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Chandra Grahan 2023: वर्ष का पहला चन्द्र ग्रहण

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नई दिल्ली। इस वर्ष का पहला चन्द्र ग्रहण वैशाख मास की पूर्णिमा अर्थात 5 मई को लगने जा रहा है। यह चन्द्रग्रहण दो साल बाद बुद्ध पूर्णिमा को पड़ रहा है। ग्रहण वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों ही दृष्टी से महत्वपूर्ण होता है। यह चन्द्र ग्रहण उपछाया ग्रहण होगा।

वैज्ञानिकों के अनुसार यह एक खगोलीय घटना है, जब सूर्य और धरती के बीच में चन्द्रमा आ जाता है तो चन्द्रग्रहण लगता है। वहीं धार्मिक मान्यता के अनुसार चन्द्रग्रहण के दौरान राहु चन्द्रमा को ग्रसित कर लेता है। किंतु वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों ही मान्यताओं के अनुसार ग्रहण को नग्गी आंखों से देखना उचित नहीं होता है साथ ही ग्रहण का पृथ्वी पर सीधा असर पड़ता है।

इस वर्ष कुल चार ग्रहण लगेंगे। दो सूर्य ग्रहण और दो चन्द्र ग्रहण। एक सूर्यग्रहण 20 अप्रैल को लग चुका है। जबकि दूसरा सूर्य ग्रहण 14 अक्टूबर को लगेगा। वहीं 5 मार्च को इस वर्ष का पहला चन्द्र ग्रहण लगेगा और दूसरा चन्द्र ग्रहण 28 अक्टूबर को लगेगा।

चन्द्र ग्रहण पर ज्योतिषाचार्य डॉ. पियूश अवतार शर्मा ने बताया कि वैज्ञानिक रूप से यह चन्द्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है। जिससे चन्द्रमा का अलग एवं भव्य रूप देखने को मिलता है। वैज्ञानिकों को ग्रहण के दौरान सौर मंडल की कार्यप्रणाली को अधिक समझने का मौका मिलता है।

वहीं धार्मिक मान्यताओं को अनुसार ग्रहण काल में ध्यान करने से हमे ज्ञान और सिद्ध की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार ग्रहण काल ध्यान लगाने के लिए सबसे अच्छा समय कहा जाता है। इस समय में किसी भी मंत्र को शीध्रता से सिद्ध किया जा सकता है। साल का पहला चन्द्र ग्रहण 5 मार्च को बुद्ध पूर्णिमा के दिन पड़ेगा जो कि उपछाया चन्द्र ग्रहण होगा।

चन्द्र ग्रहण के प्रकार

डॉ. पियूश अवतार शर्मा ने बताया कि चंद्रग्रहण तीन प्रकार के होते हैं। पहला पूर्ण चन्द्र ग्रहण होता है, दूसरा ग्रहण आंशिक चन्द्र ग्रहण कहलाता है तथा तीसरे ग्रहण को उपछाया ग्रहण कहा जाता है।

चंद्र ग्रहण की अवधि?

5 मार्च को लगने वाले ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटा 18 मिनट रहेगी। ग्रहण भारतीय समय के अनुसार 8 बजकर 44 मिनट से शुरू होगा और देर रात 1 बजकर 2 मिनट पर समाप्त होगा।

भारत में चंद्र ग्रहण एवं सूतक काल

5 मई को लगने वाले चन्द्रग्रहण उपछाया चन्द्रग्रहण है। उपछाया चन्द्रग्रहण के दौरान चन्द्रमा का रंग केवल मलिन होता है इस कारण इसमें सूतक का कोई विचार नहीं माना जाता है। इसी कारण 5 मई को लगने वाले चन्द्रग्रहण में सूतक काल नहीं माना जाएगा।

कहां दिखाई देगा ग्रहण

5 मई को लगना वाला चन्द्रग्रहण भारत के अधिकांश भाग में देखा जा सकता है। भारत के अतिरिक्त यह यूरोप, एशिया, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, हिंद महासागर, अटलांटिक महासागर, प्रशांत महासगर एवं नॉर्थ पोल पर दिखेगा।

उपछाया चंद्रग्रहण

ग्रहण के दौरान चन्द्रमा पृथ्वी की उपछाया में प्रवेश करती है। जिसके कारण चन्द्रमा की रोशनी थोड़ी मंद हो जाती है इसी को उपछाया चन्द्रग्रहण कहते हैं। जब चन्द्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है तब वास्तविक ग्रहण होता है। किंतु कई बार चन्द्रमा उपछाया में प्रवेश करने के बाद सीधे बाहर निकल आता है इसी का उपछाया ग्रहण कहते हैं। इसी कारण उपछाया ग्रहण के दौरान चन्द्रमा की रोशनी थोड़ी सी धुंधली होती है पूरी तरह से काली नहीं होती।

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