नई दिल्ली। पिछले काफी समय से जमानत के लिए कोशिश कर रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को अंतत: 21 दिनों के लिए जमानत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 1 जून तक के लिए अंतरिम जमानत दे दी है। कुछ शर्तों के साथ सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को 2 जून को सरेंडर करने के लिए कहा है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या केजरीवाल आईएनडीआईए गठबंधन के लिए बूस्टर का काम करेंगे और क्या वह दिल्ली पंजाब सहित हरियाणा की सीटों के समीकरणों को बदलने में सफल हो पाएंगे।
चुनावी घमासान के बीच अपने सर्वोच्च नेता की कमी को महसूस कर रहे आम आदमी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से अच्छी खबर सामने आई। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल को एक जून तक के लिए अंतरिम जमानत दे दी है। उन्हें 2 जून को सरेंडर करना होगा। यानी अब अरविंद केजरीवाल बाकी बचे चार चरणों में अपनी पार्टी के लिए प्रचार कर सकेंगे।
केजरीवाल की जमानत से गठबंधन को मिली नई ताकत
अरविंद केजरीवाल को प्रचार करने के लिए मिली अंतरिम जमानत आम आदमी पार्टी के लिए संजीवनी साबित हुआ है। दरअसल, अरविंद केजरीवाल ऐसे समय पर जेल से बाहर आ रहे हैं, जब दिल्ली, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में अभी बाकी बचे चरणों में मतदान होना शेष है। ये वे राज्य हैं जहां आम आदमी का अच्छा-खास प्रभाव है।
इन तीनों राज्यों की 18 सीटों पर आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनाव लड़ रही है। गुजरात और असम की चार सीटों पर भी आप चुनाव लड़ रही थी, जहां वोटिंग हो चुकी है। यानी अब अरविंद केजरीवाल का पूरा फोकस बाकी बची 18 सीटों पर रहेगा। जाहिर तौर पर अरविंद केजरीवाल को जमानत मिलने के बाद अब आप अपनी चुनावी बिसात नये सिरे से बिछाएगी।
अरविंद केजरीवाल को मिली अंतरिम जमानत ना केवल आप के लिए बल्कि इंडिया गठबंधन के लिए भी बूस्टर डोज साबित हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तानाशाह और लोकतंत्र विरोधी साबित करने के लिए इंडिया गठबंधन को अरविंद केजरीवाल के रूप में माहौल बनाने के लिए एक प्रभावकारी वक्ता मिल गया है।
केजरीवाल को जमानत मिलने के बाद सामने आई इंडिया गठबंधन के नेताओं की प्रतिक्रिया बताती है कि कोर्ट के इस फैसले से उनके हौसलों में कितना इजाफा हुआ है।
अरविंद केजरीवाल की जमानत से जहां आम आदमी पार्टी और इंडिया गठबंधन गदगद है वहीं भाजपा नेताओं की अपनी अलग दलील है। भाजपा सीधे कोर्ट के फैसले पर सवाल तो नहीं उठा रही है लेकिन वो विपक्षियों को याद दिलाना नहीं भूल रही है कि ये केवल 1 जून तक की चांदनी है फिर अंधेरी रात है।
हालांकि जांच एजेंसी ईडी ने अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका रोकने के लिए अपनी ओर से पुरजोर कोशिश की थी। ईडी ने फैसले से एक दिन पहले उनकी अंतरिम जमानत का विरोध करते हुए कोर्ट मे शपथ पत्र भी दाखिल किया था। सूत्रों के मुताबिक ईडी ने ना सिर्फ अंतरिम बेल का विरोध किया बल्कि सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल कर केजरीवाल को घेरने का पूरा प्लान तैयार कर लिया था।
केजरीवाल की जमानत के बाद हेमंत सोरेन की जमानत को लेकर अटकलें शुरू
इधर सीएम केजरीवाल को सर्वोच्च अदालत से अंतरिम जमानत मिलने के बाद अब झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लेकर भी अटकलबाजी शुरू हो गई है। दरअसल, हेमंत सोरेन ने भी सुप्रीम कोर्ट में चुनाव प्रचार के लिए जमानत की मांग करते हुए याचिका दाखिल की है। कोर्ट हेमंत सोरेन के मामले में क्या रुख अख्तियार करता है ये तो बाद में पता चलेगा फिलहाल केजरीवाल के चुनाव प्रचार में उतरने के बाद अब तक नीरस चल रहे चुनावी माहौल में नया रंग जरूर भर रहे हैं।
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