अग्निपथ योजना आने के बाद लगातार तीसरी बार भारतीय सेना में नहीं शामिल हुए कोई भी नेपाली गोरखा

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अपनी वीरता से अंग्रेजों के ही नहीं चीन और पाकिस्तान के भी दांत खटटे कर देने वाली गोरखा रेजिमेंट अग्निपथ स्कीम आने के बाद से जवानों की कमी से जूझ रही है। गोरखा रेजिमेंट को भारतीय सेना की सबसे खूंखार रेजिमेंट कहा जाता है। अग्निपथ योजना के आने के बाद लगातार तीसरी बार भी नेपाली गोरखा भारतीय सेना में शामिल होने नहीं आए। वहीं दूसरी तरफ चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी उन्हें अपनी सेना में भर्ती करने की लगातार कोशिश कर रही है।

दरअसल, नेपाल और भारत के बीच सेना की अग्निपथ योजना को लेकर विवाद चल रहा है। एक न्यूज रिपोर्ट के अनुसार अगस्त 2022 में नेपाल सरकार ने अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना की 43 बटालियन गोरखा रेजिमेंट के लिए नेपाली गोरखाओं की भर्ती रोक दी थी। इस मामले में नेपाल ने कहा है कि यह योजना 1947 में नेपाल भारत और यूके सरकारों के बीच हुए समझौते का उल्लंघन है।

क्या है अग्निपथ भर्ती योजना

अग्निपथ भर्ती योजना की शुरुआत पिछले साल जून में हुई। इस योजना के तहत चार साल की सर्विस के बाद अग्निवीर रिटायर हो जाएंगे वहीं कुछ चुने गए जवानों में से 25 प्रतिशत को ही नियमित किया जाएगा। जानकारी के अनुसार गोरखा की हर बटालियन में करीब 60 प्रतिशत नेपाली सैनिक है। 2021 से नेपाल के लगभग 12,000 गोरखा रिटायर हो चुके हैं।

जाने पूरा विवाद

अग्निपथ योजना के तहत चल रही भर्तियों में किसी भी नेपाली गोरखा की भर्ती नहीं की गई। नेपाल ने शुरू में ही नई भर्ती नीति पर आपत्ती जताई थी, कि यह सैनिकों की सेवा शर्तों पर दोनों देशों के बीच बनी सहमति के खिलाफ है। नेपाल इकलौता ऐसा विदेशी मुल्क है जिसके नागरिक भारतीय सेना में सेवा देते हैं।

वैगनर आर्मी में गोरखा की भर्ती

बीते दिनों खबर आई थी कि नेपाल के सैनिक वैगनर प्राइवेट आर्मी में शामिल हो रहे हैं। जानकारी के अनुसार वैगनर आर्मी का तलुक रशीया से है ये वही सेना है जिसे राष्ट्रपति पुतिन के इशारों पर रूस की तरफ से यूक्रेन में युद्ध लड़ रही थी। कुछ समय पहले ही वैगनर आर्मी के चीफ ने पुतिन के खिलाफ एक असफल विद्रोह किया था। इसके बाद से वैगनर ग्रुप और रूसी सरकार के संबंध खराब हो गए।

चीन भी चाहता है गोरखा को अपनी सेना में शामिल करना

भीतर खाने से खबरे आ रही है कि चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी भी गोरखा को अपनी सेना में भर्ती करना चाहते हैं। गोरखा को लुभाने के लिए वह लगातार प्रयास कर रही है। हालाकि अभी तक नेपाल इसके लिए तैयार नहीं हुआ है। लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि देश के युवाओं को रोजगार देने के लिए वह चीन के इस प्रस्ताव पर विचार कर सकता है।

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