Radhika Kheda

Radhika Kheda: राधिका खेड़ा ने कांंग्रेस का छोड़ा दामन, जाने विवाद की पूरी कहानी

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रायपुर। पिछले 22 वर्षों से कांग्रेस का दामन थामने वाली राधिका खेड़ा ने अंतत: कांग्रेस को रामविरोधी बताते हुए उसका दामन छोड़ दिया है। स्थानीय नेताओं की बदसलूकी से नाराज होकर रविवार को उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से अपना इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफा देने के बाद राधिका खेड़ा ने कांग्रेस नेतृत्व पर जमकर निशाना साधा। अनुमान लगाया जा रहा है कि कांग्रेस से नाराज होकर वह भाजपा के साथ खड़ी हो सकती हैं।

 बता दें राधिका खेड़ा जो 22 सालों से कांग्रेस पार्टी के साथ खड़ी रही। छात्र राजनीति से ही कांग्रेस की विचारधारा के साथ जिन्होंने पार्टी के लिए हर मोर्चा पर कदमताल किया, रविवार को कांग्रेस को अलविदा कह दिया। कांग्रेस अध्यक्ष मलिल्लकार्जुन खरगे को भेजे अपने इस्तीफे में उन्होंने पार्टी की नीति और नीयत पर सवाल खड़ा कर दिया है।

अन्य प्रवक्ताओं की तरह ही राधिका ने भी कांग्रेस को बताया रामविरोधी

खास बात ये है कि राधिका खेड़ा ने भी पार्टी को अलविदा कहने वाले बाकी कांग्रेस प्रवक्ताओं की तरह ही कांग्रेस को रामविरोधी साबित करने की कोशिश की। राधिका ने कहा है कि वो अयोध्या में राम मंदिर में श्री राम के दर्शन से खुद को रोक नहीं पाई और इसके बाद ही पार्टी के भीतर हर स्तर पर उन्हें निशाने पर लिया जाने लगा।

राधिका ये बताना नहीं भूली किं वे लड़की हूं और लड़ सकती हूं और वही अब मैं कर रही हूं। पार्टी अध्यक्ष खरगे के नाम लिखे पत्र में राधिका ने पार्टी के भीतर भेदभाव के आरोप लगाए हैं।

क्या है पूरा मामला

दरअसल, 30 अप्रैल को राधिका खेड़ा राजीव भवन में नेताओं से चर्चा कर रही थीं। पीसीसी संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने इस पर आपत्ति जताई। राधिका खेड़ा के प्लानिंग करने पर नेताओं को फटकार तक लगाई। जिसके बाद प्रदेश कांग्रेस नेताओं और राधिका खेड़ा के बीच जमकर बहस हुई।

1 मई को राधिका खेड़ा ने ट्वीट कर अपमान पर दुख जताया। इस पर भाजपा नेताओं ने कांग्रेस की रीति-नीति पर उठाए सवाल। मामला सुलझाने के लिए 3 मई को राजीव भवन में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने राधिका खेड़ा से 3 घंटे घटना के बारे पूछताछ की, लेकिन सुलह की कोशिश नाकाम रही और 5 मई को राधिका खेड़ा ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया।

भाजपा में शामिल हो सकती हैं राधिका

राधिका खेड़ा ने इस्तीफा दे दिया है। मगर इसका मतलब ये नहीं कि खेड़ा पर बखेड़ा का अंत हो गया हो या यूं कहें कि ये तो नए बखेड़े की शुरुआत है, क्योंकि जिस पार्टी ने रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण ठुकरा कर बीजेपी को बड़ा मुद्दा दिया था।

उस पार्टी की नेत्री ने पार्टी नेताओं पर ये कहते हुए आरोप लगाया की राम मंदिर दर्शन के कारण ही उनका विरोध हो रहा है और वहीं ये संकेत भी दिए हैं कि कहीं न कहीं वो बीजेपी की विचार धारा से प्रभावित हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है  कि क्या वो भी कांग्रेस छोड़ने वाले बाकी प्रवक्ताओं की तरह ही अब बीजेपी में डेरा डालने वाली हैं ?

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