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मदर्स डे का इतिहास: जानें कैसे हुई मदर्स डे की शुरूआत

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यदि संसार की सबसे उत्तम और बहुमूल्य चीज की बात की जाए तो पहला नाम मां ही आएगा। इसी कारण दुनिया में मां का स्थान भगवान से भी ऊंचा रखा गया है। कहा जाता है कि यदि किसी व्यक्ति ने अपनी मां को खुश कर दिया तो भगवान स्वत: ही उससे प्रसन्न हो जाते हैं। मूल भावना को बनाए रखने के लिए प्रत्येक वर्ष मई माह के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है। इस वर्ष यह 14 मई को मनाया जाएगा।

मदर्स डे का इतिहा

मदर्स डे की शुरूआत 20वीं शताब्दी में हुई थी। इसकी शुरूआत संयुक्त राज्य अमेरिका में वर्ष 1907 में हुई थी। उस समय के एक सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना जार्विस ने अपनी स्वर्गवासी मां की याद में मेमोरियल सेवा की शुरूआत की थी। अन्ना की इस अनोखी शुरूआत को सभी से बहुत प्रोत्साहन मिला। इस पहल को और अधिक मजबूत करने के लिए अन्ना ने पत्र लेखन अभियान शुरू किया।

इसके साथ ही दुनिया में मां के सम्मान में स्थापना दिवस मनाने की मांग की। इस आयोजनों के परिणाम स्वरूप 1914 में तत्कालीन राष्ट्रपति बुडरो विल्सन ने मई माह के दूसरे रविवार को मदर्स डे के रूप में मनाने की स्वीकृति प्रदान की। अब ग्लोबल लेवल पर यह दिन मनाया जाता है। हालांकि भारतीय संस्कृति में दिन की शुरूआत ही मां की पूजा से होती है। लेकिन अब भारत में भी यह दिन प्रभावी रूप से मनाया जाता है।

मदर्स डे का महत्व

इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य मां के प्रति प्रेम और सम्मान को बढ़ाना है। इसके साथ ही मां के संघर्षो और प्रेम को लोगों को बताना है। इस दिन को मनाने का एक मुख्य कारण यह भी है जिससे लोगों बच्चे को पालने के समय मां के द्वारा किए गए संघर्ष और चुनौतियों को समझ सकें।

अन्य शब्दों में कह सकते हैं कि यह दिन मां के प्रति अपना प्रेम और समपर्ण दिखाने का दिन होता है। इसके साथ ही परिवार और समुदायों में मां की भूमिका, प्रेम और त्याग को समझाया जा सके।

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