Manipur: मणिपुर में हिंसा की पूरी कहानी: जानें कब और कैसे शुरू हुआ बवाल

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पिछले काफी समय से आपसी संघर्ष में जल रहे मणिपुर की एक पुरानी वीडिया वायरल होने के बाद से सरकार से लेकर आम नागरिक तक के होश उड़ गए। वीडियो वायरल होने के बाद सुप्रिम कोर्ट ने स्वत: इस मामले को संज्ञान में लेते हुए तुरंत इस पर कार्यवाही करने के आदेश जारी कर दिए हैं। वहीं मानवता को शर्मसार करने वाली वीडिया के वायरल होने के बाद राज्य सरकार के साथ प्रशासन एक्टिव मोड में आ गए है। वीडिया 4 मई का बताया जा रहा है। पुलिस ने पहले आरोपी को गुरूवार को गिरफ्तार कर लिया है।

बता दे कि मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाने का वीडिया गुरूवार को वायरल हुआ था। इस विडियो के वारलय होते ही पूरी दुनिया के होश उड़ गए थे। मानवता को शर्मसार करने वाली यह वीडियो 4 मई की बताई जा रही है जबकि इस संदर्भ में एफआईआर 21 जून को दर्ज की गई थी।

इस वीडियो के वायरल होने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसकी निंदा की है वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को स्वत: संज्ञान में लेते हुए केन्द्र सरकार और राज्य सरकार से कहा है कि यदि वह इस मामले में कोई कदम नहीं ले पा रही है तो उसे स्यम इस पर कदम उठाना पडेगा। मामले के तूल पकडने के बाद पुलिस ने गुरूवार को एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।

क्या है मणिपुर हिंसा की वजह?

मणिपुर हिंसा की असली वजह सुनने से पूर्व आपको क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति और इसकी जनसंख्या के आंकडे को समझना आवश्यक है। मणिपुर की राजधानी इम्फाल राज्य के बिल्कुल बीच में है यह पूरे प्रदेश का 10 प्रतिशत हिस्सा है। इसी में प्रदेश की 57 प्रतिशत आबादी रहती है। बाकी बचे 90 प्रतिशत क्षेत्र पहाड़ी क्षेत्र है जहां प्रदेश की 43 प्रतिशत आबादी रहती है।

इम्फाल के घाटी वाले इलाके में सबसे ज्यादा आबादी मैतेई समुदाय के लोगों की है। मैतेई समुदाय में ज्यादातर हिंदू होते हैं। राज्य की कुल आबादी में मैतेई समुदाय के तकरीबन 53 प्रतिशत लोग हैं। वहीं दूसरी तरफ पहाड़ी इलाकों में मान्यताप्राप्त 33 जनजातियां रहती हैं। इसमें मुख्य रूप से कुकी और नगा जनजाति हैं। यह दोनों ही जनजातियां ईसाई धर्म को मानने वाली है।

इसके अतिरिक्त् लगभग आठ आठ प्रतिशत आबादी सनमही और मुस्लिम समुदाय की हैं। विवाद की मुख्य वजह भारतीय संविधान में आर्टिकल 371C के तहत राज्य की पहाड़ी जनजातियों को विशेष दर्जा और सुविधाएं मिलना है। यह सुविधाएं मैतेई समुदाय को नहीं मिलती हैं।

संविधान के ‘लैंड रिफॉर्म एक्ट’ के कारण मैतेई समुदाय के लोग पहाड़ी इलाकों में जमीन खरीदकर बस नहीं सकते। वहीं जनजातियों के लोग पहाड़ी इलाके से घाटी में आकर बस सकते हैं। इसी से दोनों समुदायों में मतभेद की स्थिती पैदा हो गई है।

आदिवासी एकजुटता मार्च के बाद शुरू हुई झड़पें

बता दे मणिपुर के मइती समुदाय के लोगों कुछ समय से अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे हैं इसी के विरोध में पर्वतीय जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च का आयोजन किया गया। इस आयोजन के बाद से ही झड़पे शुरू हो गई थी। जानकारी के अनुसार तब से लेकर अब तक राज्य में 150 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।

चार मई को मणिपुर में क्या हुआ?

मणिपुर पिछले काफी समय जातीय हिंसा की आग में जल रहा है। लेकिन 4 मई को राजधानी इंफाल से लगभग 35 किलोमीटर दूर कांगपोकपी जिले के बी. फीनोम गांव में शाम करीब तीन बजे 900 से 1000 की संख्या में कई संगठनों के लोग गांव में घुस आए।

ग्राम प्रधान के अनुसार गांव में घुसे लोगों के हाथ में एके47, 303 राइफल्स, एसएलआर इंसास जैसे अत्याधुनिक हथियार थे। हिंसक भीड़ ने लगभग सभी घरों में तोड़फोड लूट की वारदात को अंजाम दिया और उसके बाद गांव में आग लगा दी। इसी दौरान महिलाओं को निर्वस्त्र करके घूमाया गया था। इतना ही नहीं कई लड़कियों के साथ दिन दहाड़े सामूहिक दुश्कर्म भी किया गया।

बहन को बचाने आए भाई की हत्या

ग्राम प्रधान के अनुसार भीड़ ने महिलाओं के जबरन कपड़े उतार दिए और भीड़ के सामने निर्वस्त्र कर घुमाया। वायरल वीडियो इसी समय की बताई जा रही है। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि पुरूष महिलाओं से लगातार छेडछाड कर रहे थे। इतना ही नहीं भीड़ ने 21 साल की लडकी के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। लडकी की इज्जत बचाने के लिए जब उसका छोटा भाई आया तो उसकी भीड़ में शामिल लोगों ने मौके पर ही हत्या कर दी। हालांकि कुछ लोगों की मदद से पीडित लडकी मौके से भागने में सफल रही।

भीड ने ग्रामीणों को पुलिस से छुडाया

गांव में हुए हमले से बचने के लिए कुछ ग्रामीण जंगल की ओर भाग गए। जिन्हें नॉनपाक सेकमाई पुलिस टीम ने बचा लिया था। लेकिन सुरक्षित पुलिस चौकी पहुंचने से पहले ही भीड़ रास्ता रोक कर उन्हें पुलिस टीम की सुरक्षा से छीन लिया। इसके बाद भीड ने एक ग्रामीण की घटना स्थल पर ही हत्या कर दी।

किन धाराओं में दर्ज हुआ केस?

इस घटना के कई दिनों बाद 21 जून को पहली एफआईआर दर्ज की गई। मामला आईपीसी की धारा 153ए, 302, 354, 364, 326, 398, 427, 436, 448, 376 और 34 के साथ शस्त्र अधिनियम की धारा 25(1सी) के तहत दर्ज किया गया। पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर में भीड़ में शामिल 1000 लोगों पर आरोप लगाए गए हैं।

जिसमें विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी बढाना, घातक हथियारों के साथ डकैती करना, जबरन घर में घुसना, हत्या के लिए अपहरण करना, हमला, गंभीर चोट पहुंचाना, दुष्कर्म करना और इरादे से आग्नेयास्त्र का उपयोग हत्या के लिए करना आदि मामलों में मुकदमा दर्ज किया है।

अब तक इस मामले एक्शन क्या हुआ?

इस मामले को लेकर 21 जून को कांगपोकपी जिले की सैकुल पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई। बाद में इसे थौबल जिले के नोंगपोक सेकमाई पुलिस को यह केस रेफर कर दिया गया। रिपार्ट दर्ज होने के कई दिनों तक पुलिस इस मामले में शांत रही।

वीडियो वायरल होने के बाद मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने को कहा। मुख्यमंत्री के आदेश के कुछ समय बाद ही पहले आरोपी को पकड़ने में पुलिस को कामयाबी मिल गई। आरोपी की पहचान पेची अवांग लीकाई के रहने वाले हेरोदास मैतेई के रूप में हुई।

अब आगे क्या?

वीडियो वायरल होने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि मामले की गहन जांच चल रही है। साथ ही उन्होंने कहा की अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने बताया की अपराधियों को मृत्युदंड की संभावनओं पर विचार किया जा रहा है। वहीं मणिपुर पुलिस का कहना है कि आरोपियों को जल्द गिरफ्तार करने के लिए पुलिस हर संभव प्रयास कर रही है।

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