसार मस्तिष्क विकास के लिए मां का दूध सर्वोत्तम एवं बहुत ही आवश्यक होता है।

मां का दूध पिलाने के लिए लोगों को करें जागरूक

वैज्ञानिकों का कहना है कि मां के दूध से बेहतर नवजात के लिए कोई भी दूसरा आहार नहीं है। हांलाकि कई लोग कई भ्रमों के कारण नवजात को मां का दूध नहीं पीने देते हैं वहीं कुछ महिलाएं भी नवजात को अपना दूध पिलाना नहीं चाहती हैं।

ऐसे लोगों को ध्यान रखना चाहिए की बच्चे के पैदा होने से लेकर छह माह तक मां के दूध में जो तत्व उपस्थित होते हैं वह शिशु के विकास के लिए बहुत आवश्यक होते है। यह दूध बच्चे को शारीरिक रूप से ही नहीं मानसिक रूप से भी मजबूत बनाता है। मां का दूध पीने से बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता कई वर्षों तक बनी रहती है।

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