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AK-203: पहली बार भारतीय सेना के हाथ में दिखी एके-203 असॉल्ट राइफल, जाने क्यों है इंसास और सिग-716 बेहतर?

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भारतीयय सेना के हाथ में अब इंसास (INSAS यानी इंडियन नैशनल स्मॉल आर्म्स सिस्टम) राइफलों की जगह रूसी एके-203 असॉल्ट राइफलें दिखाई देंगी। भारतीय सेना ने पहली बार आधिकारिक तौर पर इसकी तस्वीर साझा की है। 27 हजार राइफलों का पहला बैच भारतीय सेना को डिलीवर किया जा चुका है। एके-203  राइफलों की असेंबल्गी उत्त प्रदेश के कोरवा स्थित फैक्टरी में की गई।

भारत की तरफ से पेमेंट और रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते इन राइफलों की डिलीवरी में देरी हो रही थी। बताया जा रहा है कि एके-47 के मुकाबले एके-203 ज्यादा खतरनाक हैं। जानकारी के अनुसार अलग अलग रेजिमेंटों के ट्रेनिंग सेंटरों पर कुछ समय पहले ही जवानों को इन्हें चलाने की ट्रेनिंग भी दी गई थी।

एके-203 की ईस्टर्न कमांड ने जारी की फोटो

ईस्टर्न कमांड ने 20 मई को एक्स अकाउंट पर कुछ फोटो शेयर कीं। इनमें से एक फोटो में जवान हाथ में एके-203 असॉल्ट राइफल पकड़े हुए है। जिसमें वह ईस्टर्न आर्मी कमांडर को इस राइफल की खासियतों के बारे में बता रहा है। यह पहली बार है जब ग्राउंड पर एके-203 असॉल्ट राइफल की फोटो पहली बार भारतीय सेना ने साझा की है।

सोशल मीडिया के एक्स अकाउंट पर ईस्टर्न कमांड ने फोटो कैप्शन में लिखा, ईस्टर्न कमान के सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आरसी तिवारी  ने 20 मई 2024 को लिकाबाली सैन्य स्टेशन का दौरा किया और सुरक्षा स्थिति और ऑपरेशनल तैयारियों का जायजा लिया।

उन्होंने ऑपरेशन दक्षता में सुधार के लिए नई तकनीकों को अपनाने के लिए संरचनाओं के प्रयासों की सराहना की और उनकी दृढ़ता, उच्च मनोबल और समर्पण के लिए सभी रैंकों की सराहना की। 

बनाई जानी हैं 6,70,000 एके-203 असॉल्ट राइफलें

जानकारी के अनुसार 27000 एके-203 राइफलों का पहला बैच इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड ने भारतीय सेना को सौंप दिया है। अगले दो हफ्तों में 8000 असॉल्ट राइफलों की डिलीवरी भी हो जाएगी। जानकारी के अनुसार कॉन्ट्रैक्ट के तहत 6,70,000 असॉल्ट राइफलों का उत्पादन होना है।

इसके बाद भारतीय सेना में 25 फीसदी राइफलें स्वदेशी होंगी। जिसे आने वाले दो सालों में चरणबद्ध तरीके से बढ़ा कर 70 से 100 फीसदी करना है।

इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) की स्थापना 2019 में भारत के तत्कालीन आयुध निर्माणी बोर्ड (अब एडवांस्ड वेपंस एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड (AWEIL) और म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड (MIL)) और रूस के रोसोबोरोनएक्सपोर्ट (RoE) और कलाश्निकोव कंपनी के बीच की गई थी।

जुलाई 2021 में हुए 5,000 करोड़ रुपये से अधिक के कॉन्ट्रैक्ट के तहत, रूस से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के तहत छह लाख से अधिक एके-203 असॉल्ट राइफलें बनाई जानी हैं। 

सिग-716 से किफायती है एके-203

प्राप्त जानकारी के अनुसार अग्पिनपथ स्कीम के तहत भर्ती हुए अग्निवीरों को भी एके-203 असॉल्ट राइफलें की ट्रेनिंग दी जाएगी। यह राइफल न केवल इस्तेमाल में आसान है, साथ ही इसे बेहद कम वक्त में असेंबल भी किया जा सकता है।

जानकारी के अनुसार सेना ने फरवरी, 2019 में अमेरिका की असाल्ट राइफल बनाने वाली कंपनी सिग सॉयर के साथ 700 करोड़ रुपये का समझौता किया था जिसमें 72,400 सिग-716 असॉल्ट राइफलें खरीदीं थी, इनमें से 66,400 को भारतीय सेना में शामिल कर लिया गया है।

लेकिन एके-203 असॉल्ट राइफलों की डिलीवरी में देरी के चलते भारत ने फिर 2023 में 70 हजार और सिग सॉर सिग-716 असॉल्ट राइफल का सौदा किया था। ये राइफलें चीन और पाकिस्तान सीमा पर फॉरवर्ड पोस्ट पर तैनात सैनिकों को दी गई थीं।

वहीं अमेरिकी राइफल के मुकाबले एके-203 असॉल्ट राइफलें सस्ती पड़ती हैं। जानकारी के अनुसार जहां एक एके-203 असाल्ट राइफल की कीमत जहां 81,967 रुपये पड़ती है तो वहीं अमेरिकी सिग-716 राइफल की कीमत 96,685 रुपये पड़ती है।

इंसास, एके-203 और सिग सॉर सिग-716 में अंतर 

अभी तक आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशंस में सेना में एके-47 पर आंख मूंद कर भरोसा करती रही है। एके-47 राइफल एक मिनट में 600 राउंड दाग सकती है, इसकी रेंज 300 मीटर तक होती है। बात अगर  इंसास राइफल की क्षमता की करें तो यह 600 से 650 गोलियां प्रति मिनट है दाग सकती है। वहीं एके-203 असाल्ट राइफल 700 गोलियां प्रति मिनट दाग सकती है।

एके-203 राइफल इंसास से छोटी और वजन में हल्की है। इंसास का वजन जहां 4.15 किग्रा है, तो एके-203 का वजन 3.8 किग्रा है। वहीं एके-203 सिर्फ 705 मिमी लंबी है। वहीं एके-203 में 7.62×39 एमएम की नाटो ग्रेड की बुलेट्स लगती हैं, जो ज्यादा घातक होती हैं। जबकि इंसास में 5.56×45 एमएम की गोलियां लगती हैं।

इंसास की रेंज मात्र 400 मीटर है, जबकि एके-203 की रेंज 800 मीटर है। इंसास सिंगल शॉट और तीन-राउंड का बर्स्ट फायर करती है, तो वहीं एके-203 सेमी-ऑटोमैटिक या ऑटोमैटिक मोड में चलती है। एके-203 में 30 राउंड की बॉक्स मैगजीन लगती है।

सूत्रों की माने तो इंसास इंटेंस फायरिंग में जाम हो जाती है और इसमें ओवरहीटिंग की समस्या भी आती है। साथ ही मात्र 400 मीटर रेंज के चलते इंसास से आतंकियों की मौत क्लोज रेंज से फायर पर ही होती थी, जिससे वे घायल होने के बाद भी गोलियां चलाते रहते थे। 

वहीं, सिग सॉर सिग-716 असॉल्ट राइफल की बात करें, तो इसमें 7.62×51 एमएम की नाटो ग्रेड की गोलियां लगती हैं। इस राइफल की कुल लंबाई 34.39 इंच है। और इसका कुल वजन 3.58 किलोग्राम होता है। इसमें ऊपर एडजस्टेबल फ्रंट और रीयर ऑप्टिक्स लगाने की सुविधा है।

इसमें M1913 मिलिट्री स्टैंडर्ड रेल्स भी हैं, जिनपर नाइट विजन डिवाइस, टॉर्च या मिशन के हिसाब से कोई और डिवाइस भी लगाई जा सकती है। इसकी एक मैगजीन में 20 गोलियां लगती हैं। इसकी रेंज 600 मीटर है।

सिग सॉर सिग-716 असॉल्ट राइफल हर मिनट में 685 राउंड फायरिंग कर सकती है। इसमें शॉर्ट-स्ट्रोक पिस्टन-ड्रिवेन ऑपरेटिंग सिस्टम लगा है, जिसके चलते चलाने वाले को कम झटका लगता है जिसकी वजह से एक्यूरेसी बढ़ जाती है।

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