भारत के सबसे बड़े समूह टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा की तबीयत एक बार फिर नाजुक हो गई है। अब तक मिली जानकारी के अनुसार उन्हें मुम्बई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हालांकि दो दिन उनके स्वास्थ्य बिगड़ने की अफवाह समाचार चैनल में प्रसारित हुई थी। बाद में उनके ऑफिशियल सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट के जरिए अपने स्वास्थ्य की जानकारी दी गई थी कि वो स्वस्थ हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार टाटा समूह के मानद चेयरमैन रतन टाटा की अचानक तबियत बिगड़ने के कारण उन्हें मुम्बई के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों का कहना है कि उनकी हालत नाजुक बनी हुई है।
दो दिन पूर्व भी फैली थी अफवाह
बता दें दो दिन पूर्व भी रतन टाटा के स्वास्थ्य बिगड़ने की अफवाह फैली थी। जिसके बाद उनके ऑफिशियल सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर उनके स्वस्थ्य होने की जानकारी दी गई थी। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा था कि मैं अपने स्वास्थ्य के बारे में हाल ही में फैल रहीं अफवाहों से अवगत हूं। मैं सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि ये दावे निराधार हैं। मैं फिलहाल अपनी उम्र और सेहत संबंधी जरूरी चिकित्सा जांच करवा रहा हूं। चिंता की कोई बात नहीं है। मैं अच्छा महसूस कर रहा हूं। आपसे अनुरोध करता हूं कि जनता और मीडिया गलत सूचना फैलाने से बचें।
रतन टाटा के बारे में कुछ जरूरी जानकारी
रतन नवल टाटा का नाम एक भारतीय व्यापारी, निवेशक और टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष के रूप में आता हैं। लेकिन इन सबसे पहले उनका नाम एक दानवीर के रूप में आता है। रतन टाटा टाटा समूह के अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्हें भारत के दो सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण और पद्म भूषण से सम्मानित किए जा चुका है।
रतन टाटा ने मार्च 1991 में टाटा संस के अध्यक्ष का पद संभाला था और 28 दिसंबर 2012 को सेवानिवृत्त हुए। उनके कार्यकाल के दौरान टाटा समूह का राजस्व कई गुना बढ़ गया। बताया जाता है कि 1991 में जब उन्होंने अध्यक्ष पद संभाला था उस समय यह राजस्व महज 10,000 करोड़ रुपये था जिसे उन्होंने 2011-12 में बढ़कर 100.09 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंचया।
बता दें अपनी सेवानिवृत्ति के बाद रतन टाटा को अपने उत्तराधिकारी साइरस मिस्त्री के साथ बोर्डरूम लड़ाई का सामना भी करना पड़ा था बाद में जिन्हें 24 अक्तूबर, 2016 को टाटा संस के अध्यक्ष पद से बर्खास्त कर दिया गया था।
मिस्त्री को हटाए जाने के बाद वे समूह के अंतरिम अध्यक्ष के रूप में वापस लौटे और जनवरी 2017 में समूह की कमान एन. चंद्रशेखरन को सौंप दी और टाटा संस के मानद अध्यक्ष की भूमिका में आ गए।
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