बरेली। राष्ट्रीय मानव सेवा संस्थान द्वारा शरद पूर्णिमा एवं महर्षि वाल्मीकि जयंती के उपलक्ष में गंगा स्थान और गंगा आरती का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के अंत में संस्था के सभी पदाधिकारियों ने दीपदान किया।
इस अवसर संस्था की अध्यक्ष बिंदु ने कहा कि शरद पूर्णिमा के इस पावन पर्व पर देवकीनंदन कृष्ण ने बांसुरी बजा के गोपियों सग विश्व के कल्याण के लिए सनातन धर्म रास रचाया था। सनातन धर्मी शरद पूर्णिमा पर व्रत रखकर चांद को अर्ध देकर खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखते हैं। संतों एवं ग्रंथ में कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन आसमान से सोम रस बरसता है जो अमृत के समान है।
रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि की जयंती पर सभी पदाधिकारी तथा समस्त देशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देते हुए संस्था की अध्यक्ष ने बताया गंगा की महा आरती करने का हमारा परम उद्देश्य अपने सनातन धर्म की गरिमा को बनाए रखना एवं आने वाली पीढियां को यह संदेश देना की गंगा मोक्षदायनी है।
संस्था के राष्ट्रीय महामंत्री नरेंद्र पाल ने बताया कि गंगा महारानी की आरती करने का हमारा परम उद्देश्य अपनी धरोहर को संभाल कर रखना तथा अपने घर परिवार क्षेत्र और आने वाली पीढियां को अपनी संस्कृति सभ्यता और अपने संस्कारों को जागृत रखना है।
कार्यक्रम में संस्था के उपाध्यक्ष राकेश मौर्य, रामकिशोर, शीलू त्रिपाठी, सुनीता, पूनम, अंशु, विशाल आदि समस्त भक्तगण ने गंगा किनारे गंगा महारानी की महा आरती में भाग लिया एवं मां गंगा से आशीर्वाद प्राप्त किया।