नौतपा 25 मई से शुरू हो गया है। नौतपा के समय लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ता है। दरअसल नौतपा गर्मी से जुड़ा शब्द है। जिसका अर्थ होता है नौ दिनों तक गर्मी के कारण तपना या नौ दिनों की भीषण गर्मी। ज्येष्ठ माह में इन 9 दिनों में भीषण गर्मी का प्रभाव देखने को मिलता है।
शास्त्रों के अनुसार जब ज्येष्ठ मास में सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है तो गर्मी बढ़ जाती है और 9 दिनों तक भीषण गर्मी पड़ती है, इसे ही नौतपा कहते हैं। हिन्दू धर्म में नौतपा में सूर्य देव की उपासना का विशेष महत्व है। इसके साथ ही इस दौरान दान धर्म करना भी पुण्यकारी माना जाता है।
नौतपा के फायदे
वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो नौतपा का भी विशेष महात्व है। नौतपा के दौरान प्रकृति स्वयं को संतुलित करती है। एक कहावत के अनुसार नौतपा के पहले दो दिन लू चलने से चूहों की संख्या नियंत्रित रहती है। अगले दो दिन लू चलने से फसल को नुक्सान पहुंचाने वाले कीट समाप्त हो जाते हैं।
पांचवे दिन लू चलने से टिड्डियों के अंडे नष्ट हो जाते हैं जिससे उनकी संख्या नियंत्रित रहती है। छठे दिन भी लू चलने से बुखार लाने वाले जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। सातवें दिन लू चलने से सांप बिच्छू नियंत्रित रहते हैं।
अंतिम दो दिन लू चलने से आंधी आने की संभावना कम कम हो जाती है। जिससे फसलों को कम नुक्सान होता है। इसके अतिरिक्त नौ दिन तक लगातार तेज धूप पड़ने के कारण वाष्पीकरण ज्यादा होता है जिसके कारण अच्छी बारिश होती है।
25 मई से नौतपा शुरू
हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष 25 मई की सुबह 03 बजकर 16 मिनट पर सूर्यदेव रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे, जहां 08 जून की दोपहर 01 बजकर 16 मिनट तक रहने वाले हैं, इसके बाद सूर्यदेव मृगशिरा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। ऐसे में नौतपा की शुरुआत 25 मई से होगी और 2 जून तक रहेगी।
नौतपा कब लगता है?
शास्त्रों के अनुसार जब ज्येष्ठ मास में सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है तो गर्मी बढ़ जाती है और 9 दिनों तक भीषण गर्मी होती है, इसे ही नौतपा कहते हैं। क्योंकि, रोहिणी नक्षत्र चंद्रमा का नक्षत्र है और सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करने से चंद्रमा की शीतलता कम हो जाती है।
साथ ही इस अवधि में सूरज धरती के करीब आ जाता है, जिससे धरती का तापमान और भी अधिक बढ़ जाता है। पंचांग के अनुसार 22 जून को ज्येष्ठ मास समाप्त होने के बाद गर्मी से राहत मिलेगी। उस समय सूर्य आद्रा नक्षत्र के प्रवेश कर जाएगा और धरती पर बारिश के मौसम की शुरुआत हो जाएगी।
धार्मिक दृष्टि से नौतपा के दौरान क्या करना चाहिए?
नौतपा के दौरान भगवान सूर्य की पूजा का विशेष महत्व है। सूर्य देव की आराधना से व्यक्ति के तेज में वृद्धि होती है और जीवन में संपन्नता आती है। इसके साथ ही नौतपा के दौरान जल दान से पितृ प्रसन्न होते हैं। इस समय गर्मी चरम पर होती है इसलिए प्यासे को पानी जरूर पिलाएं।
नौतपा के दौरान जल के साथ ही अन्य चीजों का दान करने से भी लाभ की प्राप्ति होती है। नौतपा में शिवलिंग पर जल चढ़ाना भी शुभ माना जाता है। इस महीने में हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार इसी महीने में हनुमान जी की मुलाकात भगवान श्रीराम से हुई थी।
नौतपा कब होगा समाप्त?
25 मई से नौतपा शुरू होकर 2 जून को खत्म होगा। सूर्य 25 मई को रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे और 2 जून तक यहीं रहेंगे। 2 जून के बाद सूर्य मृगशिरा नक्षत्र में चले जाएंगे। मान्यता है कि सूर्य देव जितने समय तक रोहिणी नक्षत्र में रहते हैं उतने दिनों तक धरती पर भयंकर गर्मी पड़ती है।
नौतपा में सूर्य देव को प्रसन्न करने के उपाए
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नौतपा के दौरान विधि-विधान से सूर्यदेव की उपासना करनी चाहिए। ऐसा करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है और जीवन में प्रसन्नता आती है। प्रतिदिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने के बाद तांबे के लोटे से सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। ऐसा करने से जीवन में सकारात्मकता आती है और ऊर्जा बनी रहती है।
नौतपा में इन चीजों का करें दान?
हिंदू धर्म में नौतपा के दिनों में दान करने का विधान है। मान्यता है कि नौतपा के दौरान राहगीरों, पशु और पक्षियों को पानी पिलाना सबसे अच्छा माना जाता है। सामर्थ के अनुसार प्याऊ भी खुलवा सकते हैं। शास्त्रों में ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है।
नौतपा के दौरान शरबत, दूध, दही, छाछ का दान करना बेहद शुभ माना जाता है। जरूरतमंदों को मौसमी फलों का दान भी कर सकते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से सूर्य देव की असीम कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
इस दौरान रखे ये सावधानियां
नौतपा दौरान दिन के समय यात्रा करने से बचना चाहिए, क्योंकि नौतपा में सूरज की गर्मी से पूरी धरती तपती है। नौतपा में अधिक मिर्च, मसाले और तेल वाली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। नौतपा के दौरान तूफान, आंधी आने की आशंका काफी बढ़ जाती है। इसलिए शादी, मुंडन और बाकी मांगलिक कार्यों को करने से बचना चाहिए।