इस वर्ष करवा चौथ 1 नवंबर को मनाई जा रही है। हिन्दू पंचाग के अनुसार करवा चौथ कार्तिक मास की चतुर्थी के दिन मनाया जाता है। यह व्रत सुखी वैवाहिक जीवन, पति की लंबी आयु और पति के अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखा जाता है। यह व्रत सूर्योदय के साथ शुरू होता है और रात को चन्द्रमा के दर्शन के बाद पूरा होता है। ज्योतिषाचार्य पंडित पियूश अवतार शर्मा के अनुसार शास्त्रों में करवा चौथ व्रत का विशेष महात्व है। करवा चौथ के दिन हमें कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। इन नियमों का पालन न करने पर अशुभ फल की प्राप्ति होती है।
करवा चौथ के दिन इन बातों का रखें विशेष ध्यान
ज्योतिषाचार्य पंडित पियूश अवतार शर्मा के अनुसार शास्त्रों में करवा चौथ व्रत को विशेष व्रतों में शामिल किया गया है। इस लिए इस दिन के लिए नियम भी विशेष रखे गए है। सुहागन महिला को चाहिए की वह इस दिन इन बातों पर विशेष ध्यान रखें।
- करवा चौथ व्रत की शुरूआत सूर्योदय के साथ ही हो जाती है इसलिए सरगी को सूर्योदय से पहले ही कर लेना चाहिए।
- सरगी में भूलकर भी मांसाहार या प्याज-लहसून की बनी चीज का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- व्रत के दिन सुहागन महिला को सुबह जल्दी उठना चाहिए। उठने के तुरंत बाद बड़ों का आशीर्वाद लेना चाहिए। सुहागन महिला को प्रात:काल ही स्नान आदि कर लेना चाहिए।
- इस दिन महिला को काले, सफेद, बैगनी, और नीले रंगों के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए। माना जाता है करवा चौथ के दिन इन रंगों के वस्त्रों को पहनने से अशुभ फल मिलता है।
- करवा चौथ के दिन सुहागन महिला को कोशिश करनी चाहिए की वह लाल, गुलाबी, हरे रंग के वस्त्र ही पहने। इन रंगों को सुहाग का प्रतीक माना जाता है।
- इस दिन महिलाओं को तेज धार वाली चीजों जैसे सूई, चाकू आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए। करवा चौथ के दिन चोट लगना और कटना आदि को अशुभ माना जाता है।
- करवा चौथ के दिन भूलकर भी बड़ों का अपमान नहीं करना चाहिए। इस दिन गलती से भी बड़ों के साथ बहस, लडाई झगड़ा नहीं करना चाहिए। जहां तक संभव हो इस दिन बड़ों का सम्मान करना चाहिए और उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए।
- करवा चौथ के दिन सुहागन महिला को सजना संवरना शुभता का प्रतीक माना जाता है। संभव हो तो महिला को सोलाह श्रृंगार करना चाहिए।
- इन दिन भूलकर भी श्रृंगार का सामान दान नहीं करना चाहिए। इस दिन श्रृंगार का दान करना अशुभ माना जाता है। इस लिए ऐसा करने से बचना चाहिए।
ऐसे सजाएं करवा चौथ की थाली
करवा चौथ की थाली में पूजा से संबंधित प्रमुख सामग्री का रखा जाता है। इस थाली को सुहागन महिलाओं को प्रेम और श्रृद्या के साथ सजाना चाहिए। करवा चौथ की थाली में निम्न लिखे सामान अवश्य होना चाहिए।
- पूजा की थाली में फूल, चावल (अक्षत), मिठाई, रोली, कुमकुम होना आवश्यक है।
- करवा चौथ की थाली में आटे का बना दीपक होना चाहिए, दीपक में रूई की बत्ती के साथ देशी घी होना चाहिए। इसके अतिरिक्त पूजा की थाली में मिट्टी का करवा होना भी जरूरी होता है।
- चन्द्रमा को अर्घ्य देने के लिए कलश होना बहुत जरूरी होता है
- चांद के दर्शन के लिए छलनी का होना भी आवश्यक है।
- पूजा की थाली में पानी का गिलास भी अवश्य होना चाहिए। जिस लोटे से आप चन्द्रमा को अर्घ्य दे उस लोटे से कभी भी पानी नहीं पीना चाहिए, बल्कि पानी गिलास से ही पीना चाहिए।
ऐसे करें करवा चौथ की पूजा
शुभ मुहूर्त में पूजा स्थान पर जहां करवा चौथ बनाई गई है उस स्थान पर करवा चौथ की पूजा करें। पूजा के बाद करवा चौथ की कथा का पाठ भी अवश्य करें। शास्त्रों के अनुसार करवा चौथ की कथा सुने बगैर यह व्रत पूरा नहीं होता है।
चन्द्र उदय के बाद चन्द्र देव के दर्शन कर चन्द्र देव को सबसे पहले रोली, कुमकुम, अक्षत चढ़ाएं। उसके बाद चन्द्र देव की आरती उतारे और उन्हें मिठाई का भोग लगाएं। चन्द्र देव की पूजा के बाद अपने पति की पूजा करें।
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करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचाग के अनुसार इस वर्ष कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर को रात 9 बजकर 30 मिनट से शुरू होकर 1 नवंबर को रात 9 बजकर 19 मिनट तक रहेगी। चूकि 1 नवंबर को सूर्योदय के समय चतुर्थी होगी इसी कारण से करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर को रखा जाएगा। करवा चौथ की पूजा करने का शुभ मुहूर्त 1 नवंबर को शाम 5 बजकर 44 मिनट से शाम 7 बजकर 2 मिनट तक है। उस दिन चन्द्र उदय 8 बजकर 26 मिनट पर होगा।
नोट: यह सभी विचार मेरठ निवासी ज्योतिषाचार्य पंडित पियूष अवतार शर्मा जी के है। कृपया कोई भी उपाए करने से पूर्व उनसे 9997862935 नंबर पर संपर्क कर लें।