आकर्षक वुडकट्स और इंटैग्लियों प्रिंट के लिए मशहूर जरीना हाशमी का 86वां जन्मदिन आज गूगल मना रहा है। जरीना हाशमी के सम्मन में गूगल ने अपने डूडल में उनकी ग्राफिक डाली है। जरीना हाशमी का जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में 16 जुलाई 1937 में हुआ था। वह अपने चार भाई बहनों के साथ भारत में ही रहती थी। लेकिन 1947 में हुए विभाजन के समय वह अपने परिवार के साथ भारत से पाकिस्तान के कराची में चली गई।
जरीन हाशमी ने 21 वर्ष की आयु में विदेश सेवा से जुडे़ राजनयिक से शादी कर ली थी। शादी के बाद उन्होंने अपने पति के साथ कई विदेश यात्रा की। उन्होंने एक अच्छा समय बैंकॉक, जापान और पेरिस में बिताया। यहीं से ही उन्होंने प्रिंटमेकिंग और आधुनिकतावाद और अमूर्तता जैसे कला आंदालनों से जुड़ी।
विभाजन से पहले भारत में ही रहती थी जरीना हाशमी
1947 में हुए विभाजन से पहले जरीना हाशमी भारत में ही रहती थी। भारत में वह उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में अपने चार भाई बहनों के साथ रहा करती थी। विभाजन के बाद वह अपने परिवार के साथ पाकिस्तान चली गई और कराची में रहने लगी। जब वह 21 वर्ष की थी तो उनके परिवार के लोगों ने उनकी शादी विदेश सेवा से जुडे राजनायिक के साथ करा दी। शादी के बाद उन्हें दुनिया धूमने का मौका मिला। विदेश यात्रा के दौरान ही उन्होंने प्रिंटमेकिंग और मॉर्डिनिस्ट और एबस्ट्रैक्ट कला प्रवृत्तियों का पता चला।
नारीवादी आंदोलन का बनी हिस्सा
जरीना हाशमी 1977 में न्यूयॉर्क में रहने के लिए चली गई। यहां उन्होंने महिलाओं और कलाकारों के हित में कार्य करने लगी। धीरे धीरे वह हेरिसीज क्लेक्टिव में शामिल हो गई। हेरिसीज क्लेक्टिव एक नारीवादी पत्रिका थी। इस पत्रिका ने राजनीति, कला एवं सामाजिक न्याय के बीच संबंधों की जांच की थी। कुछ समय बाद जरीना हाशमी न्यूयॉर्क फेमिनिस्ट आर्ट इंस्टीट्युट में प्रोफेसर के रूप में कार्य करने लगी। प्रोफेसर बनने के बाद उन्होंने महिला कलाकारों को समान शिक्षा के अवसर प्रदान करने का समर्थन किया।
रेडिया में किया था कार्यक्रम
जरीना हाशमी ने 1980 में ऑल इंडिया रेडिया में एक प्रदर्शनी में सह संचालन किया। इस प्रदर्शनी का नाम ‘डायलेक्टिक्स ऑफ आइसोलेशन: एन एक्जीबिशन ऑफ थर्ड वर्ल्ड वूमेन आर्टिस्ट्स ऑफ द यूनाइटेड स्टेट्स’ था। इस प्रदर्शनी में विभिन्न कलाकारों के काम को प्रदर्शित किया गया। इस प्रदर्शनी में महिला कलाकारों को भी स्थान दिया गया था।
जरीना हाशमी की इंटैग्लियो प्रिंट में बनी अलग पहचान
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जरीना हाशमी को आकर्षक वुडकट्स और इंटैग्लियो प्रिंट के लिए जाना जाने लगा। उनकी कला में उनकी उर्दू में शिलालेख और इस्लामी कला से प्रेरित ज्यामितीय तत्व शामिल थे।
फेमिनिस्ट कलाकार और पत्रकार के रूप में बनी अलग पहचान
1980 में जरीना हाशमी को न्यूयॉर्क फेमिनिस्ट आर्ट इंस्टटियूट में बोर्ड मेंबर बनाया गया। इसके बाद से उनकी पहचान एक फेमिनिस्ट कलाकार और पत्रकार के रूप में होने लगी। हालांकि वह इस विभाग में ज्यादा समय तक काम नहीं कर पाई। महिला एवं कलाकारों के लिए कार्य करते हुए जरीना हाशमी का 25 जुलाई 2020 को अल्जाइमर के चलते निधन हो गया।